सहारनपुर।उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के रहने वाले भारतीय वायु सेना के जवान शहीद मलखान सिंह का पार्थिव शरीर बुधवार को उनके घर पहुंचा।मलखान सिंह की शहादत की कहानी बड़ी अनोखी है। 1968 में 102 यात्रियों का एक विमान दुर्घटना का शिकार हो गया था। 102 यात्रियों में मलखान सिंह भी थे।बुधवार को 56 साल बाद मलखान सिंह का शव सहारनपुर के सरसावा में विशेष विमान से पहुंचा।
सरसावा एयरपोर्ट पर वायुसेना के जवानों ने मलखान सिंह को अंतिम सलामी दी।इसके बाद सेना के ट्रक में एक बड़े काफिले के साथ मलखान सिंह के शव को रवाना किया गया।इस दौरान रास्ते में कई जगहों पर लोगों ने मलखान सिंह के शव पर फूल बरसाए और मलखान सिंह के साथ-साथ भारत माता की जयकार के नारे लगाए।
मलखान सिंह का अंतिम दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आए।गांव के बुजुर्ग,नौजवान और उनके साथी रहे लोग बड़ी बेसब्री से उनके पार्थिव शव का अंतिम दर्शन करने के लिए इंतजार करते हुए दिखे। जिन बुजुर्गो ने मलखान सिंह को अपने बचपन में देखा था वो भी आज उनके अंतिम दर्शन के लिए घर और गांव की गलियों में खड़े थे।पूरे गांव में जगह-जगह तिरंगा लगाकर शहीद मलखान सिंह को अंतिम सफर के लिए रवाना किया गया।
बताते चलें कि 7 फरवरी 1968 में भारतीय वायुसेना का विमान AN-12 विमान ने चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ा था। मगर कुछ देर बाद ही विमान लापता हो गया था। 56 साल पहले 1968 में ये विमान रोहतांग पास में हादसे का शिकार हुआ था।विमान में 102 लोग सवार थे।रोहतांग पास में खराब मौसम का सामना करने के बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और दशकों तक पीड़ितों के शव और अवशेष बर्फीले इलाके में पड़े रहे।हादसे में कोई नहीं बचा था, फिर भी भारतीय सेना ने देश के सबसे लंबे समय तक चलने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया और साल 2003 में विमान का मलबा ढूंढ़ लिया।डोगरा स्काउट्स के नेतृत्व में भारतीय सेना का खोज और बचाव अभियान जारी रहा।इसी बीच भारतीय सेना को बड़ी सफ़लता मिली। सेना ने हिमाचल प्रदेश में दुर्घटनास्थल से चार शव बरामद किए,जिनमें से एक शव वायु सेना के जवान मलखान सिंह का था।अब 56 साल बाद मलखान सिंह का शव उनके घर वापस लौटा है।मगर मलखान सिंह की राह तकने वाले माता-पिता की आखें तो बेटे के दीदार के पहले ही बंद हो गई हैं। मलखान सिंह शादीशुदा थे और उनके एक बेटा रामप्रसाद था,जिसकी मौत हो चुकी है। मलखान सिंह के पोते गौतम और मनीष मजदूरी करते हैं। सोमवार को जब यह खबर सेना के सूत्रों से मलखान सिंह के परिवार के लोगों और ग्रामीणों को मिली तो पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया।इस बात का संतोष भी हुआ की जिस मलखान सिंह के शव को ढूंढने में 56 साल लग गए आखिरकार उनके शव को ढूंढ लिया गया है और अब उनका सही ढंग से अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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