रिपोर्ट-शुभम कुमार
एटा।समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का एटा से गहरा नाता रहा है।पिछड़ों के नेता के रूप में मुलायम सिंह यादव की छवि से एटा के लोग पहले से ही प्रभावित थे। एटा का नाता मुलायम सिंह यादव से उस समय गहरा हो गया, जब 2009 में एटा संसदीय क्षेत्र से अपने धुरविरोधी रहे पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह को चुनाव ही नही लड़वाया बल्कि जीत भी दर्ज करवाई।इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह ने मिलकर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को हराया था।
निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एटा से चुनाव लड़ने आए कल्याण सिंह को समाजवादी पार्टी ने कल्याण सिंह को खुलकर समर्थन दिया।मुलायम सिंह यादव ने कल्याण सिंह के समर्थन में जनसभाओं को भी संबोधित किया था।समाजवादी पार्टी के इस कदम से आहत होकर पूर्व सांसद कुंवर देवेंद्र सिंह ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। जो कल्याण सिंह के मुख्य प्रतिद्विंदी रहे।वहीं भारतीय जनता पार्टी से डॉ. श्याम सिंह शाक्य प्रत्याशी रहे थे।भारतीय जनता पार्टी के ही सच्चे सिपाही माने जाने वाले डॉ. महादीपक सिंह शाक्य कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे।
मुलायम सिंह यादव ने कल्याण सिंह का एटा में दिया साथ
कल्याण सिंह ने उस समय भले ही भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी थी,लेकिन इस लोधी बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र में कल्याण सिंह का जादू सर चढ़कर बोल रहा था।मतदाताओं ने कल्याण सिंह को जबरदस्त वोट देकर संसद भेजा।इसके बाद कल्याण सिंह का यहां आना जाना लगा रहा,लेकिन इसके बाद में मुलायम सिंह यादव ने अपनी पार्टी के अंदर चल रहे अंदरूनी मतभेदों की वजह से मुलायम सिंह यादव ने कल्याण सिंह से दूरियां बनाना शुरू कर दिया था।
1993 में जब दो मुलायम ने एटा से लड़ा विधानसभा चुनाव
मुलायम सिंह यादव जब वर्ष 1993 के चुनाव में एक साथ तीन सीटों से चुनाव लड़ने की ठानी थी। मुलायम सिंह यादव इटावा जिले की जसवंतनगर, फिरोजाबाद की शिकोहाबाद और एटा जिले की निधौली कलां सीटों से पर्चा भरे थे और तीनो सीटो पर चुनाव लडा था।एटा की निधौली कलां सीट से चुनाव लड़ रहे मुलायम सिंह यादव के सामने एक निर्दलीय प्रत्याशी मुलायम सिंह लड़ने आ गए थे। इस विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ रहे मुलायम सिंह यादव को कुल 41683 वोट मिले और जीत गए।वही उनके नाम से चुनाव लड़ रहे दूसरे मुलायम सिंह को 184 वोट मिले।
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