
नई दिल्ली।राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसकी सरकार इस सवाल के जवाब के लिए जब शनिवार को मतगणना शुरू हुई तो मामला शुरुआत से ही एकतरफा नजर आया। बढ़त के साथ भारतीय जनता पार्टी आगे बढ़ी तो अपने सभी प्रतिद्वंदियों को पराजित करते हुए दिल्ली में 27 साल के सियासी वनवास को खत्म कर प्रचंड जीत दर्ज की।
भाजपा ने दिल्ली में प्रचंड जीत दर्ज कर आम आदमी पार्टी को सीटों के बड़े अंतर से हराकर दिल्ली की कुर्सी पर अपना कब्जा जमाया।पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी का प्रदर्शन निराशा जनक रहा और आप 22 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी।भाजपा की इस आंधी में आम आदमी पार्टी ही नहीं कांग्रेस समेत कई अन्य पार्टी जैसे बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) को दिल्ली चुनाव में कोई खास असर नहीं दिखा और वे एक प्रतिशत से भी कम वोट शेयर हासिल करने में सफल रहे।
एक नजर पार्टियों के प्रदर्शन पर
भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी की बात छोड़ दे तो चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी)का खाता भी नहीं खुला,ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) को 0.78 प्रतिशत, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 0.58 प्रतिशत, भाकपा को 0.2 प्रतिशत और जेडी(यू) को 0.86 प्रतिशत वोट मिले। इसके अलावा कुल 0.56 प्रतिशत मतदाताओं ने कोई नहीं (NOTA) का बटन दबाया।
एक समीकरण ऐसा भी
दिल्ली विधानसभा चुनाव में ध्यान केंद्रित करने का विषय 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपी और वर्तमान में जेल में बंद शिफा उर रहमान खान और ताहिर हुसैन भी रहा, जिसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा और आप के वोट शेयर में कमी की, जिससे कांग्रेस को फायदा हुआ और वह चौथे स्थान पर पहुंच गई।वहीं बसपा दिल्ली में अपनी उपस्थिति फिर से स्थापित करने में नाकाम रही।बसपा ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन 1 प्रतिशत वोट शेयर भी नहीं प्राप्त कर सकी।
वामपंथी पार्टी को नोटा से भी कम वोट
दिल्ली विधानसभा चुनाव में वामपंथी दलों के उम्मीदवार भी कोई करिश्मा नहीं दिखा सके। हालात यह रहे कि छह सीटों पर उतरे वामपंथी उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले। उम्मीदवार वोटों में सेंधमारी करने में भी फेल रहे। जहां छह सीटों पर वामपंथी दलों को कुल मिलाकर 2,158 वोट मिले, जबकि नोटा को 5,627 वोट मिले।
इन सीटों पर उम्मीदवारों का प्रदर्शन
बदरपुर से माकपा के उम्मीदवार जगदीश चंद को 367 वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के विजयी उम्मीदवार राम सिंह नेताजी को 1,12,991 वोट मिले। इस सीट पर 915 वोट नोटा को मिले।
विकासपुरी से भाकपा के उम्मीदवार शेजौ वर्गीस को 580 वोट मिले, जबकि 1,127 वोट नोटा को गए। इस सीट पर भाजपा के पंकज कुमार सिंह विजयी रहे और उन्हें 1,03,955 वोट मिले।
पालम से भाकपा के उम्मीदवार दिलीप कुमार को 326 वोट मिले, जबकि नोटा को 1,119 वोट मिले। भाजपा के कुलदीप सोलंकी को 82,046 वोट मिले।
नरेला से भाकपा (माले) के उम्मीदवार अनिल कुमार सिंह को 328 वोट मिले, जबकि 981 वोट नोटा को गए। भाजपा के राजकरण खत्री को 87,215 वोट मिले और वे विजयी हुए।
कोंडली में सीपीआई-एमएल के अमरजीत प्रसाद को केवल 100 वोट मिले, जबकि 776 वोट नोटा को गए। आप के कुलदीप कुमार ने 61,792 वोटों से जीत हासिल की।
|