सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी में लगाई आस्था की डुबकी,जानें चित्रकूट से जुड़ी क्या है इसकी मान्यता
सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी में लगाई आस्था की डुबकी,जानें चित्रकूट से जुड़ी क्या है इसकी मान्यता

30 Dec 2024 |  31





चित्रकूट।प्रभु श्रीराम का चित्रकूट से गहरा नाता रहा।अपने वनवास काल के दौरान प्रभु श्रीराम ने कई वर्ष चित्रकूट के जंगलों में बिताए।लोगों ने उन जगहों को अपना तीर्थ स्थल बना लिया जहां-जहां प्रभु श्रीराम के कदम पड़े।ऐसे में तमाम तिथि त्योहारों का भी चित्रकूट में अलग महत्व है।दिवाली और अमावस्या का खास महत्व है।यहां सालभर किसी न किसी तिथि-त्योहार पर देश-विदेश से लोग प्रभु श्रीराम से जुड़े स्थलों का दर्शन और पूजन करने आते रहते हैं।हर साल की तरह इस बार भी सोमवती अमावस्या पर चित्रकूट में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी नदी में आस्था की डुबकी लगाई।

आज का दिन विशेष रूप से पवित्र है क्योंकि यह पौष मास की अमावस्या है जो हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से साल की आखिरी और शुभ तिथि मानी जाती है।इस दिन बुंदेलखंड के तमाम इलाकों,कानपुर और प्रयागराज सहित देश-विदेश से श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचते हैं।श्रद्धालु मंदाकिनी नदी में स्नान करते हैं और उसके बाद कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते हैं।मंदाकिनी स्नान और कामदगिरी की परिक्रमा यहां की आस्था और पूजा का एक अहम हिस्सा माना जाता है।मान्यता है कि अपने वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम ने यहीं रामघाट में मंदाकिनी में स्नान किया था और तुलसीदास को भी सोमवाती अमावस्या के दिन ही प्रभु श्रीराम का दर्शन बालक रूप में इसी रामघाट पर हुआ था।

सोमवती अमावस्या के दिन विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं।यह पूजा पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए की जाती है।वट वृक्ष के नीचे बैठकर महिलाएं अपनी आस्था के साथ इस वृक्ष की पूजा करती हैं और इसके फल प्राप्ति की कामना करती हैं।

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