ब्यूरो धीरज कुमार द्विवेदी
लखनऊ।गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर पर दिए गए बयान से सियासी हंगामा मचा हुआ है।कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल लगातार भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर हैं।इसी बीच अब इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने 24 दिसंबर को देशव्यापी आंदोलन का फैसला किया है।एक्स पर की गई पोस्ट में मायावती ने कहा कि शाह की टिप्पणी से लोगों के दिलों को ठेस पहुंची है।
मायावती ने कहा कि देश के दलित,वंचित व अन्य उपेक्षितों के आत्म-सम्मान व मानवीय हकूक के लिए अति-मानवतावादी व कल्याणकारी संविधान के रूप में असली ग्रंथ के रचयिता बाबा साहेब डा.भीमराव अम्बेडकर भगवान की तरह परमपूजनीय हैं,उनका अमित शाह द्वारा किया गया अनादर लोगों के दिलों को आहत पहुंचाता है।ऐसे महापुरुष को लेकर संसद में इनके द्वारा कहे गए शब्दों से पूरे देश में सर्वसमाज के लोग काफी उद्वेलित,आक्रोशित व आन्दोलित हैं।
मायावती ने कहा कि अम्बेडकरवादी बीएसपी ने इस क्रम में उनसे बयान वापस लेने व पश्चाताप करने की मांग की है, जिसपर अभी तक भी अमल नहीं किया जा रहा है।ऐसे में मांग न पूरी होने पर फिर पूरे देश में आवाज उठाने की बात बीएसपी द्वारा की गई।इसीलिए अब पार्टी ने अपनी इस मांग के समर्थन में 24 दिसम्बर 2024 को देशव्यापी आन्दोलन करने का फैसला लिया है।उस दिन देश के सभी जिला मुख्यालयों पर पूर्णतः शान्तिपूर्ण धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
बाबा साहब को दलितों का मसीहा बताते हुए मायावती ने कहा कि दलित/बहुजनों को अपने पैरों पर खड़े होकर आत्म-सम्मान के साथ जीने के लिए आजीवन कड़ा संघर्ष व आरक्षण सहित उनको अनेकों कानूनी हक दिलाने वाले उनके सच्चे मसीहा बाबा साहब के नहीं रहने पर उनके अनुयाइयों का हित व कल्याण ही उनका सबसे बड़ा सम्मान है, जिसके लिए बीएसपी समर्पित है।कांग्रेस,भाजपा आदि पार्टियां अगर बाबा साहेब का दिल से आदर-सम्मान नहीं कर सकती हैं तो उनका अनादर भी न करें।बाबा साहेब के कारण एससी,एसटी एवं ओबीसी वर्गों को जिस दिन संविधान में कानूनी अधिकार मिले उसी दिन उन्हें सात जन्मों का स्वर्ग भी मिल गया है।
बता दें कि विवाद की शुरूआत बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह के संसद में दिए एक भाषण के बाद हुई।राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान बोलते हुए अमित शाह जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट से आंबेडकर के इस्तीफे के बारे में बात कर रहे थे। लगभग डेढ़ घंटे के भाषण में 1 घंटा 7 मिनट के आसपास अमित शाह ने कहा कि अभी एक फ़ैशन हो गया है,आंबेडकर,आंबेडकर,आंबेडकर,आंबेडकर, आंबेडकर,आंबेडकर।इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए कहा कि हमें तो आनंद है कि आंबेडकर का नाम लेते हैं,आंबेडकर का नाम अभी सौ बार ज्यादा लो, परंतु आंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है ये मैं बताता हूं,आंबेडकर जी को देश कि पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दे दिया।
अमित शाह ने आगे कहा कि उन्होंने (आंबेडकर) कई बार कहा कि वह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ होने वाले व्यवहार से असंतुष्ट हैं,उन्होंने सरकार की विदेश नीति से असहमति जताई थी,अनुच्छेद 370 से भी सहमत नहीं थे, आंबेडकर को आश्वासन दिया गया था,जो पूरा नहीं हुआ, इसलिए कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।अमित शाह ने इसके बाद जवाहरलाल नेहरू का एक बयान भी पढ़ा जो आंबेडकर के इस्तीफे के बारे में दिया गया था।उन्होंने कहा कि श्री बीसी रॉय ने पत्र लिखा कि आंबेडकर और राजाजी जैसे दो महानुभाव मंत्रिमंडल छोड़ेंगे तो क्या होगा,तो नेहरू जी ने उनको जवाब में लिखा है- राजाजी के जाने से तो थोड़ा बहुत नुकसान होगा, आंबेडकर के जाने से मंत्रिमंडल कमजोर नहीं होता है।
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