ब्यूरो धीरज कुमार द्विवेदी
लखनऊ।उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के काकोरी ब्लॉक में रहमान खेड़ा इलाके में पिछले 24 दिनों से बाघ का आतंक बना हुआ है।आसपास के गांवों में बाघ का खौफ है।वन विभाग की तमाम कोशिशों के बाद अब बाघ को पकड़ने के लिए दुधवा नेशनल पार्क से हाथी लाया जा रहा है।हाथी की मदद से बाघ की लोकेशन का पता लगाने में मदद मिलेगी।
रहमानखेड़ा के केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के जंगल में 12 दिसंबर से बाघ दिखाई दिया था।वन विभाग ने ट्रैप कैमरे लगाए,पिंजरे रखे और मचान से बाघ पर नजर रखने की कोशिश की,लेकिन बाघ की लोकेशन का पता नहीं चल पाया। बाघ का ज्यादातर मूवमेंट रात के समय होता है,जिससे उसे पकड़ने में मुश्किल हो रही हैं।इस बीच बाघ ने पास के सहिला मऊ गांव में पड़वा का भी शिकार किया।
बाघ को पकड़ने के लिए 35 लोगों की एक टीम जुटी हुई है,जिसमें वन विभाग की पांच टीमें,अवध वन प्रभाग की तीन टीमें,हरदोई और सीतापुर वन प्रभाग की दो टीमें हैं। इसके अलावा वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की टीम भी बाघ की निगरानी कर रही है। 21 दिसंबर से बाघ को ट्रैंकुलाइज करने के लिए दो वन्य जीव चिकित्सकों की टीम भी काम कर रही है।
अब तक की कोशिशों के बाद वन विभाग ने दुधवा नेशनल पार्क से हाथी मंगवाने का फैसला लिया है।गुरुवार को पीलीभीत टाइगर रिजर्व से डॉ. दक्ष के नेतृत्व में टीम भी आ गई है। दुधवा नेशनल पार्क से अगले एक-दो दिन में हाथी मंगवा लिया जाएगा।रात में बाघ का मूवमेंट होने के कारण ट्रैंकुलाइज करने में मुश्किलें आ रही हैं। हाथी की मदद से बाघ की लोकेशन का पता लगाने में मदद मिलेगी,क्योंकि बाघ को ट्रैंकुलाइज करने का प्रयास दिन में ही किया जाएगा।
बाघ की मौजूदगी पगमार्क और किए गए शिकारों से स्पष्ट हो चुकी है,लेकिन अभी तक बाघ को पकड़ने में सफलता नहीं मिल पाई है।वन्य जीव विशेषज्ञों के मुताबिक बाघ का ज्यादातर मूवमेंट रात के समय होता है,जो उसकी पकड़ में बड़ी रुकावट पैदा करता है।
पूरा मामला इस बात का उदाहरण है कि बाघ जैसे जंगली जानवरों की निगरानी और सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन सकती है।वन विभाग और अन्य एजेंसियां लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन बाघ की लोकेशन और पकड़ने में कुछ और समय लग सकता है।
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