अयोध्या में प्रभु श्रीराम के नाम पर हारती रही है भाजपा,सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के लल्लू सिंह को हराया
अयोध्या में प्रभु श्रीराम के नाम पर हारती रही है भाजपा,सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के लल्लू सिंह को हराया

07 Jun 2024 |  112





अयोध्या।प्रभु श्रीराम के नाम का अस्त्र चलाकर भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में दो से 303 तक पहुंची थी,लेकिन अयोध्या भाजपा को हमेशा गच्चा देती रही।जब प्रभु श्रीराम राम के चित्र को आगे रखकर 1985 में पालमपुर हुई बैठक में भाजपा ने राम जन्मभूमि को मुक्त कराने का संकल्प लिया था।उस समय फैजाबाद (अयोध्या)लोकसभा से कांग्रेस के निर्मल खत्री सांसद थे। 1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पूरी हिंदी पट्टी पर छा गई,लेकिन उस समय भी फैजाबाद लोकसभा से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मित्रसेन यादव सांसद बने और अयोध्या विधानसभा से जनता दल के जय शंकर पांडेय चुनाव जीते थे। 1991 में भाजपा के विनय कटियार ने फैजाबाद लोकसभा से चुनाव जीता।उसी साल फैजाबाद की पांच विधानसभा सीट अयोध्या,रुदौली,
मिल्कीपुर,बीकापुर और दरियाबाद विधानसभा से भाजपा ने जीत दर्ज की।

बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद भी अयोध्या शांत रही।
इसके बाद से भाजपा यहां कभी जीतती रही तो कभी हारती रही।बाबरी मस्जिद के विध्वंस के चार साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में विनय कटियार 1996 में फिर से सांसद चुने गए।1998 में जब फिर से राम मंदिर के नाम पर भाजपा लोकसभा चुनाव में उतरी तब वही विनय कटियार हैट्रिक लगा पाए।सपा के मित्रसेन यादव से विनय कटियार हार गए।छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ तो प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया साथ में सभी भाजपा शासित राज्य सरकारों (मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल) को भी गिरा दिया गया। राम जन्मभूमि मुक्त कराने को लेकर पूरा देश भले उद्वेलित रहा हो,लेकिन अयोध्या शांत रही। न कोई साम्प्रदायिक तनाव रहा न हिंदू मुस्लिम में कोई दुराव रहा। 1994 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा अयोध्या को छोड़कर चारों विधानसभा सीटें हार गई।अयोध्या के लोगों ने राम के नाम पर कभी कोई विचलन नहीं प्रदर्शित किया।

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के शोर में भी हारी भाजपा

1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के विनय कटियार फिर चुनाव जीते, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की शाइनिंग इंडिया मुद्दे को लेकर 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा बसपा के मित्रसेन यादव से हार गई। मित्रसेन यादव CPI से सपा में गए थे और फिर बसपा में पहुंच गए। 2009 में फैजाबाद से कांग्रेस के निर्मल खत्री चुनाव जीते थे। 2014 और 2019 में भाजपा के लल्लू सिंह। 2024 में भाजपा के लल्लू सिंह सपा के अवधेश प्रसाद से हार गए।इस बार तो बहुत बुरी दुर्दशा हुई कि भाजपा न सिर्फ फैजाबाद हारी बल्कि फैजाबाद (अब अयोध्या) मंडल के सभी जिलों में प्रत्याशियों की हार हुई।फैजाबाद,अम्बेडकर नगर,बाराबंकी,सुल्तानपुर और अमेठी लोकसभा सीटें भाजपा हार गई।यह हालत तब रही, जब अभी चार महीने पहले 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की थी।

प्रभु श्रीराम के नाम को लेकर सियासत नहीं

इससे तो यही प्रतीत होता है कि प्रभु श्रीराम का नाम देश के लोगों में स्फूर्ति पैदा कर देता है,लेकिन उनकी ही नगरी में कोई संचार पैदा नहीं कर पाता।जब-जब प्रभु श्रीराम के नाम को इनकैश करने की कोशिश की जाती है,अयोध्या की जनता बिफर जाती है।प्रभु श्रीराम के प्रति अयोध्या में आत्मीयता है, लेकिन जब भी उनका राजनैतिक इस्तेमाल हुआ मतदाता नाराज हो जाता है।सिर्फ प्रभु श्रीराम के नाम पर कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता।सच ये है कि प्रभु श्रीराम के नाम का सहारा लेकर चुनाव लड़ने वाले विनय कटियार और लल्लू सिंह जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाए।जनता के अपने दुःख-दर्द होते हैं, उन्हें समझने की कोशिश नहीं की जाएगी तो जनता यूं ही भाजपा से दूर होती रहेगी।लल्लू सिंह लगातार दो बार जीते, लेकिन वे निराकार चेहरे वाले जन प्रतिनिधि थे इसीलिए हार ग‌ए।

