
लखनऊ।दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में मंगलवार को दोपहर बाद दिन-दहाड़े 3 बजे जिस तरह आतंकियों ने खूनी की होली खेली,उसे देखकर भारत ही नहीं पूरा विश्व थर्रा उठा है।इस हमले ने साबित कर दिया है कि आतंकियों का धर्म नहीं होता है,ये क्रूर,खूनी और लालची दिमाग वाले होते हैं।ये खुद को किसी भी हद से नीचे ले जाकर गिरा सकते हैं।
बता दें कि इस श्रेणी के ही खूंखारों को विश्व भर की खुफिया और जांच एजेंसियां स्लीपर सेल कहती हैं।भारत में मौजूद इन स्लीपर सेलों को अगर ढूंढकर मार डाला जाए, तो फिर पहलगाम और पुलवामा को खूनी होने से बचाया जा सकता है।पहलगाम सी खूनी घटनाओं को अंजाम देने वाले गद्दार तो दुश्मन देश से आए हुए भाड़े के होते हैं,लेकिन स्लीपर सेल तो हमारे अपने ही पैदा किए पाले-पोसे अपने ही गद्दार’ होते हैं।
स्लीपर सेल गंदी नाली की कीड़ों की कौम
स्लीपर सेल गंदी नाली की कीड़ों की कौम हैं,जो हम इंसानों के बीच ही से पैदा होकर हमारे ही बीच सोते,जागते रहते हैं और खाते-पीते और कमाते हैं।स्लीपर सेल समूह में भी होते हैं और अकेले-अकेले भी।स्लीपर सेल उस खास जगह पर हमारे बीच में ही छिपकर रहते हैं,जहां इन्हें आतंकियों से हमला करवाना होता है।यानी कि टारगेटिड गांव,शहर या फिर देश।आतंकियों का काम तो सिर्फ और सिर्फ दुश्मन देश में बेकसूरों को गोलियों-बमों से हमला करके मार डालने भर का होता। उससे पहले पूरे षडयंत्र का तानाबाना तो गद्दार स्लीपर सेल बुनते हैं।
स्लीपर सेल मतलब गद्दार
उदाहरण के लिए पहलगाम में खेली गई खूनी होली को ही ले लें।पर्यटकों पर हमला करने वाले आतंकी बेशक पाकिस्तानी हैं,इन पाकिस्तानी आतंकियों को पहलगाम या उसके आसपास हथियार,शरण का इंतजाम तो स्लीपर सेलों ने ही किया होता है,विदेशी आतंकियों को लोकल के बारे में अंदर की कोई जानकारी नहीं होती है।
आतंकियों के मददगार स्लीपर सेल
पहलगाम हुए नरसंहार में सब कुछ असली और जमीनी काम तो स्लीपर सेलों का ही किया धरा है।स्लीपर सेल उस स्थानीय इलाके के ही इंसानों के बीच पले-बढ़े,पीढ़ियों से रहते आने वाले गद्दार होते हैं,जो विदेशी आतंकियों या टारगेट किलिंग करने वालों के असली मददगार होते हैं।
स्लीपर सेल आतंकियों के हैं बाप
स्लीपर सेल वो देश की गद्दार कौम है जो किसी भी देश में आतंकी घटना को अंजाम दिए जाने तक एकदम शांत-खामोश पड़े रहते हैं,क्योंकि स्लीपर सेल ही अगर शोर मचाएंगे तो फिर वे स्लीपर सेल वाले खतरनाक काम को अंजाम ही नहीं दे पाएंगे।स्लीपर सेल ही उन आतंकियों को लोकल इलाके में सभी सुविधाएं,रास्ते बताना,उनके लिए पैसों का इंतजाम,उन्हें टारगेट वाली जगह के एकदम करीब बेहद सुरक्षित जगह पर छिपाने के लिए गुप्त स्थान का इंतजाम आदि करते हैं।
आतंकी सिर्फ टारगेट ध्वस्त करेगा
जैसे ही आतंकी टारगेट को अंजाम दे देते हैं तो स्लीपर सेल गायब हो जाते हैं।महीनों की बात छोड़िए,कई-कई साल तक सोई हुई अवस्था में पड़े रहकर स्लीपर सेल आतंकियों के लिए तब तक सुरक्षित रखने के इंतजामों में जुटे रहते हैं जब तक कि वे अपने टारगेट को बर्बाद न कर लें।स्लीपर सेल के बिना बड़े से बड़ा कोई आतंकी दुनिया में कहीं भी किसी भी विध्वंसक कार्यवाही को अंजाम ही नहीं दे सकता है,क्योंकि उसे टारगेट के आसपास छिपने की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है, उसे तो टारगेट को फिनिश करने की ट्रेनिंग दी जाती है,कोई भी तुर्रमखां आतंकी टारगेट किलिंग या टारगेट शहर,गांव, कस्बा,इमारत के आसपास खुद को कतई छिपा पाने की काबिलियत नहीं रखता है,यह सब खूबियां सिर्फ और सिर्फ लोकल हमारे आपके बीच छिपे बैठे अपने ही गद्दार स्लीपर सेल की होती है।
स्लीपर सेल के बिना आतंकी नपुंसक
लंबे समय तक आम-अनजान भीड़ के बीच खुद को छिपाने का हुनरमंद आतंकियों में नहीं होता है,यह खूबी सिर्फ स्लीपर सेल में ही होती है,क्योंकि उसकी बाप-दादों से लेकर खुद की पीढ़ी तक के बीच अपने आप को छिपाए रखने की कुव्वत होती है,उस पर कोई शक नहीं कर सकता है,जब तक कि वो आतंकी से उसका टारगेट ध्वस्त न करवा ले।
स्लीपर सेल जनता के बीच सजग गद्दार हैं
अगर आतंकी द्वारा टारगेट ध्वस्त करने से पहले ही, इन्हीं गद्दार स्लीपर सेल या स्लीपर सेलों को दबोच या मार डाला जाए तो आतंकी अपने टारगेट पर गोलियां बरसाने की नौबत तक ही नहीं पहुंच सकते हैं।स्लीपर सेल दरअसल किसी भी आतंकी या आतंकवादी गुट का,लोकल के बीच छिपा मुखबिर होता है,स्लीपर सेल आतंकियों की तुलना में कहीं ज्यादा खुराफाती दिमाग और शांत चित्त-प्रकृति के सोई हुई अवस्था में भी बेहद सजग गद्दार होते हैं।
पहलगाम में सरकारी स्लीपर सेल फेल
भारतीय एजेंसियों जैसे कि रॉ,आईबी,जम्मू कश्मीर पुलिस और उसके लोकल इंटेलीजेंस यूनिट,एनआईए,भारतीय मिलिट्री खुफिया एजेंसी के भी अपने-अपने स्लीपर सेल होते हैं।ये सब आम पब्लिक के बीच उसी तरह से छिपकर काम करते हैं,जैसे आतंकियों के स्लीपर सेल।पहलगाम खूनी कांड से पहले भारतीय सरकारी एजेंसियों,मिलिट्री और जम्मू कश्मीर पुलिस के स्लीपर सेल गहरी नींद में ही सोते रह गए और वे पता नहीं लगा सके कि पाकिस्तानी आतंकी उनकी नाक के नीचे ही पहलगाम में 28 निर्दोषों को गोलियों से भून कर जिंदा भाग जाएंगे। आतंकियों के स्लीपर सेल के सामने इस बार भारतीय एजेंसियों के स्लीपर सेल सोते ही रह गए,ये घोर लापरवाही और अक्षम्य अपराध का द्योतक है।
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