यूपी के न‌ए धर्मांतरण कानून से सीएम योगी की ताकत बरकरार रहेगी या बढ़ेगी भी:धनंजय सिंह
यूपी के न‌ए धर्मांतरण कानून से सीएम योगी की ताकत बरकरार रहेगी या बढ़ेगी भी:धनंजय सिंह

01 Aug 2024 |  195





लखनऊ।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सियासी उभार में लव जिहाद मुहिम का सर्वाधिक योगदान रहा है।मौजूदा मुसीबतों के बीच एक बार फिर सीएम योगी ने अपने आजमाये हुए हथियार पर ही भरोसा जताया है और यही कारण है कि विधानसभा में जो संशोधित धर्मांतरण विधेयक पास हुआ है, उसे लव जिहाद कानून के तौर पर ही देखा जा रहा है।

सीएम योगी ने अपनी तरकश से दो ऐसे तीर छोड़े हैं,जिसमें से एक ब्रह्मास्त्र है,जिसका निशाना अचूक होता है।दूसरा यूपी भाजपा के लिए बहुत बड़ी नसीहत है।सभी के लिए ऊपर से नीचे तक।सीएम ने अपने सारे सियासी विरोधियों को एनकाउंटर स्टाइल में सतर्क कर दिया है कि अगर किसी ने कोई भी चालाकी दिखाई तो नुकसान किसी एक का नहीं होगा,कोई नहीं बचेगा। बेहतर यही है कि मौका रहते सभी लोग सुधर जायें।सीएम ने पूरी भाजपा को सीधे सपाट शब्दों में समझा दिया है अगर आज विधानसभा चुनाव हो जायें तो समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों को बराबर सीटें मिलेंगी।

लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोटों के आधार पर सियासी गुणा-भाग कई जगह किये जा रहे थे, लेकिन खुद सीएम योगी की तरफ से कहा जाना बहुत बड़ी बात है।ये तो साफ शब्दों में चेतावनी है।इस सलाहियत के साथ कि चीजों को कोई हल्के में लेने की कोशिश हुई तो लेने के देने पड़ सकते हैं और ब्रह्मास्त्र तो वो कानून है,जिसमें लव जिहाद के खिलाफ पहले के मुकाबले ज्यादा ही सख्त सजा के प्रावधान किये गये हैं। शादी के लिए जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सीएम ने लव जिहाद के नाम से मुहिम शुरू की थी,जिसकी बदौलत वो मौजूदा मुकाम तक पहुंचे हैं और जब उस जगह पर खतरा मंडरा रहा है तो फिर से उसी मुहिम को और भी सख्त तरीके से आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम 2024 धर्मांतरण विरोधी इस कानून को भी लव जिहाद कानून के नाम से जाना जा रहा है।मीडिया की कई रिपोर्ट में यही नाम पढ़ने को मिल रहा है।कानून के नये स्वरूप में तथ्यों को छिपाकर या डरा धमकाकर धर्म परिवर्तन कराने को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है,जिसमें उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है।नवंबर 2020 में ये एक ऑर्डिनेंस के रूप में सामने आया था,जो बाद में यूपी के दोनो सदनों से पास होकर उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 में तब्दील हो गया था और अब इसे संशोधित कर पहले के मुकाबले ज्यादा सख्त बना दिया गया है।

लव जिहाद की मुहिम यूपी में हिंदू युवा वाहिनी की तरफ से चलाई जाती थी।धीरे धीरे ये मुहिम अब कड़े कानून का रूप ले चुकी है।मुख्यमंत्री बनने से पहले गोरखपुर का सांसद रहते योगी आदित्यनाथ मठ के दायित्वों से इतर अपने सामाजिक गतिविधियों के लिए 2 अप्रैल 2002 रामनवमी के पावन अवसर पर हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया था।राष्ट्रविरोधी, हिन्दू विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाने,सामाजिक समरसता सहभोज,लव जिहाद का खुला विरोध,गौहत्या का पुरजोर विरोध,धर्मपरिवर्तन पर हिंदू युवा वाहिनी कड़ा रुख अपनाया।
सभी उन शक्तियों से मजबूती के साथ लड़ना जो हिंदू समाज और सभ्य समाज के लिए खतरा हो।हिंदू युवा वाहिनी इतनी ताकतवर और असरदार हुई कि पूर्वांचल में योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक दबदबा कायम हो गया और भाजपा के चुनाव जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री भी बन गये। पांच साल सरकार चलाने के बाद सत्ता में वापसी भी कर ली,लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा के घटिया प्रदर्शन के बाद योगी आदित्यनाथ सवालों के घेरे में आ गये।लोकसभा चुनाव के नतीजों के आते ही योगी आदित्यनाथ के सियासी विरोधी सक्रिय हो ग‌ए और कहते हैं कि उसे भाजपा के अंदर से ही हवा दी जाने लगी।विरोध का मुखर स्वर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के मुंह से सुनाई दिया और फिर दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की तरफ से भी वैसे ही तौर तरीके दिखाई देने लगे।

