मैनपुरी में बड़ा फर्जीवाड़ा:ढाई साल से अल्ट्रासाउंड सेंटर चला रहे फर्जी डॉक्टर को पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा जेल
मैनपुरी में बड़ा फर्जीवाड़ा:ढाई साल से अल्ट्रासाउंड सेंटर चला रहे फर्जी डॉक्टर को पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा जेल

06 Aug 2025 |   84



आशुतोष यादव 

मैनपुरी।उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है,यहां एमबीबीएस की फर्जी डिग्री के सहारे लंबे समय तक अल्ट्रासाउंड सेंटर चला रहे एक तथाकथित रेडियोलॉजिस्ट सुभाष चंद्र को पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।आरोपी ने अपनी गिरफ्तारी के बाद स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे इस पूरे मामले में एक नया मोड़ आ गया है।

कचहरी रोड स्थित जिला अस्पताल के सामने राज अल्ट्रासाउंड सेंटर में तैनात रेडियोलॉजिस्ट सुभाष चंद्र के अभिलेखों की जब स्वास्थ्य विभाग ने जांच की तो चौंकाने वाला सच सामने आया।उसके पास मौजूद एमबीबीएस की डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर पूरी तरह से फर्जी पाए गए।विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सुभाष के खिलाफ सदर कोतवाली में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया। मंगलवार को पुलिस ने उसे जेल भेज दिया।

आरोपी सुभाष चंद्र पुत्र ब्रह्म सिंह शामली जिले के कुढाना का रहने वाला है। उसने अपने फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर राज अल्ट्रासाउंड सेंटर का रजिस्ट्रेशन करवा लिया था। स्वास्थ्य विभाग को लंबे समय तक गुमराह करके यह सेंटर अवैध रूप से चलाया जा रहा था। जब उसके दस्तावेजों की गहनता से जांच की गई तो पता चला कि जिन विश्वविद्यालयों से उसने डिग्री और डिप्लोमा प्राप्त करने का दावा किया था, वहां उसका कोई रिकॉर्ड ही नहीं था।यह अल्ट्रासाउंड सेंटर असल में बृजनंदन राजपूत द्वारा संचालित किया जा रहा था, और सुभाष चंद्र वहां सिर्फ एक सेवा प्रदाता चिकित्सक के तौर पर काम कर रहा था। 

सूत्रों के अनुसार संचालक और इस फर्जी डॉक्टर के बीच किसी बात को लेकर अनबन हो गई थी, जिसके बाद संचालक ने खुद ही जिलाधिकारी से शिकायत कर दी।इसी शिकायत के आधार पर हुई जांच में यह पूरा मामला सामने आया।

पूछताछ के दौरान आरोपी सुभाष चंद्र ने स्वीकार किया कि उसने यह फर्जी डिग्री मध्य प्रदेश से 80 लाख रुपये में खरीदी थी। उसने यह मोटी रकम नोएडा के एक डॉक्टर को लगभग 20 किश्तों में दी थी।

सुभाष चंद्र ने आरोप लगाया कि विभाग में ही ऐसे लोग मौजूद हैं जो गलत कामों में सहयोग करते हैं।उन्होंने ही जानबूझकर उसके कागजातों की जांच को लंबे समय तक लटकाए रखा। सुभाष ने मांग की कि ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।

फर्जी डिग्री से डॉक्टर बनकर पंजीकरण कराने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हो गया है। सीएमओ ने जिले में संचालित सभी निजी क्लीनिक, अस्पताल और अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर तैनात डॉक्टरों की डिग्री की जांच के आदेश दिए हैं।अस्पतालों के नवीनीकरण और पंजीकरण से पहले डॉक्टरों के चिकित्सकीय अभिलेखों की जांच अनिवार्य होगी।जिले में 130 निजी क्लीनिक,अस्पताल और पैथोलाॅजी संचालित हो रहे हैं। इनमें करीब 80 पर बाहरी जिलों के डॉक्टरों के नाम से पंजीकरण कराया गया है। इन डॉक्टरों की डिग्री असली है कि नहीं इसका अभी तक किसी को पता नहीं है। विभाग ने नवीनीकरण और पंजीकरण के समय इनके चिकित्सकीय अभिलेखों की जांच नहीं कराई है।सीएमओ ने नोडल अधिकारी सुरेंद्र सिंह को निर्देश दिए हैं कि क्लीनिक,अस्पतालों और पैथोलॉजी के नवीनीकरण से पहले यहां के डॉक्टरों के चिकित्सा शिक्षा संबंधी अभिलेखों और पंजीकरण की जांच अवश्य करा लें।

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