रिपोर्ट-तुर्रम सिंह
एटा।उत्तर प्रदेश के एटा जिले में जलेसर विकास खंड में जलेसर-फिरोजाबाद मार्ग से नगला दया वाया तखावान प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से सड़क बनाने के नाम पर लीपापोती की जा रही है।ठेकेदार और विभागीय अधिकारी मिलकर ये रुपया गटक रहे हैं।
इस समय एक बड़ा मामला सड़क को लेकर सामने आया है। जिसका मुख्य कारण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में अधिकारियों के काले कारनामे हैं।इन अधिकारियों के कारनामे से हर कोई वाकिफ है,लेकिन प्रशासनिक उदासीनता या बड़े अधिकारियों को भेंट पूजा की वजह से कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं पा रहा है। जिले में ग्रामीण सड़क योजना एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के नाम पर ग्रामीण अंचलों का रुपया अधिकारी और ठेकेदार अपनी तिजोरी में बेखौफ होकर भर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जलेसर विकास खंड के जलेसर-फिरोजाबाद मार्ग से नगला दया वाया तखावान की निर्माणाधीन सड़क में मापदंडों और नियम कायदों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण क्षेत्र में हुई बारिश से सड़क कई जगह ऊँची नीची दिखाई दे रही है। वहीं पुल पुलियों के निर्माण में भी भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जहां मौके पर देखा जा सकता है कि किसी भी पुलिया के नीचे सीमेंट गिट्टी यानी कंक्रीट का बेस किया जाना चाहिए था जो पूरी तरह नदारद है। जमीन पर ही पाइप को रख दिया गया है। पुरानी रोड़ के उखड़े हुए डामर गिट्टी के मलबे को नई रोड़ बनाने के लिए दफना कर नई रोड़ बनाने का कार्य जोरों पर है। ठेकेदार एवं अधिकारियों की मिलीभगत से नए मैटेरियल और फाउंडेशन के बेस का रुपया मिल बांट कर डकार लिया गया है। ड्रिल करके सड़क की जाँच की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
सड़कों की जांच के मामले में एक तकनीकी विशेषज्ञ से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि ड्रिल करके सड़कों की जांच की जानी चाहिए एवं संबंधित मटेरियल का भौतिक परीक्षण एवं फिर लैब में टेस्ट कराया जाना चाहिए। अगर इस तरह गुणवत्ता की जांच कराई जाए तो भ्रष्टाचार की पोल खुलना तय है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत करोड़ों रुपए लागत की सड़क निर्माण में बरती गई लापरवाही और निर्माण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की वजह है। इस सड़क को बनाने में घटिया मटेरियल का उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों ने ठेकेदार के मुंशी/मेठ को कई बार सड़क की गुणवत्ता युक्त निर्माण के लिए कहा है, लेकिन ठेकेदार द्वारा अधिकारियो से मिली भगत करके सड़क के निर्माण में मापदंडो को ठेंगा दिखाते हुए कार्य किया जा रहा है।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि कमीशन के लालच ने अधिकारियो ने आंख-कान बंद कर रखे हैं और ठेकेदार घटिया निर्माण कर बड़ा हिस्सा डकार रहा है। निर्माण एजेंसी की शर्तो के मुताबिक ठेकेदार पर कम से कम पांच वर्षो तह बनाई गई सड़क की मरम्मत की जिम्मेदारी भी होती है।सड़क की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार के दलदल में गोते लगा रहे हैं। गुणवत्ता जांच सिर्फ दिखावा हो रहा है, समय-समय पर क्वालिटी कंट्रोल की जांच होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा इस लिए इस सड़क का निर्माण पूरा होने से पहले ही ये सड़क दम तोड़ कर सरकारी दावों की पोल खोल देगी।धरातल पर हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्माणाधीन सड़क की हालत बेहद खराब है।गुणवत्ता के नाम पर सरकार एवं जनता से छलावा किया जा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार क्वालिटी कंट्रोल जांच करने के लिए बाहर से आए अधिकारियों को मुख्यालय में बैठाकर अन्य विभाग की सड़कों की तस्वीरें दिखाकर यहीं से ब्रीफकेस देकर वापस कर दिया जाता है।ये अधिकारी वेस्ट रिपोर्ट कार्ड देकर चले जाते हैं।जिसके कारण खराब व्यवस्था की बात उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती है। लोगों की शिकायतों पर कार्यवाही नहीं हो रही है। भ्रष्टाचारियों को अधिकारियों द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है। जो कि यह दर्शाता है कि संबंधित मुख्य कार्यपालन अभियंता की मिलीभगत से निर्माण में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।
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