सुल्तानपुर।राम नगरी अयोध्या की दूरी सुल्तानपुर से 65 किलोमीटर है।एक घंटे से भी कम समय में अयोध्या पहुंच सकते हैं।भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर को लेकर इस बार के चुनाव का एजेंडा फिट करने में जुटी हुई है,लेकिन सुल्तानपुर की राजनीति में राम मंदिर की गूंज सुनाई नहीं पड़ रही है। सुल्तानपुर से चुनाव लड़ रही भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी अलग राजनीतिक राह पर चल रही हैं।भाजपा के तमाम नेता अपने-अपने क्षेत्र में राम मंदिर और धारा 370 के बलबूते पर जीत दर्ज करने में जुटे हैं,तो वहीं मेनका गांधी इससे दूरी बना रखी है। मेनका गांधी विकास के मुद्दे पर वोट मांग रही हैं।मेनका गांधी का कहना है कि हमारे क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम और राम मंदिर का मुद्दा नहीं है।
आठवीं बार की सांसद मेनका गांधी 9वीं बार जीत दर्ज करने के लिए सुल्तानपुर से चुनाव लड़ रही हैं।मेनका गांधी अपने पांच साल के काम पर लोगों से वोट मांग रही हैं।सुल्तानपुर में और ज्यादा विकास करने का वादा कर रही हैं।मेनका कहना है कि वे हिंदू-मुस्लिम पर किसी तरह की कोई बात नहीं करती हैं और न ही वोट मांगती हैं।ऐसे में सवाल उठता है कि मेनका गांधी राम मंदिर और हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे से क्यों दूरी बनाए हुए हैं।
सुल्तानपुर से मेनका गांधी दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। मेनका गांधी के सामने समाजवादी पार्टी से रामभुआल निषाद और बहुजन समाज पार्टी से उदय राज वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। बाहुबली चंद्र भद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह ने मंगलवार शाम सपा का दामन थाम लिया है।सोनू सिंह के सपा का दामन थामने के बाद सुल्तानपुर का चुनाव रोचक हो गया है।भाजपा ने इस बार मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी को पीलीभीत से टिकट नहीं दिया है।अब मेनका गांधी के सामने अपनी सियासी विरासत को बचाए रखने की चुनौती है।ऐसे में मेनका गांधी रणनीति के साथ सुल्तानपुर से चुनाव लड़ती हुईं नजर आ रही है।
सुल्तानपुर लोकसभा से 2019 में सांसद बनीं मेनका गांधी को क्षेत्र में लोग माताजी के नाम से पुकारते हैं। सुल्तानपुर शहर के शास्त्री नगर चौराहे पर किसी से भी पूछें माताजी का मकान कौन सा है, कोई भी बता देगा।इलाके में माताजी के नाम से मशहूर हैं।मेनका गांधी का कहना है कि मेरा काम है जनता की सेवा और रक्षा करना।बिना किसी भेदभाव के मैं उनका काम करती हूं और रक्षा करती हूं।यही वजह है कि क्षेत्र की जनता माता कहकर बुलाती है।इस दौरान पार्टी के कार्यकर्ता कहते हैं कि शास्त्री नगर के कुछ मुस्लिम मिलने आए हैं। इस पर वो बाहर निकलती हैं और उनसे मिलती हैं।
राबिया (बदला हुआ नाम) रोते हुए मेनका गांधी के सामने खड़ी है।मेनका गांधी पूछती हैं कि क्या है तुम्हारी परेशानी और तुम्हारी अर्जी की कॉपी कहां है।राबिया कहती हैं कि उसका पति और ससुर दोनों परेशान करते हैं।मेनका गांधी राबिया की बात सुनने के बाद अपने सहायक प्रदीप को कहती हैं कि इसके ससुर से मेरी बात कराओ।बस फिर क्या अगले ही पल राबिया का ससुर फोन पर।इसके बाद अगला शख्स विकलांग था,जिसे ट्राई साइकिल की जरूरत थी।मेनका गांधी ने कहा कि जैसे ही चुनाव आचार संहिता खत्म होगी आपको नई ट्राई साइकिल मिल जाएगी।
साहिल जावेद का विकलांगता का सर्टिफिकेट बनना है। उसने कहा कि सरकारी बाबू बार-बार चक्कर लगवा रहे हैं।उसी वक्त मेनका गांधी मेडिकल ऑफिसर को फोन कर जवाब-तलब करती हैं।इस तरह से मेनका गांधी जनता दरबार में हर रोज क्षेत्र की जनता की समस्या सुनती हैं और समाधान करती हैं। मेनका गांधी से मिलने वाले हर जाति धर्म के लोग आते हैं। मेनका गांधी कहती हैं कि यह मेरा परिवार है,मेरी सुबह इनके बिना नहीं होती है।मिलने आए मुस्लिमों से कहती हैं कि मुझे आपकी मदद की जरूरत है।मैं बिना भेदभाव के सभी के लिए काम करती हूं।
