प्रतापगढ़।उत्तर प्रदेश के बड़के जिले प्रतापगढ़ में झारखंड से कोयला लेकर एनटीपीसी ऊंचाहार जा रही मालगाड़ी के दो वैगन से बुधवार सुबह लगभग आठ बजे परियावां स्टेशन के पास धुआं उठने लगा। देखते ही देखते इससे लपटें निकलने लगीं।गार्ड की नजर पड़ी तो उसके होश उड़ गए। गार्ड ने फौरन इसकी सूचना लोको पायलट और कंट्रोल रूम को दी तो अधिकारियों में खलबली मच गई। फायर ब्रिगेड की टीम ने आग बुझाई।
मालगाड़ी सुबह लगू आठ बजे परियावां स्टेशन के पास पहुंची थी तभी गार्ड राजेश यादव की नजर ब्रेक वैगन से 15 व 18 नंबर के वैगन पर पड़ी तो उसमें से धुआं उठ रहा था।राजेश ने फौरन इसकी सूचना लोको पायलट और कंट्रोल रूम को दी।इधर देखते ही देखते धुएं से आग की लपटें निकलने लगीं। लोको पायलट ने मालगाड़ी को परियावां स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर दो ले जाकर खड़ी कर दी। रेलकर्मियों के साथ भागकर स्टेशन मास्टर चेतन शुक्ल वहां पहुंचे। स्टेशन मास्टर ने फौरन इसकी सूचना फायर ब्रिगेड को दी,लेकिन फायर ब्रिगेड को आने में काफी समय लग गया। लगभग डेढ़ घंटे बाद लगभग 9.30 बजे बजे फायर ब्रिगेड पहुंची।
सूचना मिलने के बाद आरपीएफ इंस्पेक्टर एसबी यादव अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए। इसके बाद विद्युत सप्लाई बंद की गई।दोनों वैगन से उठ रही लपटों को पानी डालकर बुझाया गया। मालगाड़ी सुबह 11.42 बजे यहां ऊंचाहार के लिए रवाना हुई। ऐसे में लगभग पौने चार घंटे तक परियावां स्टेशन पर अफरातफरी का माहौल रहा।
स्टेशन मास्टर चेतन शुक्ल ने बताया कि कोयले के रगड़ने से धुआं उठने की सूचना पहले आलापुर के गेटमैन शिवचंद ने दी थी। इसके बाद टीम बुलाकर आग बुझाकर मालगाड़ी को रवाना किया गया। फाफामऊ में कार्य चल रहा था। इससे कई ट्रेनों का रूट डायवर्जन भी था। इससे रेल संचालन पर असर नहीं पड़ा।
बता दें कि रेलवे स्टेशन पर आग से बचाव के लिए व्यवस्था होनी चाहिए,लेकिन स्टेशन पर उपकरण नदारद थे,जिससे आग को समय से नहीं बुझाया जा सका।अगर यह यात्री ट्रेन होती और आग लगने की घटना हुई होती तो स्थिति बहुत ही भीषण हो जाती। हालांकि आग से बचाव के उपकरण के सवाल पर विभागीय अधिकारी कन्नी काटते नजर आए।
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