कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
एटा।मशहूर गीतकार कैफी आजमी का लिखी हुई ये लाइनें आज अभी हमारे कानों में कही पर सुनाई पड़ती है तो शरीर में छिपे हुए देश भक्ति के गुबार सामने आने लगते है,लेकिन आज भी हमारे देश में कुछ ऐसे वीर सपूत हुए जिनके बारे में हम सही से जान भी नही पाए है।जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों को हंसते हंसते नियौछावर कर दिया।
इस स्पेशल ग्राउंड रिपोर्ट में आज हम एक बलिदानी जाबांज योद्धा की बात करने जा रहे है जो भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु के साथी थे और चंद्रशेखर आजाद को अपना गुरु मानते थे। ऐसे वीर सपूत के गांव और उनके नाम पर चल रहे बालिका माध्यमिक विद्यालय के बच्चे आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित नजर आते है।
कौन थे अमर शहीद महावीर सिंह राठौर
देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 300 किलोमीटर और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 350 किलोमीटर दूर बसे जनपद कासगंज के छोटे से गांव शाहपुर टहला में जन्मे इस लाल का नाम महावीर सिंह राठौर था।महावीर सिंह राठौर का जन्म 16 सितम्बर 1904 को हुआ था। इनकी पढ़ाई कानपुर के डीएवी काॅलेज से सम्पन्न हुई,वही से ये देश को अंग्रेजो के चुंगल से छुटाने के लिए भगत सिंह के साथ हो लिए,जिसके बाद में राजगुरु,सुखदेव से इनकी मुलाकात हुई।बाद में इनकी मुलाकात चंद्रशेखर आजाद से हुई और इस मुलाकात के बाद इन्होंने घर वालो से अपनी शादी करने के लिए मना कर दिया मुझे देश को गोरों से बचाना,अब हम आपके ही नहीं पूरे देश के हैं ये कहते हुए फिर ये वहां से चले गए।
सांडर्स की हत्या के बाद में आ गए थे हिरासत में
वर्ष 1929 में दिल्ली असेंबली में बम फेंकने और सांडर्स की हत्या के बाद भगत बटुकेश्वर दत्त राजगुरु सुखदेव के साथ महावीर सिंह को भी हिरासत में ले लिया गया। मुक़दमे की सुनवाई के लिए उन्हें लाहौर भेज दिया गया। मुकदमा समाप्त हो जाने पर सांडर्स की हत्या में भगत सिंह की सहायता करने के अभियोग में महावीर सिंह को उनके सात अन्य साथियो के साथ आजीवन कारावास का दंड दिया गया। भगत सिंह राजगुरु सुखदेव और अन्य क्रांतिकारियों के साथ साथ महावीर सिंह राठौर भी 40 दिनों तक जेल के अंदर ही भूंख हड़ताल पर रहे।सजा के बाद कुछ दिनों तक पंजाब की जेलों में रखकर बाकी लोगों को (भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और किशोरी लाल के अतिरिक्त) मद्रास प्रांत की विभिन्न जेलों में भेज दिया गया। महावीर सिंह और गयाप्रसाद को बेलोरी सेंट्रल जेल ले जाया गया। जहां से जनवरी 1933 में उन्हें उनके कुछ साथियों के साथ अंडमान निकोबार स्थित पोर्ट ब्लेयर की सेलूलर जेल में कालापानी की सज़ा काटने के लिए भेज दिया गया। जिसके बाद में 17 मई 1933 की वह तारीख जब अंडमान निकोबार स्थित पोर्ट ब्लेयर की सेल्लयूलर जेल में कालापानी की सज़ा काट रहे एक क्रांतिकारी के शव को अंग्रेजों ने पत्थरों से बांधकर समुद्र में फेंक दिया।
जाने गांव वासी और परिजनो ने क्या बताया