मेनका गांधी का कहना है कि देखिए जहां तक राम मंदिर की बात है तो सभी के दिलों में राम मंदिर है। राम मंदिर के बनने से सब लोग खुश हैं, लेकिन चुनाव में राम मंदिर कोई मुद्दा नहीं है।मेनका गांधी के सर्वधर्म आदर को देखते हुए इलाके के लोग उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की संज्ञा देते हैं।इस पर मेनका गांधी का कहना है कि यह मेरे लिए कॉम्पलीमेंट है।मेरे यहां हर किसी की सुनी जाती है।मैं किसी का काम करते वक्त न ही उसकी जाति पूछती हूं और न धर्म पूछती हूं। सुल्तानपुर की जनता से उनका दिली रिश्ता है और उसे हर हाल में बनाए रखना चाहती हूं।
सुल्तानपुर में 600 से ज्यादा जनसभाएं मेनका गांधी कर चुकी हैं, लेकिन कहती हैं कि चुनाव जीतने के लिए न राम मंदिर का मुद्दा है और न ही मैं हिंदू मुस्लिम करूंगी।मेनका गांधी ने दावा किया कि हम हिंदू मुस्लिम पर बिल्कुल भी बात नहीं करते। मेरा चुनाव इससे बिल्कुल भी अलग है। इस मामले पर मेरा जीरो टॉलरेंस है।यहां पर आने वाले सब लोगों का काम हो जाता है और यहां पर सब की रक्षा होती है।मैं इस चीज पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करती।हिंदू और मुस्लिम पर बात करना एक तरीके से नॉनसेंस है।
भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी सोची समझी रणनीति के तहत राम मंदिर और हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे को उठाने से बच रही हैं। सुल्तानपुर में लगभग 17 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं।इस बार के चुनाव में किसी भी दल से कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतरा है, जबकि 2004 में बसपा से मोहम्मद ताहिर खान ने चुनाव जीतने में सफल रहे।इस बार मेनका गांधी की नजर हिंदू वोट बैंक के साथ मुस्लिम को भी साधने की है।इसीलिए मेनका गांधी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने से बच रही हैं, क्योंकि उन्होंने अपने फाउंडेशन के जरिए मुस्लिम बहुल इलाकों में भी विकास के बहुत काम किए गए हैं। इसके चलते मेनका गांधी को मुस्लिम वोटों की उम्मीद भी है।राम मंदिर और हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे को उठाने से मुस्लिम वोट का झुकाव सपा की तरफ हो सकता है इसलिए मेनका गांधी इससे बच रही हैं।
सुल्तानपुर लोकसभा से 2014 में भाजपा ने मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी को टिकट दिया था और वह यहां से जीते थे। 2019 में भाजपा ने वरुण गांधी को पीलीभीत और मेनका गांधी को सुल्तानपुर से प्रत्याशी बनाया।दोनों ही जीतने में कामयाब रहे थे।मेनका गांधी ने सुल्तानपुर से 14,526 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। मेनका गांधी को 4,59,196 वोट मिले, जबकि बसपा प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह को 4,44,670 वोट मिले।चंद्रभद्र सिंह के सपा का दामन थाम लेने से सियासी समीकरण बदल सकते हैं, जिसके चलते मेनका गांधी और भी सतर्क हो गई हैं।
बसपा ने सुल्तानपुर लोकसभा में एक लाख से अधिक मतदाता संख्या वाले कुर्मी समाज को टारगेट किया है और उसके बाद वह लगभग साढ़े तीन लाख दलित मतों के सहारे जीत का परचम फहराने की जुगत में हैं।सपा दो लाख निषाद, दो लाख मुस्लिम, यादव और अन्य पिछड़ा वर्ग के सहारे जीत की उम्मीद लगा रही है।ऐसे में मेनका गांधी सर्व समाज के साथ मुसलमानों को जोड़कर चुनाव जीतने की जुगत में है। इसलिए मेनका गांधी हिंदू-मुस्लिम करने से बच रही हैं, तो राम मंदिर के मुद्दे का भी जिक्र करती नजर नहीं आ रही हैं।ऐसे में देखना है कि मेनका गांधी की यह रणनीति चुनाव में कितनी कारगर साबित होती है।
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