प्रभु श्रीराम के नाम के साथ काम भी तो हो

पूर्व में विनय कटियार की भी यही हालत हुई थी। 1991 और 1996 के बाद जनता ने विनय कटियार को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की कार्यवाहक सरकार थी तब विनय कटियार चुनाव जीत पाए। इस बार चुनाव में फैजाबाद से हारना भाजपा को एक बड़ा झटका है।लल्लू सिंह को हराने वाले अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर से सपा के विधायक हैं। 9 बार विधायक रहने से क्षेत्र में अवधेश प्रसाद विधायक जी के नाम से जाने जाते हैं, लेकिन अब अवधेश मिश्रा सांसद हो गए।यह बड़े आश्चर्य की बात है कि जब-जब प्रभु श्रीराम का नाम परवान चढ़ाने में भाजपा सफल रही, तब-तब फैजाबाद में उसकी हार हुई।अयोध्या विधानसभा भी अक्सर भाजपा के हाथ से जाती रही।लल्लू सिंह अक्सर अयोध्या से ही विधायक रहे, लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में अयोध्या विधानसभा से सपा के तेज नारायण पांडेय जीते थे।

नगर निगम भी भाजपा हारी

2023 में फैजाबाद (अब अयोध्या) नगर निगम का चुनाव भी भाजपा हार गई थी। चौंकाने वाली बात ये है कि जिस वार्ड में प्रभु श्रीराम का जन्मभूमि परिसर पड़ता है वहां से एक निर्दलीय मुस्लिम प्रत्याशी सुल्तान अंसारी ने जीत हासिल की, जबकि इसके तीन साल पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में अयोध्या ज़िले की पांचों विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती थीं। 2020 में अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आधार शिला रखी थी,लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जिले की पांच विधानसभा सीटों में से मिल्कीपुर और गोसाईंगंज हार गई। इससे साफ जाहिर है कि भाजपा भले राम मंदिर को लेकर पूरे देश में वोट मांगे, लेकिन अयोध्या में उसे वोट नहीं मिलता।अयोध्या एक धार्मिक नगरी है।हिंदू धर्म की सप्त पुरियों में अयोध्या का उल्लेख है,लेकिन हरम के राजनीतिकरण को अयोध्या ने सदैव नकार दिया।

अयोध्या में न मथुरा न कासी सिर्फ अवधेश पासी

अयोध्या में इस बार लोकसभा चुनाव में तो ऐसी फिजा बदली कि नारा लगा हमें अवधेश पासी ही चाहिए, भाजपा के लल्लू सिंह से हमें कोई सहानुभूति नहीं।इसमें कोई शक नहीं कि पिछले दस सालों में अयोध्या का अभूतपूर्व विकास हुआ है। देश के सभी हिस्सों से जोड़ने वाली ट्रेनें,भव्य रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट पर अयोध्या के स्थानीय निवासियों को उनकी जमीनों का मुआवजा देने में भी राज्य सरकार ने भेदभाव किया।सरकार ने विकास कार्यों के लिए जमीन अधिगृहीत की, लेकिन बदले में किसी को अधिक पैसे मिले किसी को कम मिले।फैजाबाद के भाजपा सांसद लल्लू सिंह और भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने जनता की गुहार नहीं सुनी। नतीजा ये हुआ कि लोगों को सपा के विधायक अवधेश प्रसाद पसंद आए, जो लोकसभा जीतने के पहले मिल्कीपुर (सुरक्षित) से विधायक थे।सपा ने यहां एक बड़ा प्रयोग किया. सामान्य श्रेणी की इस सीट से दलित समुदाय (पासी) के अवधेश प्रसाद को लड़ाया और वे जीत गए।इस तरह अयोध्या में लल्लू हारे और अवधेश जीते।अवधेश शब्द राजा राम का पर्यायवाची है।

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