बीजिंग: चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कश्मीर को लेकर पाक राजदूत के बयान पर चीन में भारतीय दूतावास का खंडन छापने से इनकार कर दिया। ग्लोबल टाइम्स ने चीन में पाकिस्तान के राजदूत मोइन उल हक का बयान 6 अगस्त को छापा था ये बयान कश्मीर को लेकर था, इसको लेकर एक खंडन भारतीय दूतावास की तरफ से जारी किया गया था।
चीन में भारतीय दूतावास ने अपने खंडन मे कहा है, 'राजदूत मोइन उल हक का बयान हालांकि गलत बयान है, लेकिन हमारे लिए ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन यह नहीं छुपा सकता कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के एक साल के अंदर वहां काफी उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
उस प्रगति के बारे में बताते हुए भारतीय दूतावास ने कहा, '5 अगस्त 2019 को लिए गए इस फैसले के एक साल के अंदर जम्मू कश्मीर में भी कई सारे सकारात्मक केन्द्रीय कानून लागू कर दिए गए हैं और पूरे जम्मू कश्मीर में नए एजुकेशन व हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को खड़ा करने में इस बदलाव के सुबूत साफ देखे जा सकते हैं।इनके बारे में विस्तार से बताया गया है कि, इस क्षेत्र में 50 नए एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स शुरू किए गए हैं। पिछले 70 साल में ये सबसे बड़ी बढ़त है। कश्मीर के करीब 50 लाख छात्र छात्राएं सरकारी स्कॉलरशिप पा रहे हैं।
सीमा पार आतंकवाद के बारे में भारतीय दूतावास के इस बयान में कहा गया है कि भारत के जम्मू कश्मीर में शांति और प्रगति लाने के ठोस प्रयास पाकिस्तानी रणनीति के बिलकुल विपरीत हैं,जोकि इस क्षेत्र को अस्थिर करने के लिए किसी भी हद तक जाकर सीमा पार आतंकवाद का सहारा लेता हैं।
भारतीय दूतावास की तरफ से कहा गया है कि 2020 के 7 महीनों में पाकिस्तान ने लाइन ऑफ कंट्रोल के जरिए घुसपैठ करने में आतंकियों की सहायता की है, जिसके चलते इस दौरान 3000 बार युद्ध विराम उल्लंघन हुआ है।आगे लिखा है कि, शायद राजदूत हक अपनी सरकार को इसके जरिए आइना दिखाने के बारे में सोच सकें और भारतीय सरकार की कार्य़वाहियों को बताने के पहले इस इलाके में पाकिस्तान सरकार की हरकतें दिखा सकें।
बीजिंग से जारी इस भारतीय बयान में PoK के बारे में भी कहा गया है कि, इस्लामाबाद ने जबरन कब्जा किए हुए जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के इलाकों को किस तरह बार बार प्रशासकीय और जनसांख्यकीय बदलावों के जरिए प्रभावित किया है औऱ 4 अगस्त को इसने गुजरात, जम्मू कश्मीर और लद्दाख के भारतीय इलाकों के बारे में अपुष्ट दावे करके इसने राजनीतिक रूप से मूर्खता का परिचय दिया है।सबसे महत्वपूर्ण था कि भारत के बयान में पीओके का जिक्र हुआ, जहां से चीन का बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट सीपीईसी निकलना हैं।
जून में चीनी एप वी चैट से पीएम मोदी का वो बयान हटा दिया गया था, जो उन्होंने गलवान वैली को लेकर दिया था, ट्विटर जैसे चीनी एप वीबो से भी भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान भी हटा दिया गया था।
भारत के खंडन को न छापने की घटना तब हुई है, जब भारत में चीनी राजदूत सुन वेडोंग बिना रोकटोक के मीडिया से बातचीत कर रहे हैं। भारत में सबको अपनी बात रखने की आजादी है, जो भारत देश के मजबूत लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाता है।
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