लखनऊ।उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है।उपचुनाव को लेकर यूपी की सियासत गरम है।भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी उपचुनाव में जीत दर्ज करने के लिए ऐड़ी से लेकर चोटी तक जोर लगा रखा है।अब उपचुनाव में आजम खान परिवार की एंट्री हो गई है।उपचुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री सपा मुखिया अखिलेश यादव और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद को आजम परिवार की याद आ गई है।इधर अखिलेश यादव रामपुर में आजम खान के परिवार से मुलाकात करने वाले हैं और उधर आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने हरदोई जेल में अब्दुल्ला आजम से मुलाकात कर ली।चंद्रशेखर और अब्दुल्ला की मुलाकात से यूपी की सियासत तेज हो गई है।
मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में प्रचार के बाद अखिलेश यादव रामपुर पहुंचेंगे और आजम खान के परिवार के साथ मुलाकात करेंगे।अखिलेश आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी में हेलीकॉप्टर से पहुंचेंगे।अखिलेश यादव आजम खान के जेल में जाने के बाद उनके परिवार से रामपुर पहली बार मिलने जा रहे हैं,लेकिन इससे पहले चंद्रशेखर आजाद ने आजम के बेटे अब्दुल्ला से हरदोई जेल में मुलाकात कर ली।
आजम परिवार से अखिलेश यादव और चंद्रशेखर की मुलाकात की सबसे बड़ा कारण मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट है।कुंदरकी सीट पर आजम खान का अच्छा खासा दखल माना जाता है। कुंदरकी विधानसभा सीट पर 64 फीसदी मुलिम आबादी है। कुंदरकी में पिछले 31 साल से भाजपा की जीत नहीं हुई है।
इस बार कुंदरकी सीट पर मुकाबला कड़ा माना जा रहा है।इस बार यहां सपा से हाजी रिजवान, भाजपा से ठाकुर रामवीर सिंह और बसपा से रफतुल्लाह मैदान में हैं। इसके अलावा चंद्रशेखर आजाद की पार्टी और AIMIM भी किस्मत आजमा रही है। चंद्रशेखर ने कुंदरकी से चांदबाबू को प्रत्याशी बनाया है।कुंदरकी सीट सपा विधायक जियाउर रहमान बर्क के सांसद बनने से खाली हुई है।वहीं मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर भी कड़ी टक्कर मानी जा रही है।यहां चंद्रशेखर आदाज ने अपने प्रत्याशी को उतारकर सपा और अन्य दलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आरएलडी को छोड़कर सभी दलों से मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।सपा ने मीरापुर से बसपा के वरिष्ठ नेता मुनकाद अली की बेटी सुम्बुल राणा को प्रत्याशी बनाया है।वहीं आजाद समाज पार्टी ने जाहिद हुसैन को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने मीरापुर सीट अपने गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ी है।आरएलडी ने मीरापुर से पूर्व विधायक मिथिलेश पाल को प्रत्याशी बनाया है और बसपा ने शाह नजर को प्रत्याशी बनाया है।
मीरापुर विधानसभा में मुस्लिम,जाट और दलित वोटर जीत और हार तय करते रहे हैं।पिछले 57 साल से मीरापुर में कोई स्थानीय नेता चुनाव नहीं जीता है।मीरापुर में मुस्लिम वोटरों की संख्या ज्यादा हैं। लगभग 1 लाख 30 हजार मुस्लिम वोटर हैं। वहीं दलित वोटरों की संख्या लगभग पांच हजार है। 2022 के विधानसभा चुनाव में मीरापुर सीट पर आरएलडी के चंदन चौहान ने जीत दर्ज की थी इसलिए भाजपा ने यह सीट आरएलडी को दे दी,लेकिन पिछली बार और इस बार में अंतर ये है कि पिछली बार आरएलडी का गठबंधन सपा के साथ था और इस बार भाजपा के साथ है।चंदन चौहान के सांसद बनने से मीरापुर सीट खाली हुई है इसलिए यहां उपचुनाव हो रहा है।
सपा ने कुंदरकी,मीरापुर,सीसामऊ और फूलपुर सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं।फुलपूर को छोड़कर बाकी की तीन सीटों पर सपा का पूरा दारोमदार मुस्लिम वोटों पर ही टिका है। यहां मुस्लिम वोटों के बंटवारे का खतरा बना हुआ है,जिससे सपा की टेंशन बढ़ गई है।यही कारण है कि अखिलेश यादव ने आजम परिवार से मिलकर मुस्लिम वोटों को एकजुट रखने की कवायद में है।उधर कुंदरकी और मीरापुर सीट पर चंद्रशेखर ने भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं।इसलिए चंद्रशेखर ने भी इस मुलाकात के बहाने मुस्लिम वोट साधने की जुगत में हैं।
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