दीपावली के दिन हर घर में बनती कंद की सब्जी,कई रोगों में है गुणकारी,जानें इसकी धार्मिक मान्यताएं
दीपावली के दिन हर घर में बनती कंद की सब्जी,कई रोगों में है गुणकारी,जानें इसकी धार्मिक मान्यताएं

28 Oct 2024 |  25



ब्यूरो धीरज कुमार द्विवेदी


लखनऊ।देशभर में दीपावली का त्योहार प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।दीपावली दिन हर घर में खास पकवान बनाए जाते हैं।इन पकवानों में एक खास सब्जी का नाम कंद है।यह सब्जी स्वाद में जितनी अद्भुत होती है उतनी ही सेहत के लिए भी फायदेमंद भी मानी जाती है। आयुर्वेद में इसे कई रोगों में लाभकारी बताया गया है।

दीपावली के दिन जिस कंद की सब्जी बनती है।उसे कुछ जगहों पर सूरन,जिमीकंद या ओल भी कहा जाता है।एक जड़ वाली सब्जी है,जो विशेष रूप से सर्दियों में खाई जाती है। इसका स्वाद तीखा और तीव्र होता है,लेकिन मसालों और देशी घी के साथ पकाने पर इसका स्वाद और भी अधिक लजीज हो जाता है।दीपावली के दिन इस सब्जी का महत्व इसलिए है, क्योंकि यह पाचन तंत्र को मजबूत करती है,जो त्यौहारों के दौरान भारी भोजन के बाद शरीर को हल्का रखने में सहायक होती है।

कंद को कई रोगों के उपचार के लिए लाभकारी माना गया है। इसमें फाइबर,विटामिन बी6 और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे पोषक तत्व होते हैं,जो पाचन क्रिया में सुधार करते हैं,पेट की समस्याओं को दूर रखते हैं।इसके नियमित सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल कम होता है,हृदय रोगों का खतरा भी घटता है। इसके अलावा कंद में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं,जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।

दीपावली पर जब हम अपने परिवार के साथ बैठकर कंद की इस स्वादिष्ट सब्जी का आनंद लेते हैं तो यह केवल एक भोजन नहीं बल्कि एक स्वस्थ जीवनशैली की ओर एक कदम होता है।हर परिवार इस दिन इसे अपने खास मसालों के साथ तैयार करता है,जिससे हर घर में इसका अलग और अनोखा स्वाद होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली पर जिमीकंद खाने से घर में सुख और समृद्धि आती है।दरअसल जिमीकंद का फल जड़ से काटने के बावजूद फिर से उग जाता है,जिसके चलते जिमीकंद को सुख और समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है।

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