बारिश की तबाही,सड़क के ऊपर से बह रहा है नदी का पानी,डूब गईं फसलें,आंसुओं में डूब रहे अरमान
बारिश की तबाही,सड़क के ऊपर से बह रहा है नदी का पानी,डूब गईं फसलें,आंसुओं में डूब रहे अरमान

20 Sep 2024 |  21




मैनपुरी।उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में बारिश के बाद हाल बेहाल है।अपने पानी से फसलों और जनजीवन को सींचने वाली जीवनदायिनी अरिंद नदी अब लोगों के घर और फसलों को उजाड़ रही है।करहल विधानसभा में 24 से अधिक गांवों में धान और बाजरा की फसल चौपट हो गई है।घरों तक पानी पहुंचने से आशियाना भी छिन रहा है।अन्नदाता की आंखों से नींद कोसों दूर हो गई है,जिन गांवों में घरों तक पानी पहुंच गया है उनमें भी ग्रामीणों के लिए रातें गुजारना मुश्किल हो रहा है। अन्नदाता को फसल की चिंता है तो घर के मुखिया को आशियाने की,लेकिन कुदरत के आगे बेबस हैं।नुकसान से भी ज्यादा तकलीफ देने वाली बात यह है कि प्रशासन को इसकी कानों-कान खबर तक नहीं है।

डेढ़ हजार बीघे की डूबीं फसलें,टूटा गांवों का संपर्क

अरिंद नदी में पानी इस कदर बढ़ा कि क्षेत्र के गांव रठेरा, नगला छेड़ी,नगला कोंडर,नगला मढ़ा,नगला दशरथ,कुड़ाहार, जिचौली,दिवरौली,ककरारा,नगला स्वामी,नगला बहादुर,नगला सकरी,बड़ागांव,नगला उदी और बेरियाहार समेत डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों में धान और बाजरा की फसलें डूब गईं।लगभग डेढ़ हजार बीघे में केवल पानी ही पानी नजर आता है।खेतों में पानी भरने से धान की फसल डूब गई है।बाजरा भी खेतों में बिछ गया और पानी भरने से सड़ने लगा है।

नगला दशरथ के रामेश्वर सड़क पर खड़े होकर धान की फसल को दिन में तीन बार देखने आते हैं। उन्हें आशा है कि शायद जल्द पानी कम हो जाए,लेकिन हर बार उन्हें मायूसी ही मिलती है। रामेश्वर बताते हैं कि पांच बीघा धान की फसल में जुताई से लेकर दवा और खाद तक 25 हजार तक की लागत आ चुकी है।अब फसल भी बर्बाद हो रही है।पास के ही खेत में बाजरा बोने वाले रामरतन का हाल भी कुछ ऐसा ही है। रामरतन का कहना है कि कुदरत के आगे किसकी चलती है।

अरिंद नदी का पानी दन्नाहार-कुचेला मार्ग पर जाटखेड़ा पुल के पास सड़क पार का दूसरी तरफ उतरने लगा है। लगभग सौ मीटर दूरी तक सड़क पर दो से तीन फीट तक पानी है। पानी के बहाव से बच्चे और बुजुर्ग के साथ ही मोटरसाइकिल का आवागमन पूरी तरह बंद हो गया है। वहीं चार पहिया वाहनों के भी फंसने की आशंका बनती रहती है।दरअसल सड़क के ऊपर से पानी उतरने की वजह से यहां सड़क कटने लगी है। इससे कभी भी हादसा हो सकता है। ये सड़क तीन माह पहले ही बनाई गई थी।जलभराव से आसपास के गांवों का संपर्क भी टूट रहा है।

जाटखेड़ा पुल के पास सड़क पर पानी भरने से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुचेला पर मरीज नहीं पहुंच पा रहे हैं।दरअसल रठेरा,नगला छेड़ी,नगला कोंड़र,नगला मढ़ा,नगला दशरथ, कुड़ाहार और जिचौली के मरीज कुचेला ही उपचार के लिए आते हैं। प्रसव के लिए गर्भवती महिलाएं भी यहां आती हैं,लेकिन पानी भर जाने से लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है।

अरिंद नदी का पानी केवल खेतों तक ही नहीं पहुंचा है, बल्कि आबादी में भी पहुंच गया है।गांव रठेरा,नगला दशरथ,ककरारा और नगला कोंड़र में पानी घरों में घुस गया है।रठेरा में रूपेश कठेरिया के मकान में पांच फुट पानी भर गया है।पानी भरने से सामान डूबने के साथ ही लिंटर भी गिर गया है।घर में रखा गेहूं बर्बाद होने से पेट भरने का भी संकट खड़ा हो गया है। सरकारी मदद से रुपेश कठेरिया ने ये मकान बनवाया था, लेकिन अब उजड़ गया है। पास ही रह रहे सुनहरी लाल के दो मंजिला मकान में पानी भरा होने से दीवारें और फर्श बैठने लगी हैं।यही हाल नगला दशरथ में भी कई कच्चे मकान पानी भरने से गिर गए हैं।घरों के आसपास अरिंद नदी का पानी भरा है। अन्य गांवों का भी हाल कुछ ऐसा ही है।

अधिशासी अभियंता नहर राजीव कुमार ने बताया कि जिले से होकर बहने वाली अरिंद नदी हो या फिर ईशन नदी सभी गंगा ही सहायक नदियां हैं। इन दिनों बारिश के चलते गंगा नदी में पानी अधिक है। इसके चलते अरिंद नदी का बहाव धीमा हो गया है। गंगा नदी में पानी का स्तर कम होते ही ये पानी निकल जाएगा। फिर भी अगर कोई विशेष परिस्थिति है तो उसे दिखवाया जाएगा।

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