झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल काॅलेज में 15 नवंबर 2024 शुक्रवार रात के साढ़े 10 बजे की यह तारीख कभी भुलाई नहीं जा सकती।मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में भीषण आग लग गई और 10 मासूम बच्चों की मौत हो गई। वहीं 16 बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए।ये 16 मासूम बच्चे इमरजेंसी वार्ड में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। इस हादसे के बाद मेडिकल काॅलेज प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं।
शुरुआती जांच में सामने आया है कि महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल काॅलेज के NICU में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट हुआ,जिससे आग काफी तेजी से फैली।कैमरा हाइली ऑक्सिजनेटेड था।वार्ड में आग तेजी से फैली तो स्टॉफ और परिजन अपनी जान बचाने के लिए भागे।धुआं अधिक होने से दम भी घुट रहा था। बच्चों के परिजनों का आरोप है कि मेडिकल काॅलेज की लापरवाही से 10 मासूमों की जान चली गई।
हादसे को लेकर उठते वो 7 सवाल
क्या आस-पास कोई फायर एक्सटिंग्विशर था, फायर एक्सटिंग्विशर,मतलब अग्निशामक यंत्र,जिसका इस्तेमाल आग बुझाने के लिए होता है।
अगर फायर एक्सटिंग्विशर NICU के पास था तो उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया।
क्या कोई फायर एक्सपर्ट, फायर फाइटर ऐसे हालात से निपटने के लिए अस्पताल में मौजूद था।
ऐसे हालात से निपटने के लिए मेडिकल काॅलेज में पहले से इंतजाम होते हैं।फरवरी में मेडिकल कॉलेज का फायर सेफ्टी ऑडिट भी की गई थी और जून में मॉक ड्रिल भी की गई थी, तो फिर जब यह हालात बने तो क्यों आग पर फौरन काबू नहीं पाया गया।
दमकल टीम को पहुंचने में देरी क्यों हुई।
मेडिकल कॉलेज में आग लगने के बाद शुरू में सिर्फ दो फायर टेंडर्स क्यों भेजे गए।
मेडिकल काॅलेज में लगा सेफ्टी अलार्म क्यों नहीं बजा।
कमरा हाइली ऑक्सिजनेटेड था।
NICU के अंदर दो वार्ड थे। अंदर के वार्ड में गंभीर बीमार बच्चे मौजूद थे,जहां पर कमरा हाइली ऑक्सिजनेटेड होने से आग तेजी से फैली और 10 मासूम बच्चों को बचाया नहीं जा सका, जबकि बाहरी NICU में मौजूद बच्चों को निकाला गया। अस्पताल में अफरातफरी की स्थिति रही।यह हादसा रात साढ़े 10 बजे हुआ। परिजनों के मुताबिक शुरुआत में उन्हें वार्ड से धुआं उठते दिखाई दिया, लेकिन देखते ही देखते ही आग भड़क गई। कुछ सोचने-समझने का मौका ही नहीं मिला।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। सीएम ने इसकी रिपोर्ट 12 घंटे के अंदर मांगी है। मृतक बच्चों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल बच्चों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये तत्काल मुआवजा देने का निर्देश दिया है।मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन माहोर के मुताबिक एनआईसीयू वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, जिनमें से 10 की मौत हो गई है।
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