प्रयागराज,आगरा और शाहजहांपुर में घटने लगा नदियों का जलस्तर,बाढ़ से अब भी राहत नहीं
प्रयागराज,आगरा और शाहजहांपुर में घटने लगा नदियों का जलस्तर,बाढ़ से अब भी राहत नहीं

10 Sep 2025 |   50



 

लखनऊ।गंगा और यमुना का जलस्तर स्थिर होने से प्रयागराज में हजारों परिवारों को राहत मिली है।गंगा-यमुना का जलस्तर अगले एक-दो दिन में बढ़ने के आसार हैं,जिससे गंगा-यमुना का जलस्तर लाल निशान (84.73 मीटर) पार कर सकता है। गंगा-यमुना का जलस्तर स्थिर होने के बीच केंद्रीय जल आयोग ने दोनों के लाल निशान पार करने की चेतावनी जारी की है।

टोंस का जलस्तर बढ़ने से छतनाग के आगे गंगा का प्रवाह हो रहा बाधित 

टोंस का जलस्तर बढ़ने से छतनाग के आगे गंगा का प्रवाह बाधित हो रहा है।ऐसे में बैराज से दो दिन में छोड़ा गया पौने नौ लाख क्यूसेक पानी पहुंचेगा तो यहां गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ेगा।इसके बाद मथुरा और आगरा में यमुना का बढ़ा पानी भी प्रयागराज आएगा। इससे भी यहां जलस्तर बढ़ने का खतरा और बढ़ेगा।

आगरा में यमुना का उफान उतार पर,खौफ बरकरार

गंगा और यमुना में बाढ़ का पानी अब उतार पर है,लेकिन अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है।प्रभावित हिस्सों में दहशत बरकरार है।आगरा में यमुना का जलस्तर 501.3 फीट पर जाकर बंद हुआ,जो खतरे के निशान से दो फीट से भी ऊपर है।बाढ़ से बल्केश्वर घाट पर यमुना आरती बंद कर दी गई है।गोकुल बैराज से डिस्चार्ज कम होने से दो दिन बाद राहत मिलने के आसार हैं। कासगंज में भी गंगा उतार पर है, लेकिन तटीय गांवों में बाढ़ का पानी भरा हुआ है।मथुरा में यमुना का जलस्तर 167.67 मीटर से 29 सेंटीमीटर नीचे उतर गया है। हालांकि अब भी ये खतरे के निशान से 1.38 मीटर ऊपर चल रहा है। इससे प्रभावित गांवों और मोहल्लों में हालात जस के तस बने हुए हैं।

रामगंगा ने काटा रास्ता बांस के सहारे सड़क पार कर रहे ग्रामीण

बरेली और शाहजहांपुर के साथ ही आस-पास के इलाकों में रामगंगा नदी का जलस्तर घटने लगा है। मौजमपुर–जरियनपुर संपर्क मार्ग और मिर्जापुर–गुलड़िया मार्ग बाढ़ के पानी से कट गए हैं। गुलड़िया मार्ग पर तो लोग बांस के सहारे निकलने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ का पानी उतरने के बावजूद उनकी परेशानियां फिलहाल कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

राहत के आसार नहीं

मिर्जापुर में गंगा नदी में लगातार बाढ़ ने तटवर्ती गांवों में जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। गंगा का पानी निचले इलाकों में भरा हुआ है, जिससे लोग छतों पर खाना बनाने को मजबूर हैं। मंगलवार को जलस्तर में मामूली गिरावट देखने को मिली है, लेकिन फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं बन पा रही है। पैलाानी, कटैलानगला, भरतपुर, मोतीनगला, धिंयरपुरा, लोहारनगला और गुटेटी समेत दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी जमा है।

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