
वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बारिश ने 33 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 86.8 एमएम बारिश हुई,1993 में 92.4 एमएम बारिश हुई थी।आज मंगलवार को लगातार दूसरे दिन झमाझम बारिश हुई।बारिश से जहां मौसम सुहाना हो गया है तो वहीं जगह-जगह पानी भर जाने से काशी के लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा है।
मानसून की पहली मूसलधार बारिश ने नगर निगम,जलकल,पीडब्ल्यूडी,बिजली विभाग के दावों की धज्जियां उड़ा दीं।महीनों पहले से नाला सफाई का काम शुरू कराने और समय से पूरा करने की ठसक बारिश ने मसक दी।नगर निगम की ओर से नालों की सफाई नहीं कराने और जलकल विभाग की ओर से सीवर की आधी-अधूरी सफाई का दंश काशी के लोगों ने झेला।विश्वनाथ धाम में शंकराचार्य चौक में पानी भर जाने से श्रद्धालुओं को दिक्कत हुई।दालमंडी,ढेलवरिया,चौकाघाट,अंधरापुल,रेवड़ीतालाब, रथयात्रा,महमूरगंज,लहरतारा,खोजवां,कमच्छा,विनायका, पियरी,सेनपुरा,गिरजाघर,सरैया,जलालीपुरा,कैंट स्टेशन रोड,छित्तनपुरा,लल्लापुरा,औरंगाबाद,शिवाला,संकटमोचन, सामनेघाट आदि इलाकों में एक से तीन घंटे तक पानी भरा रहा।
रेवड़ी तालाब,नई सड़क,छोहरा,हनुमान फाटक में घुटने तक पानी भरा था।इन इलाकों की दुकानों,मकानों में पानी घुस गया।जगह-जगह दो बाइकों में पानी जाने से लोग खींचकर मैकेनिकों के पास पहुंचे तो वहीं चार पहिया वाहनों को धक्के देते हुए भी लोग नज़र आए।रवींद्रपुरी में बारिश बंद होने के तीन घंटे बाद तक पानी भरा रहा,पद्मश्री चौराहे के पास गड्ढे में दर्जनों वाहनों के पहिए धंसे,कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, रवींद्रपुरी में पीडब्ल्यूडी नाला बना रहा है,कछुए की चाल की तरह हो रहे कार्य और मानकों का पालन न होने से लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
रवींद्रपुरी कल्याण समिति के अध्यक्ष अनुज डिडवानिया ने कहा कि विभागों में तालमेल नहीं होने और अदूरदर्शिता के कारण पॉश कॉलोनी में लोग समस्याएं झेल रहे हैं। डिडवानिया ने कहा कि कॉलोनी में चारों तरफ सड़कें खोद दी गई हैं,बिजली के तार भी खुले हैं,कभी भी करंट से बड़ी दुर्घटना हो सकती है।गोदौलिया,गिरजाघर में रोप-वे प्रोजेक्ट के निर्माण के चलते कीचड़ में लोगों को आना जाना मुश्किल हो गया।गिरजाघर में जलभराव भी रहा,जिससे समस्याएं लोगों को उठानी पड़ी। जलभराव के कारण बाजारों में 7 बजे के आसपास ही दुकानें बंद होने लगीं।
बता दें कि चिरईगांव में झमाझम बारिश से अन्नदाताओं के चेहरे खिल उठे हैं। बारिश जहां धान की नर्सरी के लिए बेहतर साबित होगी तो वहीं खेतों में पर्याप्त नमी होने से खरीफ फसलों की बुआई भी शुरू हो जायेगी।
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