महाकुंभ नगर।गंगा की धरा पर अगले साल 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ होगा।महाकुंभ के लिए कई नामी बाबाओं का जमावड़ा शुरू हो गया है।महाकुंभ शुरू होने से पहले अखाड़े में प्रवेश शुरू हो गया है और साधु-संत अपने-अपने आखाड़े में आने लगे हैं।महाकुंभ में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु भारतीय संस्कृति को जानने समझने और संगम में स्नान करके पुण्य कमाने आएंगे।महाकुंभ में नजर आने वाले नागा साधुओं का समूह लोगों के मन में कई तरह के सवाल खड़े करता है।नागा साधुओं की विशेष वेश-भूषा देखकर हर कोई उनके रहन-सहन और जीवन के बारे में जानने को लेकर उत्सुक हो उठता है।शरीर लीगी भस्म और आकाश की ओर बढ़ती जटाएं नागा साधुओं को अनोखा बनाती हैं।जब इनका समूह महाकुंभ में निकलता है तो उनका अदभुत रूप देखकर हर कोई दंग हो जाता है।आइए जानते हैं कि नागा साधु कौन होते हैं,इनका जीवन कैसे होता है और क्यों इतने प्रसिद्ध हैं।
नागा साधु सनातन धर्म के साधक हैं, इनको अखाड़ा के नाम से जाना जाता है,ये निर्वस्त्र रहते हैं।इनका बिना कपड़ों के रहना इस बात का प्रतीक है कि इन्होंने सांसारिक मोह माया कै त्याग दिया है,इनका जीवन तप,साधना और मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित है।महाकुंभ में नजर आने वाले नागा साधु अखाड़ों में रहते हैं,जो धार्मिक संगठनों का हिस्सा होता है।
जैसा की हमने बताया नागा साधु का जीवन तप और साधना के लिए समर्पित होता है।ऐसे में नागा साधु पूरे दिन ध्यान और साधना में समय बिताते हैं,जिसमें विशेष रूप से स्नान और पद्मासन (ध्यान की मुद्रा) शामिल हैं।नागा साधु भौतिक चीजों का त्यागकर साधारण जीवन जीते हैं।यह अपने जीवन में प्राकृतिक चीजों का उपयोग करते हैं।नागा साधु अपनी साधना में इतने व्यस्त होते हैं कि वे समाजिक दूरी बनाए रखते हैं। इनका उद्देश्य केवल आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होता है।
नागा साधुओं के लिए महाकुंभ एक अवसर होता है,जहां नागा साधु एकत्र होकर गंगा स्नान करते हैं,ध्यान करते हैं और अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करते हैं।नागा साधु विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में तप,साधना की अद्वितीयता को दर्शाते हैं।नागा साधु गंगा,यमुना और सरस्वती के मिलन संगम में स्नान कर अपनी साधना को और ऊर्जावान बनाते हैं।
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