गजब:यमुना की बाढ़,संगमरमर की मछली,जहांगीर,कमाल का है ये यंत्र,खतरे का देता है संकेत
गजब:यमुना की बाढ़,संगमरमर की मछली,जहांगीर,कमाल का है ये यंत्र,खतरे का देता है संकेत

15 Oct 2025 |   68



 

आगरा।मछली जल की रानी है,बाहर निकालो‌ तो मर जाएगी।मछली का पानी से संबंध तो सदियों से है,लेकिन यहां बात अनोखी मछली की हो रही है,जो संगमरमर की है।ताज नगरी आगरा में यमुना किनारे बने एत्माउद्दौला के मकबरे के पिछले हिस्से में मौजूद यह मछली बड़े कमाल की है।यमुना में पानी बढ़ते ही इस मछली की खोज-खबर लेना शुरू हो जाता है।हर जबान पर यही रहता है कि मछली डूबी की नहीं,जैसे यमुना और इस मछली में कोई गहरा नाता हो।हां नाता है,नाता तो मुगल बादशाह जहांगीर का भी इस मछली से है।

जिस तरह बादशाह अकबर को लाल बलुआ पत्थर से लगाव था,उसी तरह जहांगीर को संगमरमर से लगाव था।जहांगीर ने सबसे पहले संगमरमर की इमारतें तामीर कराईं।ताज नगरी आगरा में यमुना नदी के बाएं किनारे पर चीनी का रोजा के पास स्थित एत्माउद्दौला कई मामलों में खास माना जाता है। यह संगमरमर का बना नफीस सा शृंगारदान लगता है,जिस पर बहुत सुंदर पच्चीकारी की गई है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार मुगल शासक जहांगीर ने अपनी बेगम नूरजहां के पिता मिर्जा ग्यास बेग की याद में यह इमारत बनवाई थी।मिर्जा बेग को ही एत्माउद्दौला की उपाधि दी गई थी। 1628 ईस्वी में यह पूरा बनकर तैयार हो गया था। मकबरे के पिछले हिस्से में यमुना तट पर एक इमारत है,जिसकी दीवार पर मुंह खोले मछली बनी है।

दरअसल मुगल काल में यमुना का इस्तेमाल नौवहन के लिए लिए होता था।यमुना में विशालकाय नावें चलती थीं और व्यापारी सामान लाने ले जाने के लिए जल मार्ग का इस्तेमाल करते थे।यमुना में बाढ़ की स्थिति आने पर नाविकों के लिए मछली संकेतक का काम करती थी कि अभी नदी में उतरना कितना सुरक्षित हो सकता है।यमुना में उफान की स्थिति में पानी मछली के मुंह के अंदर चला जाता था, ज्यादा पानी हो तो फिर मछली डूब जाती थी। इसका मतलब यह था कि अब नौकाओं को ले जाना सुरक्षित नहीं है। पानी का मछली के मुंह तक आ जाना इस बात का संकेत था कि इलाहाबाद तक यमुना की यह स्थिति है। मछली के निचले हिस्से को अगर पानी छूने लगे तो इसका मतलब था कि आगरा और इटावा तक पानी उफान पर है।

कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल म्यूजियम में यमुना के नौवहन से जुड़े नक्शे और चित्र प्रदर्शित हैं,उनमें भी मछली से बाढ़ के स्तर को मापने का जिक्र है। यह तब की बात है जब यमुना में खूब पानी होता था।धीरे-धीरे पानी घटा और यमुना में नौवहन भी खत्म हो गया,लेकिन वो मछली आज भी है जो उन दिनों की याद दिलाती है।

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