डोडा के घने जंगल में घेरा,आतंकियों का पीछा फिर मुठभेड़,कैप्टन थापा समेत 5 जवानों के शहादत की पूरी कहानी
डोडा के घने जंगल में घेरा,आतंकियों का पीछा फिर मुठभेड़,कैप्टन थापा समेत 5 जवानों के शहादत की पूरी कहानी

16 Jul 2024 |  63





जम्मू कश्मीर।जम्मू के डोडा में आतंकियों के खिलाफ सेना का ऑपरेशन जारी है।इस बीच सोमवार रात सुरक्षाबलों की आतंकियों से मुठभेड़ हो गई।इस मुठभेड़ में सेना के एक अफसर समेत पांच जवान शहीद हो गए हैं।इस समय डोडा में आतंकियों के खिलाफ सेना का ऑपरेशन चल रहा है।

मुठभेड़ उस समय शुरू हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू कश्मीर के स्पेशल ऑपरेशन ने डोडा से लगभग 55 किलोमीटर दूर डेसा के जंगल में सोमवार देर शाम आतंकियों को घेर लिया।आतंकियों ने भागने की कोशिश की और गोलीबारी शुरू कर दी,लेकिन सुरक्षाबलों की कार्रवाई जारी रही।गोलीबारी में कैप्टन समेत पांच जवान जख्मी हो गए। मंगलवार तड़के पांचों जवानों की इलाज के दौरान मौत हो गई।एक अन्य जवान की हालत गंभीर है।उसे उधमपुर सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार सेना के जवानों को सोमवार शाम लगभग 7.45 बजे खबर मिली कि धारी गोटे उरारबागी के जंगली इलाके में आतंकवादियों का मूवमेंट है।सेना के कैप्टन ब्रिजेश थापा के नेतृत्व में जवानों ने चुनौतीपूर्ण इलाके और घने जंगलों में आतंकियों का पीछा किया।रात लगभग 9 बजे जवानों ने इलाके को चौतरफा घेर लिया।जब आतंकियों को लगा कि वो अब मारे जाएंगे तो उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। शुरुआत में 20 मिनट से अधिक समय तक फायरिंग चली। इस मुठभेड़ में कैप्टन ब्रिजेश थापा और चार जवान घायल हो गए।इस बीच आतंकी अंधेरे का फायदा उठाकर जंगलों में पहाड़ी इलाके की ओर भाग निकले।आनन-फानन में जवानों को अस्पताल लाया गया।जहां मंगलवार तड़के उनकी मौत हो गई।शहीद जवानों में सेना के कैप्टन ब्रिजेश थापा,नायक डी राजेश,सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय और एक जवान जम्मू-कश्मीर पुलिस का शामिल है।

पहाड़ी इलाके में 50-60 आतंकी छिपे होने की खबर

इसके बाद सेना की अन्य टीमें भी मौके पर पहुंचीं और सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया।हालांकि आतंकियों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।इस हमले की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स नाम के आतंकी संगठन ने ली है।कश्मीर टाइगर्स जैश का ही संगठन है,जिसने कठुआ में जवानों के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी ली थी।आतंकियों की तलाश के लिए हेलिकॉप्टर से निगरानी रखी जा रही है और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।दरअसल यहां आतंक विरोधी अभियान चलाना सबसे चुनौतीपूर्ण और कठिन माना जाता है।पिछले एक महीने से जम्मू के जंगलों और पहाड़ी इलाकों में लगातार सर्च ऑपरेशन चल रहा है। पहाड़ी इलाकों में ही आतंकियों का ज्यादा मूवमेंट है।यहां आतंकियों के अड्डे होने की खबरें हैं। जम्मू के तीन-चार जिलों के पहाड़ी इलाके में 50 से 60 आतंकियों के छिपे होने की खबर है।

जम्मू कश्मीर के डीजीपी ने सियासी दलों पर साधा निशाना

इस बीच जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन ने हाल में आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी के लिए सियासी दलों पर निशाना साधा है।खासतौर पर महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला की तरफ उनका इशारा है।डीजीपी आरआर स्वैन ने एक ओरिएंटेशन कार्यक्रम में आईआईएम जम्मू के छात्रों को संबोधित किया और कहा कि जम्मू कश्मीर की क्षेत्रीय राजनीति के चलते पाकिस्तान को यहां के लोगों के बीच घुसपैठ करने में सफलता मिली है।घाटी में आंतकी चुनौती पर स्वैन ने आगे कहा कि आतंकियों के मारे जाने पर उनके परिवारों के प्रति हमदर्दी दिखाना न्यू नॉर्मल का हिस्सा है।वे (राजनीतिक पार्टियों के नेता) घर जाते हैं और सहानुभूति जताते हैं।डीजीपी स्वैन ने जमात नेटवर्क को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि नेटवर्क की तरफ से सरकार के दशहतगर्द को खत्म करने के अभियानों को पंगु बनाने की कोशिश की गई।एसपी रैंक के अधिकारियों को उन अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया और आतंकवादियों के साथ जेलों में डाल दिया गया,जो उन्होंने कभी किए ही नहीं थे।घाटी हफ्तों तक फिरौती,हड़ताल और हिंसक विरोध प्रदर्शनों का शिकार बनी रही।स्वैन ने जम्मू कश्मीर में सड़कों पर होने वाले प्रदर्शनों का जिक्र किया और कहा कि इसके पीछे भी एक मनी तंत्र था, जिसके जरिए लोगों से सड़कों पर विरोध कराया जाता था। बता दें कि डीजीपी आरआर स्वैन 1991 बैच के आईपीएस हैं।स्वैन पिछले साल एक नवंबर को जम्मू कश्मीर के डीजीपी बने थे। स्वैन को घाटी का कमांडो भी कहा जाता है।

