वाराणसी।रंगभरी एकादशी का उल्लास श्री काशी विश्वनाथ धाम में नजर आने लगा है।शनिवार को फूलों की होली के साथ तीन दिवसीय उत्सव की शुरुआत हो गई। शिवार्चनम मंच के निकट तीन दिनों के लिए बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की चल प्रतिमा को विराजमान कराया गया। विराजमान चल विग्रह के साथ शाम को श्रद्धालुओं ने फूलों की होली खेली।
मंदिर चौक पर शनिवार को स्थित शिवार्चनम मंच हर-हर महादेव के जयकारे से गूंज उठा। मंदिर चौक में विराजमान बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की प्रतिमा के सम्मुख रंगभरी एकादशी के तीन दिवसीय लोक उत्सव आरंभ हो गए। नौ मार्च को हल्दी लगाने की परंपरा निभाई जाएगी। इसके साथ ही अबीर और गुलाल की होली खेली जाएगी।
10 मार्च को सुबह भस्म अर्पण,अपराह्न में हल्दी और भस्म अर्पित की जाएगी।शाम को श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा से प्राप्त होली सामग्री, वनवासी समाज से प्राप्त पलाश गुलाल एवं काशी की भस्म बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा को अर्पण कर रंगभरी एकादशी का उत्सव मनाया जाएगा। 10 मार्च को सायं 4 बजे मंदिर चौक से चल विग्रह की पालकी शोभायात्रा निकाली जाएगी।इसमें काशीवासी और धाम में पधारे श्रद्धालु शामिल होंगे।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि अधिक से अधिक श्रद्धालु इस लोक आयोजन के अंग बन सकें इस उद्देश्य से इस वर्ष मंदिर चौक के विस्तृत क्षेत्र में उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। लाखों की संख्या में इस वर्ष काशीवासी एवं धाम में आने वाले श्रद्धालु इस लोकोत्सव के सहभागी होंगे।
विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा,सुविधा तथा पर्व की भव्यता के दृष्टिगत बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की पालकी शोभा यात्रा भी मंदिर चौक के वृहद परिसर से मंदिर प्रांगण में प्रवेश करते हुए गर्भगृह में प्रवेश करेगी।