भारत-चीन तनाव के बीच 27 जुलाई तक छह राफेल लड़ाकू विमान पहुंचेंगे भारत
धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी

नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा तनाव के बीच फ्रांस से छह राफेल लड़ाकू विमानों के 27 जुलाई को भारत पहुंचने की संभावना है। ये विमान पहले मई में पहुंचने वाले थे, लेकिन कोरोना वायरस से उत्पन्न हुई स्थिति के कारण ये समय पर भारत को नहीं मिल सके।
सूत्रों ने बताया कि फ्रांस से उड़ान भरने के बाद ये विमान भारत के अंबाला शहर स्थित एयर फोर्स स्टेशन पर लैंड करेंगे। पहले चार राफेल विमान आने वाले थे, लेकिन बताया गया है कि अब छह विमान भारत पहुंचेंगे।
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29 Jun 2020 |  667



धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी

नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा तनाव के बीच फ्रांस से छह राफेल लड़ाकू विमानों के 27 जुलाई को भारत पहुंचने की संभावना है। ये विमान पहले मई में पहुंचने वाले थे, लेकिन कोरोना वायरस से उत्पन्न हुई स्थिति के कारण ये समय पर भारत को नहीं मिल सके।
सूत्रों ने बताया कि फ्रांस से उड़ान भरने के बाद ये विमान भारत के अंबाला शहर स्थित एयर फोर्स स्टेशन पर लैंड करेंगे। पहले चार राफेल विमान आने वाले थे, लेकिन बताया गया है कि अब छह विमान भारत पहुंचेंगे।
यह खबर इस मायने में बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच जबरदस्त तनाव चल रहा है। दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के सामने हैं। और भारत ने साफ कर दिया है कि वह चीन की सीनाजोरी कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। इस हालत में अगर राफेल विमान भारत को मिलते हैं तो इससे वायुसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा।

इससे पहले, जून की शुरुआत में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पारले से टेलीफोन पर वार्ता की थी। इस दौरान फ्रांस की रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया था कि कोरोना वायरस महामारी के बावजूद राफेल विमान तय समय के अनुसार भारत पहुंचाए जाएंगे। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी थी।

रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि दोनों मंत्रियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य सहित आपसी चिंता के मामलों पर चर्चा की और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। हालांकि, यह पता नहीं चल सका था कि क्या इस वार्ता के दौरान लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव पर चर्चा हुई या नहीं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि फ्रांस ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद राफेल विमान की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। हिंद महासागर क्षेत्र पर भारत-फ्रांस की संयुक्त सामरिक दृष्टि को पूरा करने के लिए दोनों मंत्री एक साथ काम करने के लिए सहमत हुए थे।
बता दें कि, भारत सरकार ने भारतीय वायुसेना की आपातकालीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 36 लड़ाकू राफेल विमान के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ 60,000 करोड़ रुपये से अधिक के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। राजनाथ सिंह ने पहला राफेल विमान फ्रांस के एक एयरबेस पर आठ अक्तूबर को प्राप्त किया था।

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