2019 के लोकसभा चुनाव के पहले संघ और भाजपा दोनों की तरफ से सवाल उठाए जाने लगे थे कि अगर मोदी और योगी के रहते हुए अयोध्या में राम मंदिर नहीं बना तो आखिर कब बनेगा।जाहिर है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ यूपी में योगी आदित्यनाथ को भी हिन्दुत्व के कट्टर नेता के तौर पर समझा और समझाया जा रहा था।बहरहाल अब तो राम मंदिर भी बन चुका है।ये बात तो संघ और भाजपा में सबको पता है कि हिंदू नेता की छवि ने ही मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी से प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया है और मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ के सियासी उत्थान को भी उसी नजरिये से ही देखा जाने लगा है।जैसे मोदी की राह में कांटों का अंबार था। योगी के समर्थक मानते हैं कि उनकी राह में कांटो की दीवार खड़ी है।योगी के खिलाफ जो अभियान यूपी भाजपा में चल रहा है,मकसद उनको डिस्टर्ब करना ही है, जिसे उनकी कुर्सी पर सियासी विरोधियों की टिकी नजर के रूप में देखा जा रहा है।गौर करने वाली बात ये है कि जिन सियासी मुद्दों की बदौलत योगी आदित्यनाथ ने यूपी के सीएम की कुर्सी पर कब्जा जमाया,उनको ही और मजबूती से आगे कर कुर्सी पर कब्जा बरकरार रखने की भी कोशिश कर रहे हैं और लगे हाथ अपने सियासी विरोधियों को अपनी स्टाइल में सतर्क भी कर दिया है।

लखनऊ में लोकभवन में एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ ने जो कहा है,उनके मुंह से ऐसे सियासी बयान की शायद ही किसी को अपेक्षा रही होगी, क्योंकि चुनाव में तो सबकी गर्मी शांत कर देने जैसी बातें ही करते हैं और लोकसभा चुनाव नहीं,बल्कि विधानसभा चुनाव में जब योगी का सब कुछ दांव पर लगा होता है।

सीएम योगी का ये कहना कि आज की तारीख में विधानसभा के चुनाव करा दिये जायें तो भाजपा और सपा की बराबर सीटें आ जाएंगी, 185-185. ये बात सीएम योगी ने तब कही थी जब विधानसभा सत्र से पहले भाजपा और गठबंधन सहयोगियों की बैठक हो रही थी।

लोकसभा चुनाव 2024 के आधार पर हिसाब किताब के जरिये सीएम योगी ने आंकड़ों के जरिये यूपी में भाजपा की मौजूदा हैसियत का स्केच अपने तरीके से दिखाया। विधानसभा वार आकलन पेश करते हुए सीएम ने कहा कि लोकसभा के चुनाव के हिसाब से देखा जाये तो 183 सीटों पर सपा और 16 सीटों पर कांग्रेस जीती है और अगर अभी विधानसभा चुनाव हो जायें तो भाजपा और सपा दोनों को बराबर 185-185 सीटें मिलेंगी।ऐसे में जबकि जल्दी ही उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं।सीएम योगी ने ऐसा बयान यूं नहीं दिया है,बल्कि ये तो पूरी भाजपा को अपनी तरफ से यूपी की सियासी हकीकत से वाकिफ कराने की कोशिश है।

देखा जाये तो सीएम योगी ने अपनी तरफ से साफ कर दिया है कि अगर यूपी की कमान उनके हाथ से छूटी तो सरकार और संगठन में फर्क समझाने वाले भी उस स्थिति में नहीं रहेंगे, अगर सरकार की कमान उनके हाथ में नहीं रही तो संगठन कुछ नहीं कर पाएगा,सावधानी हटी नहीं कि सपा सरकार बना लेगी। ये तो ऐसा लग रहा है जैसे भाजपा और नीतीश कुमार बिहार में जंगलराज के नाम पर लोगों को डराते रहते हैं और यहां सीएम योगी के निशाने पर उनके भाजपा में सियासी विरोधी हैं।

सीएम योगी ने अपनी तरफ जो कहना है कह दिया है। भाजपा चाहे तो आजमा ले।अब कोई ये बताने या जताने की कोशिश न करे कि यूपी में भाजपा की हार के लिए सीएम योगी जिम्मेदार हैं।हार का एक ठीकरा भी सीएम योगी ने ऐसे विधायकों पर भी फोड़ा है जो अपनी विधानसभा और सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं हैं।मतलब अगली बार उनके टिकट पर भी खतरा हो सकता है।जहां-जहां भाजपा लोकसभा सीटें हारी है उसके लिए वहां के विधायक जिम्मेदार ठहराये जाएंगे और अगले चुनाव से पहले उन सभी से हिसाब किताब भी होगा,जिन विधायकों का चुनावी प्रदर्शन अच्छा नहीं है और वे चाहे जिस भी तरीके से विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं, या फिर विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं उनकी भी अब खैर नहीं है।

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