ब्यूरो धीरज कुमार द्विवेदी
लखनऊ।ट्रंप टैरिफ वार के बीच योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश की नई निर्यात प्रोत्साहन नीति-2025-30 तैयार की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में मंगलवार को इस नीति को मंजूरी दी गई है।नई नीति में पहली बार सेवा क्षेत्र,ई-कामर्स आनबोर्डिंग सहायता योजना,निर्यात प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन योजना,डाक घर निर्यात केंद्र सहायता योजना,निर्यात क्रेडिट इंश्योरेंश सहायता योजना को शामिल किया गया है।
इसके अलावा नीति में उत्पादों की डिजिटल मार्केटिंग और कैटलागिंग के लिए अधिकतम एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने का प्रविधान किया गया है।वहीं वर्चुअल मेलों और प्रदर्शनियों के आयोजन के लिए अधिकतम 25,000 रुपये की आर्थिक दी जाएगी। विदेश में उत्पादों के प्रमाणन पर होने वाले खर्च का 75 प्रतिशत या अधिकतम 25 लाख रुपये किए जाने का प्रविधान भी नीति में किया गया है।
नई नीति में योगी सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स,हस्तशिल्प, इंजीनियरिंग उत्पाद,वस्त्र व वस्त्र उत्पाद,कालीन,कृषि एवं कृषि सामग्री,रासायनिक एवं औषधीय उत्पाद,चर्म उत्पाद, स्पोर्टस उत्पाद,ग्लास व सिरेमिक उत्पाद,काष्ठ उत्पाद,सेवा क्षेत्र,शिक्षा,मेडिकल,ट्रेवल,परिवहन,लाजिस्टिक,पर्यटन व आतिथ्य, आईटी व आइटीईएस क्षेत्र पर विशेष फोकस रखा है।
सेवा क्षेत्र के निर्यातकों को प्रोत्साहन देने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है। सेवा क्षेत्र विपणन विकास सहायता योजना के तहत चिह्नित किए गए 12 चैंपियन क्षेत्रों के लिए शुरू की गई योजना में विदेशी मेलों में भाग लेने पर अधिकतम दो लाख व हवाई यात्रा पर होने वाले कुल खर्च का अधिकतम एक लाख रुपये, अंतरराष्ट्रीय स्तर के घरेलू मेलों व प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिए 50 हजार व हवाई यात्रा के लिए अधिकतम 25 हजार रुपये की सहायता राशि जारी करने का प्रविधान किया गया है।
केंद्र और राज्य सरकार की संस्थाओं द्वारा मेलों और प्रदर्शनियों के आयोजन के लिए अधिकतम एक करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।यूपी में मेलों, प्रदर्शनियों और कान्फ्रेंस के आयोजन को लेकर प्रति विदेशी प्रतिभाग के रूप में सात हजार रुपये या अधिकतम छह लाख रुपये प्रति कार्यक्रम दिया जाएगा। यूपी को वैश्विक मान्यता प्राप्त हब के रूप में स्थापित करने के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इस राशि का उपयोग निर्यात को बढ़ाने के लिए नवाचार, रिचर्स एवं अनुसंधान तथा डिजाइन के लिए किया जाएगा।
विपणन सहायता योजना के तहत एमएसएमई क्षेत्र के निर्यातकों को प्रति वर्ष 25 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके तहत विदेश में आयोजित होने वाले मेलों और प्रदर्शिनियों में स्टाल बुक कराने पर अधिकतम 3.25 लाख रुपये, हवाई यात्रा पर अधिकतम 1.25 लाख रुपये, अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वदेशी मेलों में स्टाल के लिए अधिकतम 75 हजार रुपये और वायुयान के किराये के लिए अधिकतम 30 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
विदेशी खरीददारों को सैंपल उत्पाद भेजने पर अधिकतम दो लाख रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी। वहीं अंतरराष्ट्रीय स्वदेशी मेला व प्रदर्शनियों के आयोजन पर हुए कुल खर्च में से अधिकतम एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। इसी प्रकार वर्चुअल मेलों व प्रर्दशनियों के आयोजन पर अधिकतम 25 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे।
नई नीति में गेटवे पोर्ट पर निर्यात के लिए भेजे जाने वाले माल भाड़े पर अऩुदान योजना को भी शामिल किया गया है। इसके तहत 20 फुट के कंटेनर से माल भेजने पर 20,000 रुपये व 40 फुट के कंटेनर से माल भेजने पर 40,000 रुपये या अधिकतम 30 लाख रुपये प्रतिवर्ष की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही वर्ष में पांच करोड़ या उससे कम के उत्पादों का निर्यात करने पर भी छोटे निर्यातकों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
वायुयान युक्तिकरण योजना के तहत 150 रुपये प्रति किलोग्राम या अधिकतम 10 लाख रुपये तक की राशि प्रतिवर्ष प्रति इकाई दी जाएगी। डाकघर के माध्यम से छोटे निर्यातकों को उत्पाद भेजने के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम एक लाख रुपये तक की सहायता राशि जारी की जाएगी। निर्यात बढ़ने पर निर्यातकों को पुरस्कृत करने के साथ ही निर्यात वृद्धि पर एक प्रतिशत या अधिकतम 20 लाख रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। निर्यात क्रेडिट इंश्योरेंस समर्थन योजना के तहत पात्र इकाई को पांच रुपये तक की अधिकतम सहायता राशि जारी की जाएगी।
यूपी से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात अवस्थापना विकास योजना के साथ ही निर्यात उन्मुख विशिष्ट परियोजना की स्थापना के लिए कैपिटल सब्सिडी के रूप में अधिकतम 10 करोड़ रुपये तक का प्रोत्साहन दिया जाएगा। यह राशि परीक्षण एवं प्रमाणन एजेंसियां, लाजिस्टिक एवं वेयर हाउसिंग सुविधा प्रदाता व कौशल विकास तथा प्रशिक्षण संस्थानों को देय होगी।
योगी सरकार ने नीति में पहली बार मार्केट रिचर्स के लिए आईआइटी व आईआइएम जैसे संस्थानों में निर्यात चेयर की स्थापना का भी प्रविधान किया है। इनके जरिए दुनियाभर के बाजारों का अध्ययन करके उसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी। पांच वर्षों में इस कार्य पर पांच करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
नीति में निर्यात प्रधान जिलों में मर्चेडाइज्ड ट्रेड फैसिलिटेशन केंद्र (एमटीएफसी) की स्थापना की जाएगी। इन केंद्रों की स्थापना पर 7.5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। साथ ही गौतमबुद्ध नगर में सर्विसेस ट्रेड फैसिलिटेशन केंद्र की स्थापना पर 2.5 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रविधान किया गया है।
निर्यात नीति में ये है खास
निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो में 10 करोड़ रुपये से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट का गठन किया जाएगा।
स्टार्टअप व नए निर्यातकों को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा।
कम मात्रा में निर्यात करने वाले निर्यातकों को पहली बार शिपमेंट पर सहायता राशि दी जाएगी।
वर्ष 2030 तक निर्यात को दोगुणा करने का लक्ष्य रखा गया है।
निर्यात नीति के क्रियान्वयन पर 8.82 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होने का अनुमान है।
ओडीओपी उत्पादों को निर्यात में वरीयता प्रदान की जाएगी।