
नई दिल्ली।जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकी हमला हुए 10 दिन बीत चुके हैं।भारत और पाकिस्तान में तनाव चरम पर है।दोनों देशों में सेनाओं की तैनाती की जा रही है,युद्धाभ्यास चल रहा है,नोटिस टू एयर मिशन जारी हो रहा है,एयरस्पेस बंद हो रहे हैं,पाकिस्तान रोज चिल्ला हुए कह रहा है कि हमला कभी भी हो सकता है,पाकिस्तान को पहलगाम का सबक कब और कैसे सिखाया जाएगा,ये भारतीय सेना तय करेगी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेना को फ्री हैंड कर दिया है,लेकिन जिन आतंकियों की वजह से भारत और पाकिस्तान जंग के मैदान में आमने सामने खड़े हैं,वो कहां हैं।
पिछले 10 दिनों से सघन तलाशी चल रही है,जंगलों से लेकर रिहाइशी इलाकों तक कार्रवाई चल रही है। 100 से अधिक संदिग्धों से पूछताछ हो चुकी है,कई संदिग्धों के घर उड़ा दिए गए,जांच एजेंसियां सुराग तलाशने में जुटी हैं।गुरुवार को नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी के डीजी भी पहलगाम पहुंचे, 3 घंटे तक जांच पड़ताल हुई,लेकिन अभी तक आतंकी हाथ नहीं आए हैं,अभी तक आतंकियों के मददगार हाथ नहीं आए हैं।
हालत यह है कि पहलगाम के बाद पूरे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को लेकर लोगों के मन में भय बैठा हुआ है। 48 टूरिस्ट डेस्टिनेशन बंद करने पड़े हैं,क्योंकि वहां सुरक्षा का खतरा है। जब तक पर्यटकों को मारने वाले आतंकी पकड़े नहीं जाते, जम्मू-कश्मीर में उनकी दहशत कायम रहेगी।ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि पहलगाम में आतंकी हमला हुए 10 दिन हो गए,आखिर आतंकी कहां गए,क्योंकि मुंबई से लेकर पठानकोट तक और उरी से लेकर पुलवामा तक जिन आतंकियों ने भारतीयों का खून बहाया वो यहीं मिट्टी में भी मिल गए, लेकिन पहलगाम के आतंकी जिंदा हैं,ये क्यों जिंदा हैं और कब तक जिंदा रहेंगे,इस सवाल के जवाब का इंतजार भारत को है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या ये आतंकी घने जंगलों की प्राकृतिक गुफाओं में छिपे हैं या इन आतंकियों की मदद घने जंगलों में रह रहे ओवर ग्राउंड वर्कर कर रहे हैं। जांच एजेंसियां दोनों ही सूरत में आतंकियों को पकड़ने की जुगत में हैं।जंगलों में जांच का दायरा पहले 10 किलोमीटर में था, वो अब बहुत बड़ा कर लिया गया है।दूसरी बड़ी कार्रवाई ओवर ग्राउंड वर्कर्स के जरिये आतंकियों के तार तलाशने की है,क्योंकि सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों को पता चला है कि OGW ने आतंकियों को घटनास्थल की पूरी लोकेशन समझाई और एग्ज़िट प्लान में उनका साथ दिया है।
सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों को घटना के समय के दो बार अल्ट्रा स्टेट के सिग्नल मिले हैं,जिसके द्वारा मोबाइल को कनेक्ट करके ऑडियो और वीडियो कॉल या फिर मोबाइल SMS होता है।इसमें किसी भी प्रकार के सिम कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती।एजेंसियां बैकलॉग डेटा कॉल डिटेल और बैंक अकाउंट भी चेक कर रही हैं।ओजीडब्ल्यू की धरपकड़ में जांच एजेंसियों ने पूरे जम्मू-कश्मीर में हुरियत के कई गुटों और जमात ए इस्लामी के समर्थकों के यहां छापेमारी भी की है।
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने ओजीडब्ल्यू को जीरो इन करने के लिए आम लोगों को इत्तेहाद उल मुसलमीन और अवामी एक्शन कमेटी जैसे संगठनों से दूर रहने को कहा है, जिनके ऊपर देश विरोधी गतिविधियों के आरोप हैं और सबूत मिले हैं।
सूत्रों के मुताबिक पहलगाम हमले के बाद कुपवाड़ा,हंदवाड़ा, अनन्तनाग,त्राल,पुलवामा,सोपोर,बारामूला,बांदीपोरा में लगभग 100 संगठनों के लोगों के यहां छापेमारी की गई। छापेमारी में बड़ी संख्या में देश विरोधी चीजें बरामद हुई हैं,ये संगठन प्रतिबंधित होने के बावजूद आतंकियों के लिए ओवरग्राउंड वर्करों का नेटवर्क तैयार करने में मदद की थी। इनकी काल रिकार्ड से पुख्ता सबूत मिले हैं कि इन प्रतिबंधित संगठनों के कुछ लोगों का ओवर ग्राउंड वर्करों से लगातार संपर्क था।
पहलगाम गोली चलाने वाले तीन आतंकियों के अलावा बड़े पैमाने पर ओवर ग्राउंड वर्कर मिले हुए थे।इसका शक ऐसे भी बढ़ता है कि चश्मदीदों ने वहां मौजूद बाकी लोगों के रवैये पर सवाल उठाए हैं।इन चश्मदीदों के बयान से जो शक पैदा होता है उसी लाइन पर जांच एजेंसियां आतंकियों के मददगारों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं।
एनआईए सूत्रों के मुताबिक पहलगाम आतंकी हमले में आतंकी फारुख अहमद का नाम सामने आया है,जिसके बनाए ओवर ग्राउंड वर्करों के नेटवर्क ने पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम दिया, फारुख लश्कर का टाप कमांडर है और वो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में छुपा बैठा है।पिछले दो सालों में इसी आतंकी के ओवर ग्राउंड वर्कर नेटवर्क ने कई आतंकी हमले को अंजाम दिया और सबसे प्रमुख पहलगाम आतंकी हमला है।
पाकिस्तान के तीन सेक्टर से फारुख अहमद कश्मीर में घुसपैठ कराता है। फारुख को घाटी के पहाड़ी रास्तों की बहुत अच्छी जानकारी है।कुपवाड़ा के रहने वाले आतंकी फारुख का घर बीते दिनों सुरक्षाबलों ने जमींदोज किया था,लेकिन अभी तक जांच एजेंसियों के हाथ कोई ऐसा पुख्ता सुराग नहीं मिला है,जिसके जरिये आतंकियों तक पहुंचा जा सके। आशंका जताई जा रही है कि या तो आतंकियों के पास हफ्ते-दो हफ्ते का पूरा रसद मौजूद है या तो ओजीडब्ल्यू उनकी मदद कर रहे हैं।
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