हरियाणा में राहुल गांधी ने जहां-जहां की रैलियां,वहां ऐसा रहा कांग्रेस का हाल
हरियाणा में राहुल गांधी ने जहां-जहां की रैलियां,वहां ऐसा रहा कांग्रेस का हाल

09 Oct 2024 |  39




नई दिल्ली।हरियाणा में लगातार तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन रही है।भाजपा ने हरियाणा में एतिहासिक जीत दर्ज की है।वहीं कांग्रेस लगातार तीसरी बार सत्ता से बाहर हो ग‌ई है।हरियाणा में सियासी माहौल,सियासी पंडितों का दावा और एग्जिट पोल के नतीजों के बाद कांग्रेस पूरी तरह आश्वस्त थी कि हरियाणा में उसका 10 सालों से चल रहा राजनीतिक वनवास खत्म होने वाला है।कांग्रेस के बड़े नेता स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने भी चुनाव के दौरान कड़ी रैलियां की,लेकिन ये तमाम प्रयास भी कांग्रेस को जीत नहीं दिला पाए।

राहुल गांधी ने हरियाणा में 12 चुनावी कार्यक्रम किए,जिसमें रैली,जनसभा और यात्रा शामिल थी,लेकिन राहुल गांधी की मौजूदगी कोई करिश्मा नहीं कर पायी,जिन 12 विधानसभा सीटों पर राहुल गांधी ने जनसभाएं की उनमें से सिर्फ 5 सीट पर ही कांग्रेस को जीत मिल पाई। 4 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है।इनमें से गन्नौर,सोनीपत और बहादुरगढ़ में तो कांग्रेस को ऐसा झटका लगा कि यहां से निर्दलीय उम्मीदवार जीत ग‌ए।

गन्नौर विधानसभा सीट पर तो कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहा।मतलब यहां कांग्रेस के अंदर की खेमेबाजी राहुल गांधी के प्रचार से खत्म नहीं हो पाई।राहुल गांधी ने मंच से कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का हाथ मिलवाकर पार्टी के एकजुट होने का संदेश भी दिया था,लेकिन यहां ये भी काम नहीं आया।

राहुल गांधी ने महेंद्रगढ़,नूंह,सोनीपत,गोहाना,थानेसर, नारायनगढ़,बरवाला,गन्नौर,बहादुरगढ़ और असांध विधानसभा सीटों पर प्रचार किया‌।वहीं हरियाणा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिर्फ 4 रैली की।इसका व्यापक असर चुनाव में मतदाताओं पर पड़ता हुआ दिखा।पीएम मोदी ने 16 अगस्त को हरियाणा में चुनाव घोषणा के बाद पहली रैली 14 सितंबर को की थी, पीएम ने जहां चुनावी सभा की उन सीटों पर जीत का स्ट्राइक रेट 75 प्रतिशत रहा।यानी पीएम की बात और उनका साथ हरियाणा के लोगों को भी भा गया।

हरियाणा में कांग्रेस का चुनाव अभियान, जो बेरोजगारी, किसानों की दुर्दशा और अग्निपथ योजना सहित विभिन्न मुद्दों पर आधारित था,अधिकांश मतदाताओं को प्रभावित करने में विफल रहा।राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का जोरदार प्रचार अभियान भी कांग्रेस को अपेक्षित परिणाम नहीं दिला सका।

कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में बेरोजगारी, किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग, अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना और महंगाई जैसे मुद्दे उठाकर में भाजपा की एक दशक पुरानी सरकार पर निशाना साधा था।

कांग्रेस ने हरियाणा में चुनावी कैंपेन की शुरुआत तो पूरे दमखम के साथ की थी,लेकिन धीरे-धीरे पार्टी के अंदर की अंतर्कलह खुलकर लोगों के सामने आ गयी।एक तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा था तो दूसरी तरफ रणदीप सुरजेवाला के समर्थक। कांग्रेस के भीतर जिसकी नाराजगी की चर्चा सबसे ज्यादा रही, वो हैं सांसद कुमारी शैलजा,जिनका खेमा अलग ही अंदाज में इस चुनाव के दौरान नजर आया।कुमारी शैलजा खुद ही लंबे समय तक चुनाव प्रचार से दूर रहीं और शामिल हुईं भी तो एकदम बेमन से, जिसका परिणाम चुनाव नतीजों में साफ उभरकर आया।

एक तरफ कांग्रेस के खिलाफ मैदान में आम आदमी पार्टी का होना कांग्रेस को परेशान कर ही रहा था।वहीं कांग्रेस के अंदर हरियाणा के वरिष्ठ नेताओं के बीच कलह ने कांग्रेस को और ज्यादा नुकसान पहुंचा दिया।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला तक सीएम बनने की इच्छा जाहिर करते रहे।भूपेंद्र सिंह हुड्डा दो बार हरियाणा के सीएम रह चुके हैं और तीसरी बार के लिए वो अपनी फिल्डिंग सजाकर बैठे थे।दलित और महिला कार्ड खेलकर। साथ ही कांग्रेस के आलाकमान से नजदीकी बढ़ाकर कुमारी शैलजा भी सीएम की कुर्सी पर नजर टिकाए हुए थीं।ऐसे में चुनाव परिणाम से पहले ही कांग्रेस के भीतर घमासान हरियाणा में शुरू हो गयी थी।ऐसे में हरियाणा विधानसभा चुनाव के जिस तरह के परिणाम आए उसने साफ कर दिया कि यहां कांग्रेस ने ही कांग्रेस को हराया और पार्टी के अंदर की लड़ाई ने उसे सत्ता से दूर कर दिया।

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