सामुदायिक शौचालय बने सफेद हाथी,लटक रहे हैं ताले,दर्जनों सामुदायिक शौचालय चढ़े भ्रष्टाचार की भेंट, ग्रामीण खुले में शौच के लिए मजबूर
सामुदायिक शौचालय बने सफेद हाथी,लटक रहे हैं ताले,दर्जनों सामुदायिक शौचालय चढ़े भ्रष्टाचार की भेंट, ग्रामीण खुले में शौच के लिए मजबूर

15 Sep 2022 |  425



रिपोर्ट-तुर्रम सिंह

एटा।विकास खंड जलेसर क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के तहत लाखों रुप‌ए की लागत से बनाए गए सामुदायिक शौचालय में ताले लटके हुए हैं।जिससे लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है।गांव के लोगों ने जिम्मेदार अधिकारियों से लटक रहे ताले को खुलवाने की कई बार मांग की है, लेकिन किसी भी अधिकारी ने सुलभ शौचालय के ताले को खुलवाने की जहमत नहीं उठाई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण को स्वच्छ रखने और खुले में शौच जाने से रोकने के लिए ग्राम निधि से लाखों रुप‌ए की लागत से सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। शौचालय की देखरेख और साफ-सफाई की जिम्मेदारी गांव में बने स्वयं सहायता समूह को दी गई है। इसके लिए ग्राम पंचायत द्वारा प्रतिमाह हजारों की रकम खर्च की जा रही है। गांव कोसमा में वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंतर्गत लाखों रुपए की लागत से महिला और पुरुष के लिए सुलभ शौचालय बनवाया गया था, लेकिन गांव वालों का कहना है की हम लोंगो को आज तक ये भी नहीं पता कि ये शौचालय कितने शीटर है।इस शौचालय में ताले लटके रहते हैं। जिससे लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है।ग्राम प्रधान और सचिव से ताला खुलवाने की मांग की गई थी, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

क्या कहते हैं लोग

शंकरलाल ने कहा कि गांव में सामुदायिक शौचालय शोपीस बना हुआ है। निर्माण के बाद से ही ताला लटका है, जिसकी वजह से लोगों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता है। मजबूरन खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है।

भगवानदास ने कहा कि गावों को स्वच्छ बनाने के लिए भले ही सरकार की ओर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं,लेकिन इसका लाभ ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को नहीं मिल पा रहा है। शौचालय निर्माण होने के बाद भी लोगों को खुले में जाना पड़ता है। इसकी वजह से गांव में गंदगी पसरी हुई है।

अशोक कुमार ने कहा कि बने शौचालय के रखरखाव के लिए ग्राम पंचायत निधि से हजारों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन शौचालय न खुलने की वजह से इनका प्रयोग नहीं हो पाता है और लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। ऐसे में खर्च की जाने वाली रकम का बंदरबांट कर लिया जाता है।

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