शाहपुर टहला गांव के रहने वाले अध्यापक राघवेंद्र सिंह राठौर बताते है कि महावीर सिंह जी किसी एक के नही पूरे देश के है। उसके बाद भी हम देश वाले उनको सहेज नहीं पा रहे है।हमारे गांव में केवल उनका एक स्मारक बना हुआ है वो भी केवल जर्जर अवस्था में है।एक पुस्तकालय का निर्माण भी हुआ था वह भी अब जर्जर हो गया है,लेकिन किताबे अभी तक नही आ पाई है,मैं राज्यपाल जी से राजा का रामपुर में मांग करूंगा कुछ उनके जन्मस्थली को विकसित करने के लिए कोई पहल करेंगे तो हम उनके जीवन भर आभारी रहेंगे।
अजय सिंह राठौर ने कहा कि गांव की हालत बेहद चिंताजनक है,हमारे गांव को किसी रोड से नही जोड़ा गया है,जबकि यहां से एटा कासगंज मैनपुरी बदायूं सभी 65 किलोमीटर के लगभग में है।उसके बाद भी जर्जर सड़कें है।कोई परिवहन की सुविधा नहीं है।सुनने में आ रहा है राज्यपाल जी आ रहे है,हमारे इस बदहाल गांव को भी देखने आ जायेंगे तो बहुत अच्छा लगेगा।ये तो महावीर सिंह जी की जन्मस्थली है।
12वीं के छात्र अनुराग बताते है हम लोग 4 किलोमीटर दूर राजा का रामपुर पढ़ने के लिए जाते है तो हालत खराब हो जाती है।जर्जर सड़के है, बसों की कोई सुविधा तक नही है। हम लोगों को बस पकड़ने के लिए 20 किलोमीटर दूर अलीगंज जाना पड़ता है।जिसमे राजा का रामपुर तक हम पैदल ही सफर तय करते है।
महावीर सिंह राठौर के परिवारीजनों में मौजूद उनके भतीजे हरनारायन राठौर ने बताया कि सुनने में आ रहा है महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी जी राजा का रामपुर में हमारे ताऊ अमर शहीद महावीर सिंह राठौर जी की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए आ रहे है। महावीर ने कहा कि वहा से इनकी जन्मस्थली 4 किलोमीटर दूर है,राज्यपाल जी को उनके जन्मस्थली पर आकर के दो फूल जरूर चढ़ाने चाहिए,जिससे हमारे गांव का विकास हो जाए।
प्रसव के लिए जर्जर मार्ग से जाना पड़ता है 50 किमी दूर
ग्राम शाहपुर टहला के निवासी रामेंद्र सिंह राठौर ने बताया अस्पताल की सुविधाएं बेहद बेकार है।महिलाओं को प्रसव हेतु हम लोगो को 50 किलोमीटर और 65 किलोमीटर दूर कायमगंज और फर्रुखाबाद ले जाना होता है और सड़क भी बहुत जर्जर है।इस लिए हम सभी लोग ट्रेन से महिलाओं को ले जाते है।
स्कूल की हालत है खसताहाल
राजा का रामपुर(एटा) में स्थित अमर शहीद महावीर सिंह राठौर बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के बच्चे और प्रधानाचार्य ने बताया है हमारे स्कूल में पानी पीने के लिए एक हैडपंप लगा हुआ है और वह भी बेकार हो चुका है।उसको रीबोर होना है, कक्षाओं में फर्श नही स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर नजर आ रही है।हमारे स्कूल में बिजली का कनेक्शन तक नही है।
अमर शहीद महावीर सिंह राठौर बालिका विद्यालय जो हमारे कस्बे में बना हुआ है। नल को सही करवाने के लिए ईओ को बोल दिया है,कमरे जर्जर है,कस्बे की मुख्य सड़क भी जर्जर है,राज्यपाल जी आ रहे है उनको,सत्ता और सरकार,प्रशासन को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए।
महावीर सिंह राठौर,चेयरमैन, नगर पंचायत राजा का रामपुर स्कूल प्रबंधक
फिलहाल इस क्षेत्र के वासी अब 29 अक्टूबर का इंतजार करते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तरफ उम्मीद लगाए बैठे है।राज्यपाल जी आ रहे है तो शायद चीजे सुधर जाएगी।
|