लखनऊ।बहुजन समाज पार्टी का उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी आधार लगातार गिरता जा रहा है।भारतीय जनता पार्टी की बी-टीम का टैग बसपा के लिए बड़ी चिंता बना हुआ है।मायावती उपचुनाव में भाजपा की बी टीम का लगा टैग हटाने के लिए बिसात बिछाई है।बसपा का हाथी उपचुनाव में भाजपा की चाल और सपा के साइकिल की स्पीड को बिगाड़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
2024 के लोकसभा चुनाव में जीरो पर पहुंचने वाली पूर्व मुख्यमंत्री बसपा मुखिया मायावती के सामने उपचुनाव में खाता खोलने की चुनौती नहीं है बल्कि 14 साल बाद उपचुनाव में जीत का ताज पहनने की बड़ी चुनौती है।दलित वोट बैंक के बिखराव को रोक पाना भी मुश्किल हो रहा है। मायावती की तमाम कोशिशों के बाद भी दलित वोट बैंक अन्य दलों की तरफ जाता जा रहा है।मायावती ने उपचुनाव में कई मुस्लिम बहुल विधानसभा सीट पर मुस्लिम के बजाय सवर्ण हिंदू समाज से प्रत्याशी उतारे हैं।इससे राजनीतिक गणित पूरी तरह से बिगड़ गई है।
विधानसभा उपचुनाव के मैदान में अकेले उतरी मायावती ने दो मुस्लिम,चार सवर्ण,दो ओबीसी और एक दलित उतारा है। बसपा ने जिस तरह से अपने प्रत्याशी उतारे हैं,उन पर गौर किया जाए तो सपा से अधिक भाजपा की राजनीतिक राह कठिन होती हुई नजर आ रही है।बसपा कुंदरकी,मीरापुर और कटेहरी विधानसभा सीट पर सपा की टेंशन बढ़ा दी है।गाजियाबाद,सीसामऊ,फूलपुर,करहल और मझवां विधानसभा सीट पर भाजपा की राह में बड़ा कांटा बिछाया है।
मीरापुर,कुंदरकी और कटेहरी विधानसभा सीट पर मायावती का हाथी सपा का खेल बिगाड़ रहा है।मीरापुर में सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा के खिलाफ बसपा ने शाह नजर प्रत्याशी बनाया है।कुंदरकी से सपा के मुस्लिम तुर्क हाजी रिजवान के खिलाफ बसपा ने रफतउल्ला उर्फ छिद्दा को प्रत्याशी बनाया है।सपा के मुस्लिम प्रत्याशी के सामने मायावती ने मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया है।इससे मुस्लिम वोट बैंक में बिखराव होना तय माना जा रहा है।ओवैसी और चंद्रशेखर की पार्टी ने भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है।
मीरापुर और कुंदरकी विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोट बैंक का बंटवारा होने की वजह से सपा का गेम बिगड़ सकता है। इन दोनों ही विधानसभा सीटों पर मुस्लिम के सिवा कोई दूसरा वोट सपा के साथ जाने वाला नजर नहीं आ रहा है।यादव समुदाय का वोट मीरापुर और कुंदरकी में नहीं है।मीरापुर में सपा के मुस्लिम प्रत्याशी के खिलाफ बसपा का मुस्लिम प्रत्याशी उतरने से रालोद को राजनीतिक फायदा मिलने की उम्मीद नजर आ रही है।इससे सपा की टेंशन भी बढ़ गई है। ऐसे ही कुंदरकी विधानसभा सीट पर सपा के मुस्लिम तुर्क हाजी रिजवान के सामने बसपा ने तुर्क मुस्लिम रफतउल्ला को प्रत्याशी बनाकर मामला फंसा दिया है।बसपा कुंदरकी में सपा की टेंशन बढ़ा रही है तो मुस्लिम वोट बैंक के बिखराव की उम्मीद में भाजपा के लिए एक आस जगती हुई नजर आ रही है।
कटेहरी विधानसभा सीट पर बसपा ने सपा को बड़ी सियासी टेंशन दे रखी है।भाजपा ने कटेहरी से धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाया है।धर्मराज निषाद के सामने सपा से शोभावती वर्मा और बसपा से अमित वर्मा प्रत्याशी हैं।कटेहरी विधानसभा में कुर्मी और निषाद वोटर तकरीबन बराबर हैं। सपा और बसपा ने कुर्मी पर दांव खेला तो भाजपा ने निषाद समाज पर भरोसा जताया है।सपा और बसपा का कुर्मी समाज के प्रत्याशी होने से कुर्मी वोट बैंक में बिखराव का खतरा बना गया है।ये सपा के सियासी मंसूबों पर पानी फेर सकता है। जिससे भाजपा में कटेहरी में कमल खिलाने की उम्मीद जागी है।
विधानसभा उपचुनाव में बसपा तीन विधानसभा सीटों पर सपा का खेल बिगाड़ती हुई दिख रही है।बसपा ने पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा की टेंशन को बढ़ा दिया है।बसपा ने करहल विधानसभा से अवनीश कुमार शाक्य को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने गाजियाबाद से परमानंद गर्ग,सीसामऊ से वीरेंद्र शुक्ला,फूलपुर से जितेन्द्र कुमार सिंह और मंझवा से दीपक तिवारी को प्रत्याशी बनाया है।बसपा के चार सवर्ण और एक ओबीसी प्रत्याशी उतरने से भाजपा के लिए सियासी राह मुश्किल भरी हो गई है।
