अपने निशाने पर नदियों ने लिया गांव,1500 किसानों की 900 एकड़ फसल हुई बर्बाद,भुखमरी के साये में बड़ी आबादी
अपने निशाने पर नदियों ने लिया गांव,1500 किसानों की 900 एकड़ फसल हुई बर्बाद,भुखमरी के साये में बड़ी आबादी

22 Jul 2024 |  52





लखीमपुर खीरी।शारदा नदी में आए उफान से रविवार को मजरा दंबल टांडा से लेकर रैनागंज तक बना परियोजना तटबंध कट गया,जिससे नदी किनारे लगभग 1500 किसानों की 900 एकड़ कृषि भूमि डूब गई।इसमें गन्ना,धान समेत अन्य फसलें थीं।शारदा नदी का जलस्तर बढ़ने से लगातार फसलें खराब हो रही हैं।किसानों के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है।दंबलटांडा में 2017 में आठ करोड़ रुपये की लागत से शारदा नदी पर तटबंध बनवाया गया था,जो लगातार बाढ़ सहते-सहते कट गया है। ग्रामीणों ने तटबंध की मरम्मत कराने की मांग की है।

लगातार पानी भरा रहने से फसलें खराब हो रही हैं। 2017 में आठ करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए शारदा नदी पर तटबंध की मरम्मत दोबारा से कराने को धनराशि मंजूर नहीं हुई। इससे मरम्मत के अभाव में धीरे-धीरे कटान होता रहा। शारदा नदी के किनारे के खेतों में फसलें बर्बाद हो रही हैं।
ग्रामीणों ने अधिकारियों से बर्बाद हुई फसलों का सर्वे कराकर मुआवजा दिलाने की मांग की है।

ग्राम प्रधान रमेश्वरापुर हर्षदीप सिंह ने बताया कि अगर रेवतीपुरवा व दंबलटांडा दोनों परियोजनाओं की मरम्मत हो जाती है तो किसानों की फसलों को बाढ़ के पानी से बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। बांध कट जाने से 900 एकड़ जमीन जलमग्न हो गई है।दंबल टांडा,रैनागंज,रामनगर,रेवतीपुरवा, बझेडा,दुबहा,नरायनपुरवा आदि गांवों में पानी घुस रहा है।

फिर नदियों के निशाने पर आए गांव

घाघरा नदी ने दो दशकों में जबरदस्त कटान कर सैकड़ों किसानों की हजारों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि निगल ली है। माथुरपुर,कुरतैहा और मोटेबाबा का वजूद खत्म कर दिया था। तीनों गांवों के कटान पीड़ित ग्रामीण नदी से दूर सुरक्षित स्थानों पर जैसे-तैसे अपना आशियाना बनाकर गुजर बसर कर रहे थे, लेकिन घाघरा नदी को शायद वह मंजूर नहीं है। तीनों गांव पुन: घाघरा के निशाने पर आ गए हैं।

