गाजियाबाद में क्या सफल होगा अखिलेश यादव का दलित प्रत्याशी उतारने का प्रयोग,क्या हैं जातीय समीकरण
गाजियाबाद में क्या सफल होगा अखिलेश यादव का दलित प्रत्याशी उतारने का प्रयोग,क्या हैं जातीय समीकरण

25 Oct 2024 |  32





गाजियाबाद।उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव का बिगुल बज चुका है।यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग होगी और परिणाम 23 नवंबर को आएगा।उपचुनाव चुनाव को लेकर यूपी का सियासी पारा चरम पर है।इसी कड़ी में गुरुवार को समाजवादी पार्टी ने गाजियाबाद सदर से अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया।सपा ने गाजियाबाद सदर से सिंहराज जाटव को चुनावी मैदान उतारा है।सपा के इस ऐलान ने सबको चौंका दिया है।सामान्य सीट पर एक दलित को प्रत्याशी बनाया है।इससे बाकी पार्टियों के लिए परेशानी पैदा हो गई है।अब उनके सामने अपने कोर वोटरों में बिखराव को बचाने की बड़ी चुनौती है।गाजियाबाद का मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है।गाजियाबाद सदर से भारतीय जनता पार्टी ने ब्राह्मण,सपा ने दलित और बहुजन समाज पार्टी ने वैश्य प्रत्याशी चुनावी मैदान उतार दिया है।सपा ने अंतिम बार गाजियाबाद सदर से 2004 में जीत दर्ज की थी।

जानें गाजियाबाद का जातिय समीकरण

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटा हुआ गाजियाबाद उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती शहर है। गाजियाबाद की आबादी मिश्रित है। यहां ब्राह्मण,वैश्य,दलित,पंजाबी और मुसलमान अच्छी संख्या में हैं।अनुमान के मुताबिक गाजियाबाद में लगभग 75 हजार दलित, 70-70 हजार ब्राह्मण और वैश्य, 75 हजार मुस्लिम और 50 हजार के आसपास पंजाबी हैं।गाजियाबाद की मुस्लिम और दलित आबादी को ध्यान में रखते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सिंहराज जाटव को चुनावी मैदान में उतारा है। इससे गाजियाबाद की लड़ाई बेहद रोचक हो गई है।एक तरफ भाजपा ने जहां ब्राह्मण संजीव शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने वैश्य परमानंद गर्ग को चुनावी मैदान में उतारा है।इस तरह से यूपी के तीन बड़ी पार्टियां तीन जातियों के प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है।

सपा की किस वोट बैंक पर है नजर

उपचुनाव में सपा की नजर दलित और मुस्लिम गठजोड़ पर है। सपा मुखिया अखिलेश यादव पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) के फार्मूले को आगे बढ़ा रहे हैं। अखिलेश यादव के इस फार्मूले को लोकसभा चुनाव में सफलता भी मिली थी,जिससे अखिलेश यादव के हौसले बुलंद हैं।अखिलेश यादव ने यही प्रयोग लोकसभा चुनाव के दौरान अयोध्या लोकसभा सीट पर भी किया था। अखिलेश यादव ने अयोध्या में दलित समाज से आने वाले अपने विधायक अवधेश प्रसाद को चुनावी मैदान उतारा था।अवधेश प्रसाद ने मौजूदा सांसद भाजपा उम्मीदवार लल्लू सिंह को हरा दिया था।अब अखिलेश यादव वही प्रयोग गाजियाबाद में भी कर रहे है,लेकिन ऐसा नहीं है कि अखिलेश यादव ने यह प्रयोग गाजियाबाद में पहली बार किया है। अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भी दलित समाज से आने वाले विशाल वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा था।इसके बाद भी भाजपा के अतुल गर्ग लगातार दूसरी बार गाजियाबाद सदर से जीते।

गाजियाबाद सदर में दलितों की आबादी सबसे ज्यादा

गाजियाबाद सदर विधानसभा में लगभग 75 हजार दलित वोटर हैं।शहरी वोटर होने से दलित मुखर भी हैं।गाजियाबाद देश के उन गिने-चुने शहरों में शामिल है,जहां आंबेडकर जयंती ज्यादा से ज्यादा मनाई जाती है।अगर दलितों ने एकजुट होकर सपा के समर्थन में वोटिंग कर दी तो सपा को फायदा हो सकता है। मुस्लिम वोटर भी 70 हजार से ज्यादा हैं मुस्लिम सपा के कोर वोटर माने जाते हैं।बड़ी बात यह है सपा प्रत्याशी बसपा छोड़कर आए हैं और बसपा प्रत्याशी सपा छोड़कर आए हैं।दोनों अपने विरोधी दल के रग-रग से वाकिफ हैं।ऐसे में लगता है कि इन दलों के कोर वोटरों में सेंध लगाना मुश्किल काम हो सकता है।

गाजियाबाद सदर की कैसी रही है लड़ाई

गाजियाबाद सदर से विधायक रहे अतुल गर्ग के सांसद बनने के बाद उपचुनाव हो रहा है।गर्ग ने 2022 का विधानसभा चुनाव एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीता था। गर्ग को एक लाख 50 हजार 205 वोट,सपा के विशाल वर्मा को 44 हजार 668 वोट और बसपा के केके शुक्ल को 32 हजार 691 और कांग्रेस के सुशांत गोयल को 11 हजार 818 वोट मिले थे।हालांकि ये आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि गाजियाबाद सदर के वोटरों ने जाति से ऊपर उठकर वोटिंग की थी।उपचुनाव में गाजियाबाद सदर में ऊंट किस करवट बैठेगा यह 23 नवंबर को ही पता चल पाएगा।

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