लखनऊ।उत्तर प्रदेश विधान परिषद की खाली 6 सीटों के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जाना है।सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपने उम्मीदवारों का चयन करते समय जाति संतुलन को बाखूबी ध्यान में रखकर मंथन करने में जुटी हुई है।विधान परिषद में छह सीटों पर मनोनयन होना है।ये सीटें पिछले दो माह से खाली पड़ी हुई हैं।जो सूची सरकार भेजती है उसे राजभवन की तरफ से मंजूरी प्रदान कर दी जाती है।बरहाल उत्तर प्रदेश में कुछ मौके ऐसे भी आए जब राजभवन ने नॉमिनेटेड उम्मीदवार का मनोनयन करने से इंकार कर दिया था।ऐसी परिस्थिति उस समय उत्पन्न हुई थी जब यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और राज्यपाल राम नाइक थे।
जातिय गणित के हिसाब से तलाशे जा रहे नाम
भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी विधान परिषद की 6 सीटों को जातीय गणित के हिसाब से चुनेगी। ऐसे में विधान परिषद में जिस समुदाय की संख्या ज्यादा होगी उससे संगठन किनारा कर सकता है।यूपी में कुल मतदाताओं में 7% हिस्सेदारी के साथ क्षत्रिय समुदाय की है। यूपी विधान परिषद में 25% से अधिक सीटों पर इसी समाज के एमएलसी काबिज हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो इनके पास पहले से ही विधान परिषद की 92 में से 24 सीटों पर कब्जा है। उच्च सदन में कुल 100 सदस्यों की संख्या है।
भाजपा OBC, दलित और ब्राह्मण पर लगा सकती है दांव
विधान परिषद के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा के 73 सदस्यों में से 20 ठाकुर हैं।इसमें यूपी के दो मंत्री जेपीएस राठौर और दिनेश प्रताप सिंह शामिल हैं। इसके अलावा, तीन निर्दलीय विक्रांत सिंह, राज बहादुर सिंह,अन्नपूर्णा सिंह और रघुराज प्रताप सिंह राजा भइया के नेतृत्व वाली जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अक्षय प्रताप सिंह ठाकुर समुदाय से हैं। इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा नामित वर्ग में ओबीसी और दलितों को और जगह देने के अलावा ब्राह्मण और व्यापारी समुदायों के उम्मीदवारों पर दांव लगा सकती है।
संगठन को नए बॉस का है इंतजार
भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी के थिंक टैंक की राय है कि राज्य इकाई का नया अध्यक्ष मिलने के बाद छह उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा। योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में कैबिनेट सीट मिलने के बाद यूपी भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है।हालांकि नया अध्यक्ष पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा स्वीकार किया जाना बाकी है। वहीं दूसरी ओर यूपी भाजपा महासचिव (संगठन) सुनील बंसल का कार्यक्षेत्र बदलने के बारे में भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
MLC की दो सीटों पर भाजपा साध चुकी है समीकरण
सत्ताधारी पार्टी राज्यपाल के परामर्श से इन सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों को नामित करती है। अपने जातीय समीकरण को सही करते हुए भाजपा ने हाल ही में दलित निर्मला पासवान को, ठाकुर जयवीर सिंह की खाली सीट पर मैदान में उतारा है। सपा के वरिष्ठ नेता अहमद हसन के निधन के बाद खाली हुई सीट पर भाजपा ने ओबीसी धर्मेंद्र सिंह सैंथवार को भी मैदान में उतारा है। इन दोनों सीटों पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही है,क्योंकि सपा की एक मात्र महिला उम्मीदवार का नामांकन कम उम्र की वजह से रद्द हो गया है।
2 महीने से खाली हैं मनोनीत एमएलसी की 6 सीटें
विधान परिषद में छह मनोनीत सीटों में से तीन 28 अप्रैल को सपा से बलवंत सिंह, जाहिद हसन और मधुकर जेटली के सेवानिवृत्त होने के बाद खाली हुई थीं। 25 मई को राजपाल कश्यप, अरविंद कुमार सिंह और संजय लाठर समेत सपा के तीन और सदस्यों ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। इस वजह से कुल मिलाकर 6 सीटें खाली हैं जिनपर नए सदस्यों को मनोनीत होना है। यह सीटें 2 महीने से खाली हैं लिहाजा नए प्रदेश अध्यक्ष के इंतजार में ये सीटें अटकी हुई हैं।
|