भव्य राम मंदिर के जश्न में रावण पर भी खूब चलेंगे तीर,इस साल दशहरे पर बढ़ी पुतलों की मांग
भव्य राम मंदिर के जश्न में रावण पर भी खूब चलेंगे तीर,इस साल दशहरे पर बढ़ी पुतलों की मांग

07 Oct 2024 |  45





नई दिल्ली।अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने का असर इस बार दशहरे पर दिखाई दे सकता है।भक्ति में डूबे लोग इस बार दशहरे पर रावण दहन भी धूमधाम से करने जा रहे हैं।इस बार रावण के पुतलों की मांग बढ़ गई है और रावण बनाने वालों की कमाई भी बढ़ने वाली है।

दिल्ली के टैगोर गार्डन में तितारपुर रावण के पुतले बनाने और बेचने का बड़ा बाजार है।तितारपुर में बने रावण के पुतले दिल्ली ही नहीं बल्कि एनसीआर,हरियाणा,पंजाब,राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक जाते हैं।कई बार रावण के पुतले को विदेश भी भेजा जाता है।तितारपुर में 80 से 100 लोग रावण का पुतला बनाने का धंधा करते हैं।हर साल यहां 800 से 1,000 रावण के पुतले बनाए जाते हैं,लेकिन इस बार 1,000 से 1,200 रावण का पुतला बनने की संभावना है।

तितारपुर बाजार में माइकल रावण वाला के नाम से काम करने वाले माइकल इक्का कहते हैं कि इस साल रावण की मांग काफी ज्यादा है।अभी तक 40 पुतले बनाए हैं,जिनमें से 30 बिक भी चुके हैं।लोग अब भी उन्हें रावण के पुतलों के ऑर्डर दे रहे हैं।

माइकल 100 फीट ऊंचा रावण का एक पुतला रामलीला मैदान में भी बना रहे हैं।माइकल कहते हैं कि इस साल रावण की मांग इसलिए ज्यादा है,क्योंकि राम मंदिर बनने का जश्न मनाने के लिए लोग दशहरे पर रावण को अधिक धूमधाम से जलाने जा रहे हैं।

विजेंद्र रावण वाला के विजेंद्र कुमार बीते 40 साल से रावण के पुतले बना रहे हैं।विजेंद्र बताते हैं कि इस बार जितने ऑर्डर मिले हैं पहले कभी नहीं मिले।विजेंद्र का कहना है कि अब कोरोना का असर पूरी तरह खत्म हो गया है और इस बार राम मंदिर बनने की खुशी भी है। इसलिए रावण की मांग बढ़ गई है और पुराने ग्राहकों के साथ नए ग्राहक भी बड़ी तादात में आ रहे हैं। हम रावण के 50 पुतले बना चुके हैं, जिनमें 35 की बुकिंग हो गई है। नए ऑर्डर भी लगातार आ रहे हैं।

पवन रावण वाला के यश सिंह और महेंद्र ऐंड सुभाष मशहूर रावण के महेंद्र तथा राजा को भरपूर ऑर्डर के बीच कारीगरों की कमी खल रही है। यश ने कहा कि ऑर्डर इतने अधिक हैं कि पुतले बनाने वाले कारीगर ही कम पड़ गए हैं। राजा ने कहा कि ऑर्डर बरस रहे हैं मगर उनका फायदा नहीं है,क्योंकि रावण बनाने के लिए उनके पास कारीगर नहीं हैं।राजा ने बताया कि ज्यादातर कारीगर बिहार से आते हैं मगर बाढ़ के कारण इस साल नहीं आ पाए,जो कारीगर हैं वे अभी तक 15 पुतले ही बना पाए हैं।

खुद ही रावण बनाकर बेचने वाले संजय कुमार ने पिछले साल एक भी पुतला नहीं बनाया था, लेकिन इस साल 6 से 8 रावण के पुतलों के ऑर्डर आ गए हैं।संजय ने बताया कि एक ऑर्डर तो हरियाणा के सोनीपत से आया है।पुतलों की मांग तो खूब है मगर लागत ने मुनाफे में पलीता लगा दिया है।संजय कहते हैं कि रावण बनाने की लागत पिछले दो साल में बहुत तेजी से बढ़ी है मगर बाजार में होड़ की वजह से दाम उतने नहीं बढ़ा सकते। इसलिए मुनाफा ही गंवाना पड़ रहा है।

विजेंद्र ने बताया कि रावण के पुतले बनाने में इस्तेमाल होने वाला कागज पहले 25-30 रुपये प्रति किलोग्राम आता था मगर अब उसकी कीमत 50 रुपये किलो हो गई है। 40-50 रुपये किलो मिलने वाला तार अब 70-80 रुपये किलो मिल रहा है और 20 बांस का गट्ठर भी अब 700 रुपये के बजाय 1,000 रुपये में आ रहा है। इसी तरह कपड़ा भी महंगा हुआ है। इस वजह से पुतला बनाने की लागत बहुत ज्यादा हो गई है।राजा ने कहा कि लागत बढ़ने से बचत घटती जा रही है। पहले 40 फीट का रावण बनाने और बेचने पर 8,000 से 10,000 रुपये बच जाते थे, लेकिन अब 4-5 हजार रुपये ही बच रहे हैं।

बहरहाल कारोबारी बताते हैं कि रावण के पुतले की कीमत तय नहीं होती। जैसा खरीदार मिल जाए वैसा ही सौदा पट जाता है। यश के पास रावण के पुतले की कीमत 700 से 800 रुपये फीट लगाई जाती है मगर माइकल 500 से 600 रुपये फीट के हिसाब से पुतला बेच रहे हैं।कारोबारी बताते हैं कि रावण के सबसे ज्यादा पुतले 25 से 40 फीट के बनते हैं,क्योंकि इन्हें बनाने और जलाने के लिए प्रशासन से इजाजत नहीं लेनी पड़ती। 40 फीट से ऊंचे रावण के पुतले लिए अनुमति लेनी होती है। इतना बड़ा पुतला 20,000 से 25,000 रुपये में मिलता है। 25 फीट रावण का पुतला 12,000 से 16,000 रुपये में मिल जाता है।

माइकल इक्का बताते हैं कि पिछले कुछ साल में वह कनाडा, शिकागो और अमेरिका में दूसरी जगहों तक रावण के पुतले भेज चुके हैं। मगर इस साल उनके पास विदेशों से ऑर्डर नहीं आए हैं। संजय ने भी एक बार रावण के पुतले को अमेरिका भेजा था मगर इस बार उनके पास भी विदेश से ऑर्डर नहीं हैं।

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