धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी
कोविड-19 की महामारी व लाॅकडाऊन की कठिनाइयों की बीच केंद्र सरकार ने देश में किसानों की आय को बढ़ावा देना और कृषि और ग्रामीण विकास के लिए जिस तरह से व्यय बढ़ाया है,ग्रामीण भारत को लाभान्वित होने की उम्मीद है।
2020-21 मे खरीफ के सीजन में खाद्यान्न का रिकार्ड 14.4 करोड़ टन से ज्यादा उत्पादन होने की उम्मीद ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सुकून भरा है।ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ग्रामीण भारत उबरने वाला सहारा दिखायी दे रहा है।बताते चले कि कोविड-19 की मुश्किलों से राहत दिलाने के लिए देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए घोषित की गई विभिन्न योजनाओं के तहत पिछले दिनों बड़े पैमाने पर किया गया व्यय का असर अब ग्रामीण भारत में कमोबेश दिखने लगा है।रबी की जबरदस्त पैदावार के बाद फसल के लिए किसान को लाभप्रद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)मिला है।
सरकार द्रारा मनरेगा के जरिए ज्यादा रोजगार के ज्यादा आवंटन के अलावा किसानो की दी गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि,गरीब के जन-धन खाते में नगद रूपये डाले गये व प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान की तरह कदम से किसान के पास बड़ी धनराशि पहुंची है।
अब खरीफ की फसल की अच्छी बुआई और अच्छे मानसून ने ग्रामीणों की आय और उनके खर्च में बढोतरी की नई उम्मीद को जगा दिया है।विगत 21 सितम्बर को सरकार ने आने वाली रबी की फसल के तहत छह रबी फसलें गेहूं,चना,मसूर इत्यादि का न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाया है।गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 50 रू से बढ़ा कर 1,975 रू प्रति क्विंटल किया है।
ग्रामीण की बाजारों में उर्वरक,बीज,कृषि रसायन,कृषि उपकरणों के साथ-साथ ग्रामीणों की मांग में भी अब तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।इसमे कोई दो मत नही कि कोविड-19 की दिक्कतों के बीच ग्रामीण भारत में लोगों को रोजगार देकर उनकी आय बढ़ाने में मनरेगा की भी प्रभावी भूमिका रही है।
मनरेगा ने न केवल गांवों में परंपरागत रूप से काम कर रहे लोगों को रोजगार दिया बल्कि शहर से गांव लौटे प्रवासियों को भी रोजगार दिया है।मनरेगा के जरिए काम मांगने वाले लोगों की संख्या भी हाल के दिनों में बढ़ी है।उल्लेखनीय है कि मनरेगा पर मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट में 61,500 करोड़ रूपये रखे गये थे।फिर कोविड-19 की कठिनाइयों की चुनौती के कारण इसमे 40,000 करोड़ रू बढ़ाये गये।पिछले पांच महीनों में मनरेगा की कुल आवंटित धनराशि में से करीब 60 प्रतिशत से ज्यादा खर्च हो चुकी है।
कोविड-19 और लाॅकडाऊन के कारण अपने गांव लौटे लाखों ग्रामीणों के लिए रोजगार सुनिश्चित करने के लिए विगत जून में 50,000 करोड़ के आवंटन के साथ शुरू किए गए गरीब कल्याण रोजगार अभियान से भी ग्रामीणों की आय बढ़ी है।कुल छह राज्यों के 116 जिलों में चलाए जा रहे इस अभियान के जरिए रोजगार के नए अवसर सृजित किये जा रहे है और लोगों की आय बढ़ रही है।
ये उल्लेखनीय भी है कि हाल ही में संसद से पारित हुए कृषि सुधार से संबंधित तीन विधेयक खासकर छोटे किसानों की आर्थिक हालत मजबूत बनाने में कारगर साबित होगी,हालांकि ये भी सही है कि इन विधेयकों में कुछ चीजें साफ न होने के कारण किसानों में भ्रम भी है।इसके अलावा किसान रेल भी कृषि कृषि व ग्रामीण विकास को नया आयाम देते हुए दिखेगी।
हलांकि अभी ग्रामीण क्षेत्र में सुधार के लिए ऐसे और उपाय अपनाना होगा,जिनसे किसानों की आय में और बढ़ोतरी हो।इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लघु और कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करना होगा।उन्हें आसान तरीके से कर्ज देना निर्धारित करना होगा।खराब होने वाले कृषि उत्पादों के लिए लाॅजिस्टिक्स सुद्ढ़ करने की भी आवश्यकता है,जिससे किसानों का अच्छा मुनाफा मिले।हम आशा करते है कि कोविड-19 के बीच सरकार द्रारा ग्रमीण भारत के लिए कार्यान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं और ग्रामीण राहत पैकेज से ग्रामीण इलाके में मांग और बाजार की चमक और बढ़ेगी तथा ग्रामीण भारत देश की अर्थव्यवस्था को सहारा देते हुए दिखाई देगा।
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