नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई,ईडी की चुनौती वाली याचिका पर राहुल-सोनिया को नोटिस,अगली सुनवाई 12 मार्च को
नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई,ईडी की चुनौती वाली याचिका पर राहुल-सोनिया को नोटिस,अगली सुनवाई 12 मार्च को

22 Dec 2025 |   43



 

नई दिल्ली।नेशनल हेराल्ड मामले में सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई।दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत सात लोगों को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी।

सुनावई के दौरान कहा गया कि अंतिम नतीजा यह है कि 50 लाख की रकम के लिए आरोपितों को 2000 करोड़ की संपत्ति मिली।एसजी(सॉलिसिटर जनरल) ने बताया कि एक निजी व्यक्ति ने सक्षम कोर्ट में एक निजी शिकायत दर्ज कराई थी और कोर्ट ने उस पर संज्ञान लिया। 

एसजी ने बताया कि इसे संज्ञान लेने के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी और हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, लेकिन संज्ञान लेने के आदेश की शीर्ष अदालत ने पुष्ट की।

एसजी ने कहा कि मजिस्ट्रेट द्वारा लिए गए संज्ञान में आईपीसी की धारा 420 के तहत अपराध शामिल है,जो एक अधिसूचित अपराध है।एसजी ने कहा कि विवादित आदेश का सार यह है कि अगर कोई एक पेज की प्राथमिकी कराता है, जो ईडी अपराध का मामला बन सकती है,लेकिन अगर कोई कोर्ट सीआरपीसी की धारा- 200 के तहत संज्ञान लेता है, तो वह ईडी शिकायत का आधार नहीं हो सकता। 

एसजी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने बहुत बड़ी गलती की है। यह सिर्फ यह मामला नहीं है, बल्कि इससे कई दूसरे मामलों पर भी असर पड़ेगा। कोर्ट कहता है कि अगर किसी कोर्ट ने निजी शिकायत पर संज्ञान लिया है, तो ईडी कुछ नहीं कर सकती।

इस पर अदालत ने एसजी से पूछा कि क्या कोई ऐसा मामला लंबित है,जहां निजी शिकायत और कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान के आधार पर ईडी ने कोई केस शुरू किया हो,अदालत ने भी पूछा कि क्या यह पहला मामला हो सकता है।

एसजी ने तर्क दिया कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग में अपराध के रजिस्ट्रेशन का तरीका नहीं बताया गया है।जरूरी यह है कि एक आरोप हो,एक आपराधिक गतिविधि हो और वह आपराधिक गतिविधि अधिसूचित अपराध से जुड़ी होनी चाहिए। इसमें प्राथमिकी या आपराधिक शिकायत का जिक्र नहीं है। 

एसजी ने कहा कि मेरे हिसाब से आपराधिक शिकायत ज्यादा मजबूत होती है।एसजी ने कहा कि मैं इस बात पर जोर दे रहा हूं कि इसकी जांच करने की जरूरत होगी।कोर्ट ने पूछा कि क्या इसका संज्ञान शिकायतकर्ता का परीक्षण करने के बाद लिया गया था।अदालत के सवाल का एसजी ने हां में जवाब दिया। एजी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के फैसले का सार यह है कि सिर्फ प्राथमिकी से ही ईडी का मामला बन सकता है, भले ही कोर्ट संज्ञान ले,गवाहों की जांच करे और कहे कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है।भले ही वह अपराध अधिसूचित अपराध हो और ईडी जांच शुरू नहीं कर सकती।

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