ब्यूरो धीरज कुमार द्विवेदी
लखनऊ।बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद शनिवार को लखनऊ में प्रदेश कार्यालय में समीक्षा बैठक की।इस दौरान उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की तरह भाजपा भी सांप्रदायिक एजेंडे पर काम करती है। इससे हमें सावधान रहने की ज़रूरत है।
मायावती ने शनिवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों सहित पार्टी के अन्य सभी ज़िम्मेदार लोगों के साथ बैठक की।मायावती ने कहा कि यूपी सरकार धार्मिक मुद्दों की आड़ में स्वार्थ की राजनीति कर रही है। देश व समाज को संकीर्ण जातिवादी व साम्प्रदायिक तत्वों की जकड़ से निकालने के लिए दलित व अम्बेडकरवादी बहुजनों को अपना संघर्ष ढीला नहीं पड़ने देना है, बल्कि इसको और अधिक प्रभावी बनाना है।
हरियाणा,महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में धनबल, बाहुबल और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का मायावती ने आरोप लगाया।मायावती ने कहा कि साफ सुथरा चुनाव कराना चुनौती बन चुका है। यह संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरा बन चुका है। इसका चेक एंड बैलेंस जरूरी है।
मायावती ने कहा कि भाजपा की गरीब-विरोधी व उनकी धन्नासेठ समर्थक नीतियों से लोगों में आक्रोश है।लोगों का ध्यान बांटने के लिए ही यह पार्टी नए जातिवादी,साम्प्रदायिक व संकीर्ण हथकंडों का इस्तेमाल करती है।चुनाव में इसका लाभ भी ले लेती है। मायावती ने कहा कि यूपी व उत्तराखंड में जबरदस्त महंगाई है। भाजपा की तुष्टीकरण की राजनीति लोगों को खुशहाल जीवन नहीं दे पा रही है।
मायावती ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर का परिनिर्वाण दिवस छह दिसंबर को है।इसकी तैयारी की जाए।लखनऊ, कानपुर व अयोध्या मंडल के लोग लखनऊ के गोमती नगर में अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल में श्रद्धा-सुमन अर्पित करेंगे।मेरठ व दिल्ली के लोग नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल में श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।यूपी के बाकी 14 मंडल के लोग अपने-अपने मंडल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होंगे। अन्य राज्यों के लोग भी अपने-अपने प्रदेश में कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे।
मायावती ने कहा कि अडाणी समूह पर लगा नया आरोप और संभल मस्जिद विवाद ऐसे ज्वलन्त मुद्दे हैं, जिसको लेकर संसद में सरकार एवं विपक्ष के बीच टकराव के कारण संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल रही है। वर्तमान सत्र का महत्व ही शून्य हो जाना उचित नहीं है। संसद देशहित में ठीक से चलनी चाहिए, जिसके लिए सरकार और विपक्ष दोनों को गंभीर होना बहुत जरूरी है।
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