
ब्यूरो धीरज कुमार द्विवेदी
लखनऊ।देश के अलग-अलग राज्यों में भाषा विवाद का मुद्दा गरमाया हुआ है।तमिलनाडु और महाराष्ट्र के बाद अब उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शनिवार को अपनी प्रतिक्रिया दी है।जनगणना,नई शिक्षा नीति और भाषा थोपने को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच राजनीतिक विवादों पर मायावती ने प्रतिक्रिया दी है। मायावती ने इन सभी मुद्दों पर चिंता जताई है। मायावती ने कहा कि इनका सार्वजनिक और राष्ट्रीय हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
पूरे देश को लेकर चलें
पूर्व सीएम मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि यह स्वाभाविक है कि जनगणना और उसके आधार पर लोकसभा सीटों के पुनर्आवंटन, नई शिक्षा नीति और भाषा थोपने आदि को लेकर राज्यों और केंद्र के बीच इन विवादों का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किए जाने से सार्वजनिक और राष्ट्रीय हित प्रभावित होंगे। सुशासन वह है जो संविधान के अनुसार पूरे देश को साथ लेकर चले।
सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी शिक्षा पर दिया जाए जोर
मायावती ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों,खासकर हाशिए के समुदायों,दलितों,आदिवासियों के सामने आने वाली समस्याओं को उजागर किया है। मायावती ने सरकार से अंग्रेजी शिक्षा पर अपने रुख का पुनर्मूल्यांकन करने का आग्रह किया है।
अंग्रेजी का ज्ञान हासिल किए बिना नहीं बढ़ सकते आगे
मायावती नेकहा कि 'वैसे भी सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे, खासकर शोषित और उपेक्षित गरीब, दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के बच्चे, अंग्रेजी का ज्ञान हासिल किए बिना आईटी और कौशल क्षेत्रों में कैसे आगे बढ़ सकते हैं। भाषा के प्रति नफरत अनुचित है।
पार्टी ने की समीक्षा बैठक
मायावती ने कहा कि दिल्ली में महाराष्ट्र और गुजरात जैसे पश्चिमी राज्यों तथा कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल सहित दक्षिणी राज्यों में पार्टी के संगठन को मजबूत करने पर केंद्रित एक गहन समीक्षा बैठक हुई। मायावती ने गुरुवार को इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में गरीबों और दलितों पर बढ़ते अत्याचार बेहद चिंताजनक हैं।
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