विश्व तंबाकू निषेध दिवस: तंबाकू खाना हानिकारक स्लोगन के बीच में, यहां तंबाकू से चलती है ज़िन्दगियां
विश्व तंबाकू निषेध दिवस:तंबाकू खाना हानिकारक स्लोगन के बीच में,यहां तंबाकू से चलती है ज़िन्दगियां


31 May 2022 |  525



शुभम कुमार की खास रिपोर्ट

भारत सरकार ने बेशक तंबाकू खाने वालों के लिए स्लोगन लिख दिया तंबाकू खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है,लेकिन आज हम आपके लिए उत्तर प्रदेश से एक ऐसी कहानी लेकर आए है।जहां पर तंबाकू की वजह से ही लोग आपना जीवन यापन कर रहे है,चाहे वो किसान हो,व्यापारी हो,या किसी के घर मे शादी हो, या कोई बीमार पड़ा हो।

एक ऐसी कहानी जो आपको झखझोर कर रख देगी,क्योकि विशेषज्ञों का कहना है तंबाकू खाने से जीवन रुक जाता है,लेकिन उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के कायमगंज,एटा के अलीगंज,कासगंज के पटियाली और अयोध्या के नवाबगंज में तम्बाकू के उत्पादन के साथ ही एक बड़ी आबादी की जिंदगी चलती है।

तंबाकू व्यपारी ट्रस्ट के पदाधिकारी ने बताया

तंबाकू ट्रेड के कोषाध्यक्ष संजय आर्या बताते है कि एटा जिले के अलीगंज, फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज और कासगंज जिले के पटियाली क्षेत्र में लगभग 100 किमी क्षेत्र में किसानों के द्वारा तंबाकू का उत्पादन किया जाता है।जिसमे लगभग एक लाख बीघे में किसानों के द्वारा तंबाकू की फसल उपजाई जाती है। उन्होंने बताया कि हमारे इस क्षेत्र की तंबाकू की सप्लाई पूरे देश में होती है।यहां के किसानो में एक बड़ी आबादी तंबाकू को उपजाते है।

संजय आर्या ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में तंबाकू का उत्पादन तो होता है, लेकिन यहां की तंबाकू की गुडवत्ता अन्य जगहों के अपेक्षा अच्छी होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश का ये मध्य का इलाका तंबाकू उत्पादन के लिए एक अलग ही पहचान बनाये हुए है।कोरोनाकाल में तंबाकू के व्यापार पर खाशा फर्क पड़ा था,सरकार की तरफ से तंबाकू के किसानों और व्यापारियों को लाभ देने के लिए कोई कदम नही उठाए गए, जबकि लोगो तक तंबाकू की पहुंच काफी बड़ी मात्रा में रहती है।

क्या कहते है तम्बाकू उपजाने वाले किसान

मध्य क्षेत्र के रहने वाले रामकृपाल जो कि भूमिहीन किसान है। रामकृपाल लीज पर खेती को लेकर तंबाकू को उपजाते है।रामकृपाल कहते है मेरी उम्र लगभग 60 वर्ष है तब से मैं ये ही खेती कर रहा हूं। हम लोगों को इस फसल को तैयार करने में लगभग एक साल का समय लगता है,उसके बाद में एक बीघा खेत मे लगभग 4 मन (248 किग्रा) तक हो जाती है जिसमें अनुमानित लागत 12 से15 हजार रुपए तक लागत लग जाती है, वहीं लगभग बीस हजार रुपए तक की फसल बिक जाती है कुल 5 से 7 हजार रुपए तक बच जाते है।

किसानों से तंबाकू खरीद करने वाले व्यापारी बताते है

छोटे स्तर पर काम किसानों से तंबाकू की खरीद करने वाले आयुष गुप्ता बताते है हम लोग सीजन के समय 3000 से 5000 रुपए प्रति मन (1मन=62 किग्रा) तक तंबाकू की खरीद करते है,उसके बाद में हम लोगो को जो बाहर के बड़े व्यापरियो से जो आर्डर मिलता है,उसके अनुसार माल को तैयार करवाते है,जैसे कि लकड़ी हुई,पत्ती हुई,तम्बाकू की धूल इत्यादि अन्य राज्यों में जाती है।

काम करने वाले श्रमिको की नही होती है समय-समय पर जांच

उत्तर प्रदेश के इस मध्य क्षेत्र में तंबाकू में काम करने वाले किसान और उपादन फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिको की कोई जांच नही करवाई जाती है,जिससे काम करने वाले श्रमिको में क्षय रोग फैलने के आसार ज्यादा हो जाते है।अलीगंज निवासी जो एक श्रमिक है वो बताते है हमारे पूरे परिवार को खांसी इत्यादि रहती ही है,लेकिन हम लोग क्या करे हमारे पास तो मात्र ये ही काम है जो कि हम और हमारा पूरा परिवार करता है।

आबादी के बीचों-बीच चल रहे है उत्पादन इकाइयां

अगर हम बात करे उत्पादन इकाइयों की तो यहां पर प्रशासन की बड़ी लापरवाही है,फर्रुखाबाद के कायमगंज क्षेत्र में उत्पादन इकाइयां ज्यादातर आबादी क्षेत्र में फैक्ट्री में जब काम चलता है तो धूल इत्यादि उड़ती रहती है,जिससे वहां से निकलने वाले राहगीरों को भी परेशानी होती है। वही इन इकाइयों के पास में नौनिहाल बच्चो के स्कूल भी है,लेकिन इस तरफ किसी भी अधिकारी का ध्यान नही रहता है। WHO के मुताबिक तंबाकू के सेवन से दुनियाभर में हर साल 80 लाख से ज्यादा लोग मरते हैं।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास क्या है

1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें 7 अप्रैल 1988 को विश्व धूम्रपान निषेध दिवस के रूप में घोषित किया गया।इस प्रस्ताव को इसलिए पारित किया गया ताकि लोगों को कम से कम 24 घंटे तक तंबाकू का सेवन न करने के लिए प्रेरित किया जा सके। बाद में 1988 में
संगठन ने एक और प्रस्ताव पारित किया कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस हर साल 31 मई को मनाया जाएगा।

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