साढ़े चार करोड़ की परियोजना को निगल रही घाघरा नदी

खेती-बाड़ी नदी में समाने के बाद ग्रामीणों के आशियाने उजड़ने का खतरा बढ़ गया है।घाघरा नदी लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये की लागत से तैयार परियोजना निगल कर तेजी के साथ आबादी की ओर बढ़ रही है।घाघरा का जबरदस्त कटान देख ग्रामीणों की धड़कनें बढ़ गई हैं।कुरतैहा और माथुरपुर से घाघरा नदी महज दो सौ मीटर की दूरी पर है, जिसकी आबादी करीब 2000 हजार के लगभग है। यहां पर बांध घाघरा नदी में समा गया। इससे घाघरा आबादी की ओर बढ़ रही है। कई जगह बांध परियोजना पहली बारिश में ही धंस गई। जहां पैचअप कार्य हो रहा है।बाढ़ खंड विभाग के विगत वर्षों में कुर्तैहा और माथुरपुर गांवों को बचाने के लिए 498.52 लाख रुपये की लागत से 780 मीटर लम्बाई में बांध बनाया था। ऊपर मिट्टी डालने का कार्य हुआ था,जिसमें से लगभग 200 मीटर घाघरा नदी निगल चुकी है।घाघरा के जबरदस्त कटान को देखकर मुहाने पर गांव लालापुर,मोटेबाबा,रामनगर बगहा, तालियाघाट,गुलरिया और देवीपुरवा आदि गांव खड़े हैं। तीन दिन से हुई कटान में राम समुझ,राजेंद्र,जियालाल,इब्राहिम, इस्माइल के खेतों में फसलें नदी निगल चुकी है।चंद्रजीत, अकबर,इरफान,हैदर,आरिफ,साबिर,कल्लू,सौकत, मोहम्मद सईद के खेत भी घाघरा नदी की जद में आ गए हैं। बाढ़ बचाव कार्य राहत कोष से चल रहे हैं। बाढ़ खंड के सहायक अभियंता भगवानदीन गौतम ने बताया कि डीसी बैग 45 से 50 किलो तक उपलब्ध हैं। परक्यूपाइन नहीं लगाई जा सकती।घुमावदार पानी की वजह से परियोजना पर खतरा बढ़ सकता है। शुक्रवार रात्रि घाघरा बैराज से अचानक ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण नदी के तेवर और कड़े हो गए हैं।


धोबियाना का मुख्य मार्ग कटा, 36 परिवारों ने छोड़ा घर

अहिराना गांव का वजूद मिटाने के बाद शारदा नदी धोबियाना की तरफ तेजी से बढ़ रही है। धबियाना गांव शारदा के कटान की जद में है। गांव के मुख्य मार्ग के कट जाने से 36 परिवार पलायन करके तटबंध के बाहर आ गए हैं। उसके बाद नदी शंकरपुरवा,पकरियापुरवा की तरफ बढ़ती ही जा रही है। इन गांवों से नदी मात्र चंद कदम की दूरी पर कटान कर रही है। अगर नदी कटान करती है तो शंकरपुरवा के 60 और पकरियापुरवा के 50 घर तबाह हो जाएंगे।डर के कारण धोबियाना गांव के राजकुमार,भानु प्रताप,संजय कुमार,सुनील कुमार और शंकरपुरवा के रविन्द्र,मुशफिर,बबलू आदि पलायन कर मिलपुरवा में झोपड़ी डालकर गुजर बसर कर रहे हैं। रविवार को कई परिवार ट्रैक्टर-ट्राली से दूसरे स्थान पर पहुंचे।



भुखमरी के साये में बड़ी आबादी

शारदा नदी का जलस्तर बढ़ने से लगातार फसलें खराब हो रही हैं।दंबलटांडा,रैनागंज,रामनगर,रेवतीपुरवा,बझेडा,दुबहा, नरायनपुरवा आदि गांवों में पानी घुस रहा है। अब 900 एकड़ में फसलें बर्बाद होने से किसानों के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है।


घाघरा में उफान से दर्जनभर से ज्यादा गांवों का वजूद हुआ खत्म

घाघरा बैराज से शुक्रवार रात्रि अचानक ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण घाघरा नदी के तेवर और कड़े हो गए हैं। कुर्तैहा और माथुरपुर गांव के नजदीक बांध को लील चुकी घाघरा अब दो हजार की आबादी ने महज 200 मीटर दूर है। दो दशकों में बार-बार उफान और कटाव के चलते सैकड़ों किसानों की हजारों हेक्टेयर खेती की जमीन निगल चुकी घाघरा की वजह से बीते तीन में लहलहाती फसल नष्ट हो चुकी है।

इनका मिटा नामोनिशान

बिचला,बरूही,घोड़ाघाट,जित्तनपुरवा,गोडियन पुरवा, बिंटोलिया,देवमनिया,खैरीपुरवा,ठकुरीपुरवा,पसियन पुरवा, मोतीपुरवा,हुलासपुरवा,निबियापुरवा,मझरा,टपरी पुरवा समेत अन्य गांवों का नामोनिशान मिटा चुका है।

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