करहल में सपा ने तेज प्रताप यादव और भाजपा ने अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया है,लेकिन बसपा शाक्य समुदाय के प्रत्याशी उतारकर भाजपा की राह में कांटे बिछा दिए हैं। करहल में शाक्य समुदाय शुरू से ही सपा के खिलाफ वोटिंग करता रहा है।शाक्य समुदाय के वोटों को भाजपा अपने साथ मानकर चल रही है।ऐसे में मायावती ने शाक्य प्रत्याशी उतारकर भाजपा के लिए सियासी संकट खड़ा कर दिया है।
गाजियाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा ने ब्राह्मण संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाया है तो सपा ने दलित समाज से आने वाले सिंह राज जाटव को प्रत्याशी बनाया है और बसपा ने वैश्य समुदाय से आने वाले परमानंद गर्ग को प्रत्याशी बनाया है।बसपा के वैश्य समुदाय से प्रत्याशी उतारने से भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है।वैश्य भाजपा का परंपरागत वोटर माना जाता है और भाजपा गाजियाबाद से वैश्य प्रत्याशी ही उतारती रही है। भाजपा के ब्राह्मण बनाम बसपा के वैश्य के बीच मुकाबले में सपा के दलित कार्ड राजनीतिक गुल न खिला दे।
मुस्लिम बहुल सीसामऊ विधानसभा सीट पर सपा ने नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है तो भाजपा ने सुरेश अवस्थी को प्रत्याशी बनाया है।ऐसे में बसपा ने वीरेंद्र शुक्ला को प्रत्याशी बनाकर भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है।ब्राह्मण वोटों के बंटवारे का खतरा बन गया है।इसी तरह फूलपुर विधानसभा सीट पर सपा ने मुजतबा सिद्दीकी को प्रत्याशी बनाया है तो भाजपा ने दीपक पटेल को प्रत्याशी बनाया है।बसपा ने जितेंद्र कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाकर भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर दी है।ठाकुर वोटर भाजपा का कोर वोट बैंक माना जाता है, लेकिन बसपा प्रत्याशी उतरने से ठाकुर वोटों में बिखराव का खतरा बन गया है।
मझवां विधानसभा सीट पर सपा और भाजपा ने ओबीसी प्रत्याशी उतारा है तो बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा है।सपा से ज्योति बिंद, भाजपा से सुचिस्मिता मौर्य और बसपा से दीपक तिवारी दीपू चुनावी दम दिखा रहे हैं।मझवां विधानसभा सीट पर भाजपा ने मौर्य समाज से आने वाली प्रत्याशी उतारा है तो सपा से निषाद प्रत्याशी उतारा है।बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है, क्योंकि ब्राह्मण वोटों के बंटवारे का खतरा बन गया है।
मायावती की कोशिश है कि बसपा पर लगे भाजपा के बी टीम के टैग को मायावती हटाने की कोशिश में हैं।यही कारण है कि बसपा ने उपचुनाव में जिस तरह की सियासी बिसात बिछाई है,उसके चलते सपा से ज्यादा भाजपा के लिए टेंशन खड़ी हो गई है।मीरापुर, खैर, मझवां और कटेहरी जैसी विधानसभा सीट पर बसपा का अपना सियासी आधार रहा है और जीतती भी रही है। बसपा ने जिस तरह से मुस्लिम बहुल सीसामऊ और फूलपुर विधानसभा सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी के बजाय हिंदू समुदाय के सवर्णों प्रत्याशी उतारकर भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।
मझवां में ब्राह्मण और गाजियाबाद में वैश्य प्रत्याशी उतारकर बसपा ने भाजपा सियासी चाल बिगाड़ दी है। इस तरह से मायावती की कोशिश अपने ऊपर लगे भाजपा के बी टीम के टैग को हटाने की है, क्योंकि भाजपा को मदद देने के आरोप के चलते मुस्लिम बसपा से लगातार दूर जा रहा है।ऐसे में मायावती ने विधानसभा उपचुनाव में सपा से ज्यादा भाजपा के लिए टेंशन पैदा कर दी है।बसपा ने लोकसभा चुनाव में भी यही दांव चला है, जिसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ा था। 2027 के विधानसभा चुनाव के लिहाज से मायावती ने उपचुनाव में सियासी बिसात बिछाई है। ऐसे में देखना है कि मायावती अपने सियासी मंसूबे में कितना सफल होंगी।
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