सेनाध्यक्ष ने जताया शोक

सेना के अतिरिक्त महानिदेशालय ने एक्स पर पोस्ट किया और बताया कि थल सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भारतीय सेना के सभी बहादुर कैप्टन ब्रिजेश थापा, नायक डी राजेश, सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय के निधन पर शोक जताया और गहरी संवेदना जताई है।जवानों ने डोडा में शांति स्थापित करने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान कर्तव्य का पालन करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी है।

सीमा पार से आतंकियों ने की है घुसपैठ

माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में आतंकी सीमा पार से घुसपैठ कर चुके हैं और पिछले कुछ महीनों से वन क्षेत्र में छिपे हुए हैं।रियासी,कठुआ और डोडा तक आतंकी घटनाओं ने सेना को अलर्ट कर दिया है।इन हमलों के पीछे पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ सामने आ रहा है। 2021 के बाद से जम्मू क्षेत्र में आतंकी घटनाओं में 52 सुरक्षाकर्मियों समेत 70 से अधिक लोग मारे गए हैं,जिनमें ज्यादातर सेना से हैं।ज्यादातर मौतें राजौरी और पुंछ जिलों से हुईं जहां 54 आतंकियों को भी मार गिराया गया।सुरक्षा बलों ने जम्मू क्षेत्र में दशकों पुराने आतंकवाद का सफाया कर दिया गया था,जिसके बाद 2005 और 2021 के बीच यहां का माहौल शांतिपूर्ण रहा।अक्टूबर 2021 में पुंछ और राजौरी से सटे सीमावर्ती जिलों से आतंकी गतिविधियां सामने आईं थीं।हालांकि पिछले महीने में आतंकी हमलों में बढ़ोतरी देखी गई।रियासी इलाके में एक तीर्थयात्री बस पर भी हमला हुआ था,जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी और 40 घायल हो गए थे।रियासी जिले में तीन और कठुआ जिले में दो अन्य आतंकी भी मारे गए हैं। 12 जून को चत्तरगल्ला दर्रे में गोलीबारी में सेना के पांच जवान और एक विशेष पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे,जिसके बाद डोडा में आतंकवाद विरोधी अभियान तेज कर दिया गया था।अगले दिन गंदोह में एक अन्य मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था। 26 जून को जिले के गंदोह इलाके में दिनभर चले ऑपरेशन में तीन आतंकी मारे गए थे। 9 जुलाई को किश्तवाड़ जिले की सीमा से सटे घड़ी भगवा जंगल में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के बाद आतंकी भाग निकले थे।पिछले तीन हफ्तों में डोडा जिले के जंगलों में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच यह तीसरी बड़ी मुठभेड़ है।इससे पहले कठुआ जिले के माचेडी वन क्षेत्र में सेना के एक गश्ती दल पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया था।अब एक सप्ताह बाद मुठभेड़ में पांच सैनिकों की जान चली गई।जम्मू क्षेत्र में हाल ही में आतंकी घटनाओं में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। खासकर पुंछ,राजौरी,डोडा और रियासी जैसे सीमावर्ती जिलों में आतंकियों के छिपे होने की खबर है।इससे पहले एक तीर्थयात्री बस पर हमला हुआ था।

घुसपैठ की कोशिश नाकाम,तीन आतंकी मारे गए

15 जुलाई 2024 को भारतीय सेना ने जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार घुसपैठ की कोशिश कर रहे तीन विदेशी आतंकियों को मार गिराया था। 13 और 14 जुलाई 2024 की मध्यरात्रि सेना को खबर मिली थी कि आतंकी घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। 14 जुलाई को टीमों ने नियंत्रण रेखा के पास घने पेड़ों के बीच तीन आतंकियों की आवाजाही देखी।घुसपैठ करने वाले आतंकियों को ललकारा गया,जिसके बाद गोलीबारी शुरू हो गई।मौके पर तीनों आतंकी मारे गए।

जम्मू में सुरक्षा बलों ने ग्रेनेड,गोला-बारूद जब्त किया था

इससे पहले सोमवार को सुरक्षा बलों ने जम्मू क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया,जिसमें ग्रेनेड और कुछ गोला-बारूद बरामद किया था।अधिकारियों का कहना था कि तीन संदिग्ध व्यक्तियों की आवाजाही के बारे में सूचना मिलने के बाद पुलिस,सीआरपीएफ और सेना ने संयुक्त रूप से जम्मू, डोडा और रियासी जिलों के विभिन्न हिस्सों में घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाया था।रियासी जिले के महोरे के डालनटॉप इलाके में एक मैगजीन के साथ एक हैंड ग्रेनेड और एके असॉल्ट राइफल की 30 राउंड गोलियां जब्त की गईं। बरामद वस्तुओं में जंग लगी पाई गई।संभव है कि ये सामग्री आतंकवादियों ने फेंकी होगी।

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