महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना, जानें कैसे हो रही है गिनती
महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना, जानें कैसे हो रही है गिनती

01 Feb 2025 |  40




प्रयागराज।त्रिवेणी के संगम तट पर दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू है।महाकुंभ का यह अद्भुत संगम आध्यात्मिकता,रहस्यवाद और अद्वितीय संत परंपराओं का जीवंत प्रमाण है।महाकुंभ में आस्था और चमत्कारों का अद्भुत मेल दिख रहा है।संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए करोड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में अगर आप भी आए हैं तो आपको पता तक नहीं चलेगा कि एक आभासी रेखा (वर्चुअल लाइन) के पार करते ही आपकी गिनती हो जाएगी।तकनीक के संगम से ये हो रहा है।इसके लिए सबसे अधिक निर्भरता एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर है।एआई से मेला क्षेत्र में आने वाले सभी मुख्य रास्तों पर आभासी रेखा खींची गई है।एआई कैमरों को इस तरह से इंस्टॉल किया गया है कि आभासी रेखा पार करते ही श्रद्धालुओं की गिनती हो जाती है।एआई कैमरा श्रद्धालुओं का सिर ही नहीं गिनता,बल्कि उनकी फोटो भी अपने डेटाबेस में संग्रहीत कर लेता है।इससे यह फायदा होता है कि अगर श्रद्धालु की फोटो कहीं किसी दूसरे कैमरे में कैप्चर हो तो सॉफ्टवेयर उसे पहचान लेगा और एक ही फोटो की अलग-अलग गिनती को छांट देगा ताकि श्रद्धालुओं की गिनती वास्तविकता से ज्यादा से ज्यादा हो।

श्रध्दालुओं की गिनती करने के लिए और भी तरीके अपनाए जा रहे हैं।मोबाइल कंपनियों के टावर के बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) से भी डाटा उठाते हैं और इनके संयोजन को भी आंकड़ों के सही अनुमान के लिए उपयोग में लेते हैं।महाकुंभ में बने इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर में सभी डाटा का संकलन कर अंतिम संख्या तय की जाती है।महाकुंभ में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना का है। 17 दिनों में अभी तक लगभग 28 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई है।सबसे अधिक मौनी अमावस्या के दो दिनों में लगभग 13 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई।

यह दुनिया का सबसे बड़ा हेड काउंट हो रहा है,जो कीर्तिमान रचेगा।श्रद्धालुओं की गिनती और ट्रैकिंग के लिए मेला क्षेत्र में 200 जगहों पर लगभग 744 अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं,वहीं शहर के अंदर 268 जगहों पर 1107 स्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।सौ से अधिक पार्किंगों में 720 सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं।इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर के अलावा पुलिस लाइन कंट्रोल रूम,अरैल और झूंसी क्षेत्र में व्यूइंग सेंटर हैं।यहां से श्रद्धालुओं की मॉनिटरिंग की जा रही है।

हेड काउंट में एक श्रद्धालु की बार-बार गिनती न हो इसके लिए टर्नअराउंड साइकिल तकनीक है।घाट क्षेत्र में एक तीर्थयात्री द्वारा औसतन लिया गया समय टर्नअराउंड साइकिल माना गया है।टर्नअराउंड समय निर्धारित तीन विधियों के माध्यम से सैंपल्स का औसत आंकड़ा होता है। इसमें पहला एट्रिब्यूट आधारित खोज है, जिसके तहत पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरों के आधार पर ट्रैकिंग की जाती है।दूसरा आरएफआईडी रिस्ट बैंड पर आधारित है,जिसमें मुख्य स्नान के साथ-साथ महाकुंभ में हर दिन आने वाले श्रद्धालुओं को रिस्ट बैंड दिया जाता है। रिस्ट बैंड को ट्रैक किया जाता है,जिससे पता चल जाता है कि श्रद्धालु ने महाकुंभ में कितना समय बिताया, कितनी देर रहा।तीसरी विधि मोबाइल एप से ट्रैकिंग होगी, जिसमें श्रध्दालु की सहमति पर मोबाइल एप के जीपीएस लोकेशन के जरिए लोकेशन ट्रैकिंग की जा रही है।

आईजी रेंज प्रेम कुमार ने आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों की टीम की मदद से एल्गोरिदम भीड़ घनत्व निगरानी प्रणाली विकसित की है। यह एक ऐसी प्रणाली है जो वास्तविक समय में श्रद्धालुओं की भीड़ के दृश्यों वाले छवि संकेतों का विश्लेषण और प्रसंस्करण करने के लिए कंप्यूटर विजन तकनीक का उपयोग करती है। श्रद्धालुओं की भीड़ घनत्व का पता लगाने में मुख्य रूप से गति का पता लगाना और घनत्व का अनुमान लगाना शामिल है।

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