एलजी वीके सक्सेना ने बढ़ाई पूर्व सांसदों और विधायकों की मुश्किलें,अब पॉक्सो एक्ट के तहत हो सकेगा मुकदमा
एलजी वीके सक्सेना ने बढ़ाई पूर्व सांसदों और विधायकों की मुश्किलें,अब पॉक्सो एक्ट के तहत हो सकेगा मुकदमा

15 Oct 2025 |   28



 

नई दिल्ली।दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ सीपीसीआर और पॉक्सो अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के दायरे को बढ़ाने की मंजूरी दी है।राउज एवेन्यू स्थित ये अदालतें अब पूर्व जनप्रतिनिधियों के मामलों की भी सुनवाई करेंगी। दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने यह प्रस्ताव रखा था, जिसका उद्देश्य बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामलों का तेजी से निपटारा करना है।

सीपीसीआर अधिनियम, 2005 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालतें अब पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदों के खिलाफ भी मामलों की सुनवाई कर सकेंगी।इससे पहले जुलाई 2023 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों से निपटने के लिए राजधानी के राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर में तीन नामित/विशेष अदालतों की स्थापना को मंजूरी दी थी।

यह अधिसूचना दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद 2020 में जारी की गई थी। हालांकि केजरीवाल सरकार ने बिना किसी कारण के इस अधिसूचना को तीन साल से ज़्यादा समय तक लंबित रखा।सीपीसीआर अधिनियम की धारा 25 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 28 के तहत इन नामित/विशेष अदालतों के गठन के लिए उपराज्यपाल की मंज़ूरी के लिए प्रस्ताव दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रस्तुत किया गया था और विधि विभाग द्वारा इसकी जांच की गई थी।

ये तीन अदालतें बच्चों के विरुद्ध अपराधों,बाल अधिकारों के उल्लंघन और पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए पहले से अधिसूचित आठ अदालतों के अतिरिक्त हैं।

पॉक्सो अधिनियम की धारा 28(1) में कहा गया है कि त्वरित सुनवाई के लिए राज्य सरकार,उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए प्रत्येक ज़िले के लिए एक सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में नामित करेगी।

सीपीसीआर अधिनियम की धारा 25 में कहा गया है कि बच्चों के खिलाफ अपराध या बाल अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए, राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से, अधिसूचना द्वारा, राज्य में कम से कम एक न्यायालय या प्रत्येक जिले के लिए, उक्त अपराधों की सुनवाई के लिए एक सत्र न्यायालय को बाल न्यायालय के रूप में निर्दिष्ट कर सकती है।

बशर्ते कि इस धारा की कोई भी बात लागू नहीं होगी यदि - (क) सत्र न्यायालय को पहले से ही एक विशेष न्यायालय के रूप में नामित किया गया है या (ख) किसी अन्य कानून के तहत ऐसे अपराधों के लिए पहले से ही एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया है।

इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से नामित न्यायालय

1. विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) (सीबीआई) का न्यायालय - 09, राउज एवेन्यू, न्यायालय परिसर
2. विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) (सीबीआई) का न्यायालय - 23, राउज एवेन्यू, न्यायालय परिसर
3. विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) (सीबीआई) का न्यायालय - 24, राउज एवेन्यू, न्यायालय परिसर

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