पीलीभीत। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के न्यूरिया क्षेत्र में खौफ का पर्याय बना बाघ गुरुवार को महिला की जान लेने के बाद देर शाम महेशपुर गांव की सीमा में नजर आया,लेकिन वन विभाग की टीमों की नजरों से ओझल हो गया। 48 घंटे बीतने के बाद शुक्रवार देर शाम तक बाघ की वन विभाग की टीमें सटीक लोकेशन नहीं पता कर सकी।बाघ की तलाश तो हो रही है,लेकिन पकड़ की रणनीति आगे नहीं बढ़ सकी है। इलाके में खौफ के बादल छाए हैं।शनिवार को भी स्कूल बंद रहे।
न्यूरिया क्षेत्र में 40 दिन से बाघ के खौफ का बादल छाए हैं। मेवातपुर,सहजनिया,टाहा,फुलहर,मेहशपुर समेत कई गांवों की सीमा में बाघ ग्रामीणों के लिए मौत का पर्याय बना हुआ है। बीते चार दिनों में बाघ के हमले का दायरा बढ़ गया। बाघ ने पांच किलोमीटर के दायरे में ताबड़तोड़ हमले कर दो लोगों की जान ले ली,दो लोगों को घायल कर दिया।इसमें तीन हमले गुरुवार को हुए।
मंडरिया गांव की 50 वर्षीय कृष्णा देवी पर बाघ ने खेत में घास काटते समय हमला कर गन्ने के खेत में ले जाकर मार दिया।मंडरिया गांव के ही 17 वर्षीय निलेश और सहजनिया गांव की मीना देवी पर हमला कर घायल कर दिया था।बाघ ने तीन हमले दो घंटे के अंतराल में किए थे।हमले के बाद ग्रामीणों के आक्रोश के बीच कृष्णा देवी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया था। इसके बाद वन विभाग की टीमों ने बाघ की लोकेशन तलाशने का प्रयास किया था।अफसरों ने 24 घंटे में बाघ पकड़ने का दावा किया था।
निगरानी के बीच गुरुवार देर शाम बाघ मंडरिया गांव की सीमा से निकलकर महेशपुर गांव की ओर निकल गया था। ग्रामीणों ने बाघ की वीडियो भी बनाई थी।इसके बाद टीमें दौड़ी,लेकिन 36 घंटे बीतने के बाद बाघ की कोई लोकेशन वन विभाग नहीं तलाश सका।शुक्रवार को पगचिह्न के आधार पर वन विभाग की कई टीमें एसडीओ और रेंजर स्तर के अफसरों के नेतृत्व में महेशपुर,डंडिया समेत अन्य गांव की सीमा में टीमें बाघ की लोकेशन तलाशने में जुटी रहीं,लेकिन कहीं सटीक लोकेशन नहीं मिल सकी।
बाघ के खौफ से और क्षेत्र में मौजूदगी की आशंका से सुरक्षा पहलुओं का भी ध्यान दिया जा रहा है।ऐसे में हमले की घटनाएं रोकने के लिए वन विभाग ने क्षेत्रीय स्कूलों को बंद करने के लिए बेसिक विभाग के अफसरों से आग्रह किया। इसके बाद न्यूरिया क्षेत्र के औरिया,खरोसा,फुलहर,मंडरिया, सहजनिया समेत अन्य गांवों में बाघ का प्रभाव देखते हुए सरकारी विद्यालयों को बंद किया गया,लेकिन शिक्षक विद्यालयों में मौजूद रहे।बच्चों और ग्रामीणों को जागरूक करने पर भी जोर दिया जा रहा है। बाघ की मौजूदगी को लेकर ग्रामीणों और बच्चों में खौफ कायम है।
बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने प्रयास तेज किए हैं। इसके लिए सामाजिक वानिकी और पीटीआर की लगभग 20 से अधिक टीमों को लगाया गया है।दोनों विभागों के एसडीओ और करीब पांच रेंजर न्यूरिया क्षेत्र के बाघ प्रभावित क्षेत्र में मौजूद रहकर बाघ की लोकेशन तलाश रहे हैं। अफसरों के साथ वन दरोगा और वन रक्षक के अलावा वाचरों को भी लगाया गया है। हालांकि बाघ की सही लोकेशन नहीं मिल पा रही है।
गुरुवार को बाघ के हमले में घायल हुई सहजनिया गांव की मीना को जिला अस्पताल से लखनऊ रेफर किया गया है। यहां मीना की हालत में कुछ खास सुधार नहीं हो रहा था। बाघ ने मीना के कमर और गर्दन के पास हमला कर मांस नोंच लिया था। मीना को 24 घंटे तक जिला अस्पताल में रखकर इलाज किया गया। सीएमएस डॉ. रमाकांत सागर ने बताया कि महिला को लखनऊ रेफर किया गया है। हालत ज्यादा खराब है, उम्मीद है मीना जल्द ही ठीक होकर हमारे बीच आएंगी।लोगों ने भी उनके जल्द स्वस्थ्य होने की प्रार्थना की है।
कई दिन से बाघ गांव और आसपास क्षेत्र में चहलकदमी कर रहा है।हमले में दो लोगों की जान भी जा चुकी है।बाघ की दहशत से खेती-किसानी ठप है।- ईश्वरी प्रसाद
बाघ की दहशत से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हो रही है। धान और गन्ने में खाद देने का काम भी प्रभावित हो रहा है।- नरायनलाल
कई दिनों से बाघ की दहशत है। आए दिन बाघ की चहलकदमी दिखती है। खेती-किसानी भी जरूरी है। ऐसे में बाघ के पकड़े न जाने से डर का माहौल है।- मनोज
बाघ की दहशत से बच्चों का घरों से निकलना बंद है। खेतों में जाने पर कर्द लोग एक साथ जा रहे हैं। जब तक बाघ पकड़ा नहीं जाता, दहशत का माहौल ही रहेगा।- जसवंत कुमार
कई टीमें निगरानी में जुटी हैं। महेशपुर गांव के निकट पगचिह्न मिलने पर टीमों को लगाया है। इसके अलावा अन्य गांवों में भी टीमें लगी हुई है। लोकेशन मिलते ही बाघ को रेस्क्यू करने के प्रयास शुरू किए जाएंगे। - भरत कुमार, डीएफओ, सामाजिक वानिकी